भारत के बाद अब चीनी सैनिकों ने भी डोकलाम क्षेत्र में गाड़े टेंट
दोनों तरफ की सेनाओं के बीच कोई फ्लैग मीटिंग नहीं
भारत के मुकाबले चीन के सैनिक इस इलाके में ज्यादा सहज नहीं
नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच विवाद की जड़ बने डोकलाम क्षेत्र में चीन की सेना ने भी लंबी तैनाती की तैयारी कर ली है और तंबू गाड़ लिए हैं, लेकिन यह इलाका उसके लिए बेहद असहज बताया जा रहा है। विवाद वाले इलाके में भारत और चीन की सेनाएं 300-300 की संख्या में बताई गई हैं, लेकिन फिलहाल तनातनी की स्थिति नहीं है। दोनों सेनाओं के बीच महज 120 मीटर की दूरी है, फिर भी टकराव बढ़ने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कर्नल लेवल के अधिकारी दोनों तरफ की सेनाओं की अगुवाई कर रहे हैं। भारतीय सेना के इलाके में टेंट की तैनाती देख चीन ने भी अपने इलाके में टेंट लगा लिए हैं। करीब 10 हजार की फीट की ऊंचाई वाले इस इलाके का तापमान भी फिलहाल सहनीय स्थिति में है। बताया गया है कि भारत के मुकाबले चीन के सैनिक इस इलाके में ज्यादा सहज नहीं हैं।
भारतीय सेनाओं के लिए ग्राउंड जीरो से सप्लाई पॉइंट महज 8 से 10 किलोमीटर दूर है, जबकि चीन की सेनाओं के लिए यह 60 से 70 किलोमीटर दूर है। चीन की सेना इस इलाके में नहीं रहती है। वह करीब 60-70 किलोमीटर दूर खांबोजोंग में रहती है, लेकिन विवादित इलाके में उसका लगातार आना-जाना लगा रहता है। भारतीय सेना की इस इलाके में हमेशा मौजूदगी रही है। वह दिसंबर तक सहजता से टिके रहने की तैयारी में है। फिलहाल तैनात सैनिकों को इस बात के लिए तैयार रखा गया है कि वे जब जरूरत हो, तब उपलब्ध रहें।
दोनों तरफ की सेनाओं के बीच कोई फ्लैग मीटिंग नहीं हो रही है, क्योंकि दोनों तरफ यह माना जा रहा है कि फैसला अब राजनयिक स्तर पर होना है। राजनयिक स्तर पर भी मामला आगे बढ़ता नहीं दिख रहा है क्योंकि चीन ने बातचीत से पहले भारतीय सेना के पीछे हटने की शर्त रख दी है। जर्मनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच हाथ मिलाने और मुस्कुराने से उम्मीद जताई जा रही है कि बातचीत आगे बढ़ेगी और कोई न कोई हल निकलेगा।
यहां माना जा रहा है कि चीन की सेना पीछे हटना चाहती है लेकिन राजनीतिक स्तर पर काफी बयानबाजी होने से अब उसका पीछे हटना काफी मुश्किल हो गया है। चीन की सेना पीएलए 1 अगस्त को अपनी वर्षगांठ मनाएगी। इस महत्वपूर्ण तारीख से पहले वह खुद को कमजोर नहीं दिखना चाहेगी। इसके बाद अक्टूबर में चीन के राष्ट्रपति शी चिन पिंग के लिए पार्टी की राजनीति के लिहाज से बड़ा इवेंट होना है। तब तक वह भी पीछे हटने वाला कोई कदम हटाने से बचेंगे।
सिक्किम ही नहीं, कई मसलों पर आमने-सामने हैं भारत-चीन
सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र (दोंगलांग) में चीन के सड़क बनाने की कोशिश का विरोध करने पर शुरू भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है। दोनों देशों के बीच तल्खी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी दोनों देश कई मसलों को लेकर आमने-सामने आ चुके हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर अब्दुल रहीम कहते हैं कि बॉर्डर और चीन तो बस बहाना है। दरअसल, अब चीन भारत की तरक्की और दूसरे देशों से बढ़ती दोस्ती के कारण चिढ़ा हुआ है।
रहीम के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तमाम देशों से दोस्ती बढ़ा रहे हैं। इन दिनों अमेरिका भी भारत के नजदीक है। हम लगातार तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा को संरक्षण दे रहे हैं, इससे चीन बौखलाया हुआ है। वह सीमा विवाद के जरिए अपनी खुन्नस निकालता है।
-विवाद की सबसे बड़ी वजह है बॉर्डर: भारत-चीन के बीच लगभग चार हजार किमी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है। इसे LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में हेनरी मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।
-तिब्बत। इसे भारतीय मान्यता से चीन खफा रहता है। दलाई लामा का समर्थन करने की वजह से चीन भारत से चिढ़ा रहता है।
-विवाद की अहम वजह है अरुणाचल प्रदेश: चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है और इसीलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है, जिसका भारत विरोध करता है।
-अक्साई चिन रोड: लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया।
-चीन का जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग मानने में आनाकानी करना।
-पीओके को पाकिस्तान का भाग मानने में चीन को कोई आपत्ति न होना।
-पीओके में चीनी गतिविधियों में इजाफा। हाल ही में चीन ने यहां 46 बिलियन डॉलर की लागत का इकनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे भारत खुश नहीं है
-हिंद महासागर में तेज हुई चीनी गतिविधि भी दोनों देशों के बीच तल्खी का कारण है।
-साउथ चाइना सी में प्रभुत्व कायम करने की चीनी कोशिश।
-ब्रह्मपुत्र नदी: दरअसल यहां बांध बनाकर चीन सारा पानी अपनी ओर मोड़ रहा है, जिसका भारत विरोध कर रहा है।