CAPITAL

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष

लखनऊ। भयंकर ठंड तथा कोहरे के बीच आज लखनऊ में राजनीति का पारा चढ़ता चला गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी के उस विशेष अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है, जिसको पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने असंवैधानिक घोषित किया है।

लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में पार्टी के विशेष आपातकालीन अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के पद से बर्खास्तगी तथा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह को बाहर करने के प्रस्ताव पर मुहर लगी है। अधिवेशन में पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को सरंक्षक तथा सांसद धर्मेन्द्र यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है।

मुलायम ने राष्ट्रीय अधिवेशन को बताया असंवैधानिक, कार्यवाही की चेतावनी
अधिवेशन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पद से हटाने के साथ ही अमर सिंह को पार्टी से ही बाहर करने के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगी। अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव को पार्टी का सरंक्षक बनाया गया है। इसके साथ ही सभी राष्ट्रीय तथा प्रदेशीय कमेटियों को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। शिवपाल सिंह यादव को भी हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस बैठक में अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने के प्रस्ताव के साथ ही विलेन घोषित करने पर भी मुहर लग गई।

समाजवादी पार्टी के पोस्टर-बैनर व होर्डिंग्स से शिवपाल यादव गायब
समाजवादी पार्टी के विशेष अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि मेरा नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से रिश्ता कोई खत्म नही कर सकता है। मैं तो पार्टी के साथ परिवार बचाने को सभी जिम्मेदारी निभाऊंगा। मेरे लिए नेताजी का सम्मान और स्थान सर्वोच्च है। अखिलेश ने कहा कि कुछ ताकतें ऐसी हैं जो चाहती हैं कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी की दोबारा सरकार न बन सके। इसके इतर प्रदेश में एक बार फिर से समाजवादी पार्टी की ही सरकार बनने पर सबसे ज्यादा खुश तो नेताजी ही होंगे। अखिलेश ने कहा कि मैं नेताजी के खिलाफ साजिश करने वालों के खिलाफ हूं। नेताजी एक बार भी कहते तो मैं मुख्यमंत्री क्या हर पद से हट जाता।

अखिलेश-शिवपाल समर्थक टकराए, पुलिस ने लाठी भांजकर खदेड़ा
रामगोपाल यादव ने अधिवेशन में नेताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि पार्टी के लिए यह बेहद आपातकाल की स्थिति है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में खूब काम किया लेकिन उन्हें साजिश कर उनके पद से हटा दिया गया। उन्होंने पार्टी नेताओं को सम्बोधन करते मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। रामगोपाल ने ही मांग की कि सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को पार्टी से हटा दिया जाए और अमर सिंह को सपा से बर्खास्त कर दिया जाए। इसके बाद अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने का प्रस्ताव पूरा हो गया। इस प्रस्ताव पर सभी ने अपने हस्ताक्षर करने के साथ ही मुहर लगा दी।

अखिलेश को सर्वसम्मत नेता बनाना मुलायम का मास्टर गेम : साध्वी
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कल मुलायम के घर ले जाकर मंत्री आजम खां ने सुलह का प्रयास किया। यहां अखिलेश यादव ने कहा भी कि उन्हे मुख्यमंत्री पद की चाहत नहीं। वह वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश जीतकर नेताजी को तोहफा देंगे। मगर अगर नेताजी (मुलायम) के विरुद्ध कोई साजिश करेगा तो बर्दाश्त नहीं होगा। अखिलेश के इस रुख के बाद शांति का प्रयास परवान चढऩे का संदेश निकला। मगर पांच कालिदास मार्ग पहुंचकर प्रो. रामगोपाल यादव व अन्य लोगों से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुप्पी साध ली। विधायकों से कहा कि जो बोलना है, वह अधिवेशन में बोलूंगा। बाद में प्रो.राम गोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय अधिवेशन होकर रहेगा। उन्होंने कहा तैयारी पूरी है।

कई दिनों से चल रही है तैयारी
आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का फैसला अचानक नहीं है, यह सोंच समझकर लिया गया निर्णय है। अधिवेशन की पहल से पहले उसके कानूनी पहलुओं को भी परखा गया है। प्रत्येक जिले के न्यूनतम 25 प्रतिनिधियों व 100 से अधिक सामान्य कार्यकर्ताओं से अधिवेशन बुलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराये गये हैं। इसको चुनौती न मिले इसके लिए कुछ स्थानों पर वीडियोग्र्राफी भी करायी गई है। दरअसल, राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुमति के बगैर आपातकालीन अधिवेशन बुलाने के लिए 40 फीसद सदस्यों की अनुमति जरूरी होती है। लिहाजा इस कार्य को दुरुस्त कर लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए युवा ब्रिगेड को प्रस्तावों के साथ जिलों में भेजा गया था, जो वापस लौट आएं हैं। इन्ही प्रस्तावों के आधार पर फैसले लिये जाएंगे।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »