निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश और फीस को अपर मुख्य सचिव ने बनाया ”नाक” का सवाल !

अपर मुख्य सचिव के पत्र ने करायी सरकार की किरकिरी
प्रवेश और फीस को लेकर सरकार और निजी मेडिकल कॉलेज आमने -सामने
छात्रों के काउंसिलिंग की तारीख 24 जुलाई निर्धारित
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : प्रदेश में एमबीबीएस फीस को लेकर सरकार और निजी मेडिकल कॉलेजों के बीच जारी विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जहाँ सरकार चाहती है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में उसकी दखलंदाज़ी हो वहीँ निजी मेडिकल कॉलेज इस दखलंदाज़ी को किसी भी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। इस मामले में अपर मुख्यसचिव ओमप्रकाश का वह पत्र अपने आप में सरकार की किरकिरी कराने के लिए काफी है, कि सरकार द्वारा आखिर क्यों निजी मेडिकल कॉलेजों पर मेडिकल प्रवेश को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। मामले को लेकर सूबे के मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन सरकार के इस पत्र से खासे नाराज बताये जा रहे हैं उनका कहना है की जब वे स्वतंत्र रूप से संस्थान चला रहे हैं और राज्यपाल द्वारा उन्हें स्वतंत्र विश्वविध्यालय की मान्यता मिली हुई है और प्राइवेट यूनिवर्सिटी को अपनी फीस तय करने और सीट शेयरिंग का अधिकार है तो फिर इसमें सरकार की दखलंदाजी क्यों? वहीँ राज्य सरकार का कहना है कि निजी कॉलेजों को सरकार की तरफ से निर्धारित फीस माननी होगी। मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव के पत्र के बाद जहाँ सरकार और निजी विश्व विद्यालयों में ठन गयी है वहीँ इस विवाद में सैकड़ों छात्र कन्फ्यूज की स्थिति में हैं वह भी तब जब छात्रों के काउंसिलिंग की तारीख 24 जुलाई निर्धारित की गयी है।
वहीँ यह भी गौरतलब है कि उत्तराखंड में 16 अगस्त से एमबीबीएस काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है और 31 जुलाई तक राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन होने हैं। लेकिन उससे पहले सरकार और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। राज्य का चिकित्सा शिक्षा विभाग एडमिशन के लिए काउंसलिंग करवा रहा है और विभाग का कहना है कि फीस राज्य द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर ली जाएगी। वहीं प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों का कहना है कि यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत उन्हें फीस तय करने का अधिकार है इसलिए स्टूडेंट्स से वो फीस ली जाएगी जो कॉलेज खुद निर्धारित करेंगे। इसको लेकर गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से बीते दिन मुलाकात की थी प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि उन्होंने आश्वासन दिया था कि मसले का हल निकाल लिया जाएगा और कॉलेजों को अपनी फीस तय करने का हक है। वहीँ फीस के साथ-साथ मसला सीट शेयरिंग को लेकर भी उलझा हुआ है।प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों का कहना है कि सरकार सीट शेयरिंग के लिए उन पर दबाव नहीं डाल सकती। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से उनका कहना है कि अगर सरकार प्राइवेट संस्थान को अनुदान देती हो तो ये संभव हैअन्यथा सरकार इस मामले में दखलंदाजी नहीं कर सकती ।
कुल मिलाकर यह मामला अपर मुख्य सचिव के पत्र के बाद विवादित हुआ है जबकि इससे पहले भी सूबे के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हुए हैं और निजी व सरकारी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए फीस का भी निर्धारण हुआ था लेकिन तब इस तरह का विवाद नहीं हुआ था। मामले को लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि अपर मुख्य सचिव ने पहले तो सूबे के मेडिकल कॉलेजों की निर्धारित सीटों में से आधी के लिए उनसे मोल-भाव किया जब बात नहीं बानी तो 25- 25 सीटों पर आकर अपर मुख्य सचिव अटक गए । इतना ही नहीं निजी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन का कहना है वे 25 सीटों पर प्रवेश पाने वाले छात्रों से उत्तराखंड में सेवा देने का शपथ पत्र भी देने को तैयार हैं।
चर्चाएं तो यहाँ सरे आम यह भी हैं कि अपर मुख्य सचिव से बात न बनने के बाद श्री गुरु राम राय मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक और महंत सरकार की इस तरह की दखलंदाज़ी पर खासे नाराज भी हुए तो सरकार को आनन-फानन में उन्हें मनाने उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को उनके पास भेजना पड़ा लेकिन चर्चाओं के अनुसार लेकिन अपर मुख्य मुख्य सचिव अब इस मामले को अपनी ”नाक” का सवाल बना बैठे हैं। लिहाज़ा इस मामले में कोई सुलह अभी तक नहीं हो पायी है प्रवेश के लिए धक्के खा रहे छात्रों के अभिभवकों का कहना है कि सरकार को उन छात्रों के भविष्य दिखायी दे रहा है और न निजी विश्व विद्यालयों का एक्ट। लिहाजा यह मामला अभी भी ज्यों का त्यों लटका हुआ है।