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भांग की खेती का विरोध बिना कुछ सोचे समझे !

मदन मोहन ढौंडियाल 

उत्तराखण्ड जैसे राज्य में जहाँ राज्य के लिए लाभदायक योजनाओं को आधार बना कर आंदोलन खड़े किये जा सकते हैं और राज्य की जनता को गुमराह किया जाता रहा है , उसी तर्ज पर भांग की खेती का बिरोध बिना कुछ सोचे समझे प्रारम्भ हो गया है। इस योजना का खूब राजनीतिक दोहन प्रारम्भ है।

उत्तराखंड सरकार जो हर कदम फूंक फूंक कर ले रही है , इस योजना को बिरोध के बावजूद लागू करना एक साहसिक कदम है। अब यह देखना आवश्यक है इस योजना का कार्यान्वयन किस प्रकार होगा। मैंने भी प्रारंभिक दौर में कुछ कारणों की गंभीरता को देखते हुए इसकी सोशल मीडिया पर सार्बजनिक आलोचनाएं की थीं , लेकिन राज्य की आर्थिक खस्ता हालातों पर नजर दौड़ाने से पता चलता है , सामाजिक प्रतिबंधों को रखते हुए यह योजना राज्य के लिए हितकारी होगी। दुनिया में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली भांग के उत्पादन के लिए उत्तराखण्ड राज्य की मिटटी बहुत अच्छी है।

यह बात मुझे अल्मोड़ा में एक भांग विशेषज्ञ अमेरिकी वैज्ञानिक ने बताई थी और शायद कई कृषि अनुसन्धान संस्थान इस पर परीक्षण भी कर चुके होंगे। अच्छी गुणवत्ता वाली भांग से महँगी आयुर्वेदिक और आधुनिक दवाओं का उत्पादन करना आसान होगा। यही असाध्य रोगों की दवाएं जो भांग से बनती हैं भारत विदेशों से ऊँचे दामो पर आयात करता है। अगर उत्तराखण्ड सरकार वास्तव में इस विषय पर गंभीर है तो – तुरंत भांग मंत्रालय (Ministry of Cannabis) की स्थापना करे उसके बाद ही भांग उत्पादन का शासकीय आदेश जारी करे। उत्तराखण्ड राज्य में चीड़ के घने जंगल देश के पर्यावरण को लगातार हानि पहुंचा रहे हैं , चीड़ के जंगलों के स्थान पर राज्य सरकार भांग फार्मिंग बड़े पैमाने पर करे।

चीड़ के जंगलों की लकड़ी से प्राप्त धन भांग मंत्रालय पर ईमानदारी से लगाये और केंद्र को भी इस विषय पर अवगत कराये। भांग पर्यावरण के लिए बहुत ही अच्छी वनस्पति है, इसकी तुलना में चीड़ लगातार हिमालय के पर्यावरण को हानियां पहुंचा रहा है। जो लोग पलायन करके अन्य राज्यों में चले गए हैं उनके बंजर खेतो को लीज पर ले कर भांग की खेती को प्रोत्साहित करे , तो स्वतंत्र भांग मंत्रालय अन्य मंत्रालयों की तुलना में बहुत बड़ा आर्थिक लाभ राज्य सरकार को देगा। इसमें ईमानदार जनप्रतिनिधियों की सहभागिता बहुत बड़ा योगदान देगी , नहीं तो राज्य में भांग घोटाले के साथ , भूमि घोटाला और चीड़ घोटाला भी दर्ज हो सकता है।

अतः अगर उत्तराखण्ड के बुद्धिजीवी और ईमानदार जनप्रतिनिधि निस्वार्थ सहयोग करते हैं तो राज्य सरकार को बिना भेदभाव के स्वीकार करना चाहिए. अगर भांग की खेती को आम जनता के हाथो में राज्य सरकार देती है तो इसके सामाजिक बिघटन के परिणाम बहुत हानिकारक होंगे। इस प्रकार के फरमान को उत्तराखण्ड का इतिहास फिर कभी क्षमा नहीं करेगा। एक तरफ तो उत्तराखण्ड की सामाजिक मानसिकता भांग को नशे की दृष्टि से देखती है , जिस कारण इस औषधि का राज्य में सही मूल्यांकन नहीं हो सका है।

