UTTARAKHAND

बार-बार हो रही सरकार की फजीहत का आखिर कौन है दोषी ?

बार-बार बदले या फिर संशोधित किए जा रहे हैं अफसरों के आदेश

कई बार आंख बंद कर किए जा रहे दस्तखत

सोशल मीडिया में उड़ रहा हैव्यवस्था का मजाक

अतुल बरतरिया 
देहरादून। कोरोना संकट के इस दौर में सरकारी सिस्टम की कार्यशैली सोशल मीडिया में मजाक का विषय बन रही है। कहीं बार-बार आदेश बदले जा रहे हैं या फिर उन्हें संशोधित किया जा रहा है। इन्हीं को आधार बनाकर सोशल मीडिया में सरकार की फजीहत की जा रही है। लेकिन सिस्टम है कि कुछ समझने या सुधरने को तैयार ही नहीं है।
केस-एकः- लॉकडाउन की शुरुआत में मुख्य सचिव ने एक बैठक की। इसके बाद अपर सचिव के स्तर से एक आदेश किया गया कि सचिवालय में अधिकारियों और कर्मचारियों को आने की जरूरत नहीं है। ये लोग बेहद जरूरत के वक्त ही बुलाए जाएंगे। इस पर अन्य सरकारी दफ्तरों से ऐतराज आया तो मुख्य सचिव ने अपने स्तर से नया आदेश जारी करके सभी सरकारी दफ्तरों के लिए ये व्यवस्था लागू की।
केस-दोः- शुरुआती दौर में ही गृह विभाग के सचिव ने एक आदेश जारी करके उत्तराखंड की सीमा में किसी भी व्यक्ति (देशी या विदेश) के घुसने पर पाबंदी लगा दी। इस पर हो-हल्ला हुआ तो एक बार फिर मुख्य सचिव ने नया आदेश जारी करके कहा कि बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति का उत्तराखंड में प्रवास (रुकना) प्रतिबंधित किया जाता है। आने पर कोई पाबंदी नहीं है।
केस-तीनः- मार्च के अंतिम सप्ताह में आदेश जारी किया गया कि 31 मार्च को कोई भी व्यक्ति राज्य की सीमा में कहीं भी आ या जा सकेगा। ताकि इधर-उधर फंसे लोग अपने घर पहुंच सकें। लोगों ने इस बारे में तैयारियां भी कर ली। लेकिन 30 मार्च को इस आदेश को भी रद कर दिया गया।
केस-चारः- आदेश जारी किया गया कि उत्तराखंड के जो लोग विभिन्न राज्यों में फंसे हैं, उन्हें वापस लाया जाएगा। इस आदेश का क्या हुआ किसी तो पता नहीं। हां, ये पक्का है कि तमाम लोग आज भी फंसे हुए हैं।
केस-पांचः- निजी स्कूलों ने अभिभावकों पर तीन माह की फीस जमा करने का दबाव बनाया तो शिक्षा सचिव ने आदेश दिया कि स्कूल अभी बंद हैं। लॉकडाउन भी चल रहा है। ऐसे में निजी स्कूल फीस के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते। बाद में दो रोज बाद ही शिक्षा सचिव ने नया आदेश दिया कि स्कूलों की माली हालत को देखते हुए एक माह की फीस ली जा सकती है।
केस-छहः- 25 अप्रैल को आदेश जारी किया गया कि ग्रीन जोन वाले नौ जिलों और देहरादून के ऋषिकेश में बाजार सुबह से शाम सात बजे तक खुलेंगे। लेकिन 26 शाम को नया आदेश जारी करके पूरे राज्य में पुरानी व्यवस्था (बाजार खुलने का समय सुबह सात से दोपहर बाद एक बजे तक) को बहाल किया गया।
केस-सातः- उत्तराकाशी के डीएम ने कोरोना संकट में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई। इस बारे में जो आदेश जारी किया गया। उसमें शिक्षकों को कोरोना वॉरियर की कोरोना वायरस की संज्ञा दे दी गई। सोशल मीडिया में हल्ला मचा तो इसे टाइपिंग एरर बताकर नया आदेश जारी किया गया।
इन हालात में सवाल यह उठ रहा है कि ये आदेश किसी हड़बड़ी में जारी किए जा रहे हैं या फिर बगैर किसी ठोस फैसले के। सवाल यह भी है कि देश के शीर्षस्थ नौकरशाहों में शुमार ये आईएएस अफसर क्या बगैर पढ़े ही आदेश पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। वजह चाहें जो भी हो। लेकिन इन आदेशों के आधार पर ही सोशल मीडिया में सरकार की जमकर लानत-मलानत हो रही है।

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