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अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी से एम्स ऋषिकेश में है प्रोस्टेट कैंसर का उपचार

  • भारत में प्रोस्टेट कैंसर की दर प्रति लाख पर 9-10

  • महानगरों में  बदल रहा है यह अनुपात

  • 5 बड़े संकेत हैं प्रेस्टेट कैंसर के,ना करें इन्हें इग्नोर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि एम्स संस्थान उत्तराखंड का पहला अस्पताल है , जहां रोबोटिक तकनीक जैसी अत्याधुनिक विधि द्वारा प्रोस्टेट कैंसर का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश में प्रोस्टेट से संबंधित सभी बीमारियों का इलाज संभव है। निदेशक एम्स पद्मश्री रवि कांत ने बताया कि भारत में प्रोस्टेट कैंसर की दर प्रति लाख पर 9-10 है, जो कि एशिया के अन्य हिस्सों से अधिक है। इसमें कोई संदेह नहीं किया महानगरों में यह अनुपात बदल रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी सीमित संसाधन व जनजागरुकता की कमी की वजह से मृत्यु दर अधिक है।

”एम्स ऋषिकेश प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम के लिए रोबोटिक सर्जरी जैसी आधुनिक तकनीक के साथ विशेषरूप से कार्य कर रहा है। प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को होने वाली बीमारी है जो बढ़ती उम्र के साथ अधिक होती है। दुनियाभर में कैंसर के कारण होने वाली मौतों में प्रोस्टेट कैंसर का छठा स्थान है। प्रोस्टेट कैंसर के 70 प्रतिशत मामले 65 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में देखे जाते हैं। पॉपुलेशन बेस्ड रजिस्ट्री फॉर कैंसर के हिसाब से प्रोस्टेट कैंसर भारतीय पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरा प्रमुख कैंसर है :पद्मश्री डॉ. रविकांत 

एम्स के यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. अकुर मित्तल ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती स्थिति में पता चल जाने पर इसका पूर्ण उपचार संभव है। जीवनशैली में बदलाव के कारण भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। डा. अंकुर मित्तल ने बताया कि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत की पहल पर यूरोलॉजी विभाग कैंसर मरीजों को उत्कृष्ठ सुविधा देने की ओर अग्रसर है और कैंसर जैसे रोगों का ऑपरेशन रोबोट के द्वारा किया जाने लगी है।

  • क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर –

प्रोस्टेट अखरोट के आकार की एक छोटी ग्रंथी है, जो कि पेशाब की थैली के आगे वाले भाग में स्थित होती है। यह एक विशेष प्रकार का द्रव्य उत्पादित करती है जिसमें शुक्राणु ट्रांसपोर्ट होते हैं। यह तरल पदार्थ वीर्य का हिस्सा होता है। डा. मित्तल ने बताया कि आमतौर पर प्रोस्टेट ग्रंथी का वजन 18 ग्राम के आसपास होता है, मगर उम्र के साथ साथ ग्रंथी का वजन भी बढ़ने लगता है और इसका वजन 30 से 35 ग्राम व इससे भी अधिक हो जाता है। ग्रंथी का आकार बढ़ने पर यह मूत्र मार्ग पर दबाव डालता है जिससे मूत्र का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। उन्होंने बताया कि आकार का बढ़ना सामान्य प्रक्रिया भी हो सकती है अथवा इसकी वजह कैंसर भी हो सकती है। दोनों ही परिस्थितियों में लगभग समान लक्षण प्रकट होते हैं लिहाजा कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ने के लिए विशेष जांच की जरुरत होती है।

  • -प्रोस्टेट कैंसर के क्या होते हैं लक्षण जानिए ….

बार-बार पेशाब आना खासतौर पर रात के समय, पेशाब करने में समस्या होना, रुक-रुककर पेशाब आना, पेशाब की धार कमजोर होना, पेशाब करते समय दर्द एवं जलन होना तथा पीठ, जांच व कूल्हे की ह​ड्डियों में दर्द रहना आदि हैं। -प्रोस्टेट कैंसर सर्जरी में रोबोटिक तकनीक के फायदे- प्रोस्टेट ग्रंथी की शरीर में जटिल बनावट के कारण परंपरागत सर्जरी से ऑपरेशन कठिन होता है। रोबोटिक तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथी तथा उसके आसपास की नसें स्पष्ट दिखाई देती हैं तथा ज्यादा लचीले एवं घुमाने में आसान रोबोटिक उपकरणों के इस्तेमाल से सर्जरी ज्यादा सफल रहती है, साथ ही रिकवरी तेजी से होती है।

  • -एम्स ऋषिकेश में उपलब्ध हैं अत्याधुनिक सुविधाएं …..

विकिरण चिकित्सा-इसमें कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च ऊर्जा की किरणों का प्रयाेग किया जाता है यह दो पद्धति से की जाती है, बाहरी विकिरण चिकित्सा (एक्सटनल बीम रेडियोथैरेपी), आंतरिक विकिरण चिकित्सा (ब्रेकी थेरेपी)। हॉर्मोनल थेरेपी और कीमो थेरेपी। अन्य तकनीकियां जिन पर हो रहा शोध-क्रायोथेरेपी, रेडियोफ्रेंक्वेंसी एब्लेशन व हाई इंटेसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड। सावधानियां -कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज न करें,50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित पीएसए टैस्ट कराएं, संयमित जीवनशैली अपनाएं व ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं, ज्यादा वसा युक्त खाने से परहेज करें, कोई शंका होने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें।

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