देवभूमि उत्तराखण्ड जड़ी बूटियों का अथाह भण्डार है लेकिन इसका भी सही प्रकार से रचनात्मक कार्यों के लिए दोहन नहीं हो सका है। दुनिया में सबसे उत्तम श्रेणी की भांग जो कि चिकित्सा जगत में अच्छी गुणवत्ता वाली मानी गयी है सिर्फ उत्तराखंड , पूर्वी हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी नेपाल में ही पैदा होती है। मुझे याद है मेरी दादी सिर दर्द होने पर कच्चे भांग के पत्ते मसल कर सुंघा देती थी और सिर दर्द ठीक हो जाता था। यह तो भांग का प्रयोग स्थानीय लोग रोज की जिंदगी में करते थे , लेकिन आज आधुनिक दवाइयों ने परम्परागत इलाज के तरीके को हाशिये पर खड़ा कर दिया है।

आयुर्वेद में भांग के बहुत सारे लाभ बताये गए हैं , और उन्ही के आधार पर पश्चिमी देश इसकी शासकीय निर्देशानुसार खेती करके महंगी दवाइयों के उद्योग चला रहे हैं। जबकि उत्तराखण्ड जैसे राज्य भांग की खेती और उत्पादों पर आर्थिक और सामाजिक मानसिकता के मापदण्डों के बारे में सोचने को मजबूर हो जाती है।सब मिला कर भारत जैसे विकासशील देश में अविकसित तकनीकों और प्रबंधन के अभाव में फ़िलहाल भांग से प्रतिबन्ध नहीं हटाना चाहिए। वैसे भांग कई बीमारियों के लिए रामबाण दवा है ,

इनमे कुछ इस प्रकार है –

१- अगर किसी को भूख नहीं लगती है तो भांग के बीज और काली मिर्च को आधा आधा मिला कर चटनी बना कर भोजन के साथ प्रयोग करने से भूख खुल जाती है।

२- अगर कोई मानसिक रोगों जैसे भूलने की आदत , या डिप्रेशन या छोटी छोटी बातों से दुखी होना या अधिक गुस्सा आना से पीड़ित है तो हींग के साथ भांग के बीज के चूर्ण का मिश्रण लाभ देता है।

३- भांग के बीज के तेल का बीज जोड़ों के दर्द को शांत करता है।

४- भांग की पत्तियों को पानी में उवाल कर नहाने से शरीर में उपस्थित घाव ठीक हो जाते हैं।

५- अगर किसी को एलर्जी है तो भांग के पत्तों को पानी में उवल कर नहाने से लाभ मिलता है , नहाने के पंद्रह मिनट बाद गोमूत्र को शरीर पर लगाना चाहिए।

६- अगर किसी को सिरदर्द हो रहा हो तो इसके पत्तों को मशल कर सुंघाने से ठीक हो जाता है।

७- भांग एड्स की एक अच्छी दवा है , इसका प्रयोग आयर्वेदिक डाक्टरों के निर्देशानुसार करना लाभदायक है।

८ – अगर किसी के अण्डकोष बढ़ गए हों तो भांग के पत्तों से ठीक किया जाता है।

९- भांग के बीज और मूली की शब्जी खाने से गुप्त रोग दूर हो जाते हैं।

१०- भांग अनिद्रा की अचूक दवा है , लेकिन आयुर्वेदिक डाक्टर की सलाह से प्रयोग में लानालाना चाहिए।

११- शीघ्र पतन , और मूत्र सम्बंधित बीमारियों की अचूक दवा है।

१२- भांग के बीज कैंसर की अचूक दवा है।

भांग शिवजी को अतिप्रिय है , लेकिन गलत प्रयोग से यह विष का काम करता है , इसलिए आयुर्वेदिक डाक्टरों के निर्देशानुसार इसका प्रयोग लाभदायक है।

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