आख़िर संसद में वे कौन लोग हैं जो जनहित में कानून नहीं बनाते ?
जनता भी तो जाने ऐसे कौन से कानून संसद में पारित हुए जो किसानों के हित में नहीं ?
डा. देवी दत्त जोशी
संसद सत्र चल रहा है वर्ष भर का बजट पारित होगा |किसान धरने पर बैठे हैं रास्ते जाम हैं किसानों को संसद में पारित किसानों के लिए बने कानून मान्य नहीं क्यों? पहली बात वे तीन कानून क्या हैं जो मान्य नहीं?
आज विचार करने का विषय यह भी होना चाहिए कि यदि संसद में कोई कानून पारित होता है और वह कुछ लोगों को मान्य नहो तो क्या वो भी ऐसे ही सड़क जाम कर धरने पर बैठ जायेंगे? संसद में कौन लोग हैं जो जनहित में कानून नहीं बनाते? अब सरकार को चाहिए कि वह पहले तीनों किसानों के कानूनों को आम जनता के समक्ष प्रस्तुत करे |विपक्ष जब उस पर संसद में विचार करने को तैयार नहीं है और किसानों को सड़क जाम करने प्रेरित कर रहे हैं तो जनता भी तो जाने ऐसे कौन से कानून संसद में पारित हुए जो किसानों के हित में नहीं?
यह भी कटु सत्य है कि स्वराज के पश्चात भी न शिक्षा समान है न चिकित्सा सुविधा समान है और अमीर गरीब के बीच इतनी बड़ी दरार क्यों? एक आदमी को नोट समेटने के लिए बैंक नहीं मिलते बेचारा घरों में बोरों में तकियों में कहाँ कहाँ रखे और दूसरा मजबूरी में भूखा सो जा रहा है यह कैसा प्रजातंत्र है? यदि सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता वास्तव में इमानदार हैं वे वास्तव में जन सेवा के लिए संसद या विधानसभा में जनहित के लिए जनता के चुने गये जनप्रतिनिधि हैं तो क्या वे इस संसद सत्र को सिर्फ और सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों पर ही चर्चा करने को तैयार हैं?
स्वराज के पश्चात मैंने आज तक कभी पिछड़े कभी दलित कभी अल्पसंख्यक कभी महिला और न जाने कितने विषयों पर संसद विधानसभाओं चर्चा होते सुना परन्तु बेचारे गरीब पर कभी कहीं कोई कैसी भी चर्चा होते नहीं सुना क्यों? भारत में सबसे अधिक गरीब यदि कोई है तो वह किसान और मजदूर ही है |गरीब पर चर्चा करने का इससे अच्छा अवसर कभी नहीं होगा यदि मेरे विचार से जनता देश के अमीर गरीब दोनों लेखक युवा पत्रकार सहमत हैं तो इस विचार को अग्रसारित कर संसद तक पहुँचाने में अपना सहयोग करें ……धन्यवाद