आम आदमी पार्टी का उत्तराखंड में नहीं कोई वजूद !
हाशिऐ पर जा चुके नेताओं के भरोसे यदि ”आप” चुनाव लड़ने की सोच रही है तो ख़याली पुलाव खाने से किसी को भी क्या हर्ज
गिरिराज उनियाल
देहरादून : आगामी 2022 के चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी अपने लिए जमीन उत्तराखंड में तलाश रही है और उसके नेता प्रदेश में भाजपा सरकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं । जबकि खुद उसका उत्तराखंड में न तो कोई वजूद ही है और न उत्तराखंड की जनता ही उसे कोई तवज्जो ही दे रही है।
आप को लगता है जिस तरह उसने दिल्ली में लोगों को झूठे सब्जवाग दिखाए ,वहीं वे अब इस पहाड़ी राज्य के लोगों को बरगला लेंगे। लेकिन उत्तराखंड की जनता इसके विपरीत है ,यहां उसके लिए यह सब आसान नहीं होगा। यहां का जनमानस राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना मत देता है। उसके लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। उत्तराखंड का जनमानस शिक्षित मतदाता है। वह ऐसे किसी पार्टी के झांसे में आने वाली नहीं है।
राज्य के मतदाता को मालूम है कि इस समय केंद्र और राज्य सरकार में बीच अच्छा तालमेल है। जहां देश में नरेन्द्र तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में त्रिवेंद्र की सरकार जनहित में ऐतिहासिक विकास कार्य कर रही है। आज प्रदेश में विकास ने रफ्तार पकड़ी है। जहां एक ओर केंद्र सरकार द्वारा कई योजना प्रदेश हित में चल रही हैं,चाहे ऑल वेदर रोड हो या फिर ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का कार्य जिस रफ्तार से चल रहा है । उसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं प्रदेश में इस समय संचालित हैं । जो अब धरातल पर नज़र आ रही हैं ।
वहीं राज्य सरकार द्वारा प्रदेश हित में कई कार्य किये जा रहे हैं। रावत सरकार लगातार प्रदेश के विकास में लगी है वह राज आंदोलनकारियों के सपनों का राज्य बनाने की तरफा अग्रसर है। उत्तराखण्ड राज्य देश का एकमात्र राज्य है ,जहां गन्ना किसानों को पूरा भूगतान किया गया। जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है, देश में उत्तराखण्ड एकमात्र ऐसा राज्य है जहां आयुष्मान कार्ड के जरिए सभी को स्वास्थ्य लाभ दिया जा रहा है।
वर्षोंं से लंबित डोबरा चांटी पुल का निर्माण हो चुका है,या राजधानी के फ्लाईओवर का निर्माण ,जो समय से पूर्व बनाये गये है ,गैरसैंण के भराड़ीसैंड़ को ग्रीष्मकालीन राजधानी हो या फिर श्राईन बोर्ड का गठन कर चारधाम में यात्रियों के लिए अच्छी सुविधा उपलब्ध कराना, प्रदेश सरकार के अपने आप में बड़े निर्णय हैं। इसके अलावा रोजगार हो,या पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि पर रावत सरकार का कार्य प्रदेश हित में है। सूर्यधार जलाशय का निर्माण से जहां एक ओर तीस हजार क्षेत्रवासियों को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा वहीं राजधानी में एक नया पर्यटक स्थल बन रहा है । ऐसे ही जलाशय राज्य में कई जगह बनाने का सरकार द्वारा मंजूरी मिल गई है जिनके अस्तित्व में आने के बाद प्राकृतिक अल श्रोत खुद ही फुटने लगेंगे और आस -पास के गांवों को पेयजल उपलब्ध होगा।
इन सबके बावजूद सपनों की सौदागर के नाम से दिल्ली में विख्यात ”आप” पार्टी राज्य में सरकार बनाने का एक झूठा सपना देख रही है यही सपना आज से पहले प्रदेश की जनता को बसपा,सपा, शिवसेना के अलावा यूकेडी तक प्रदेशवासियों को दिखा चुकी हैं। लेकिन उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश में जहां बसपा का हाथी नहीं चढ़ पाया और सपा की साइकिल भी पंचर हो गई वहीं यूकेडी कुर्सी का सपना देखते-देखते विधान सभा चुनाव में पांच से जीरो पर पहुँच गई। तो ऐसे में आपका झाड़ू यहाँ के साफ और स्वच्छ वातावरण वाले प्रदेश में कहां लग पायेगा ये तो आप वाले ही जाने लेकिन एक बात तो बिलकुल साफ़ है कि यहां आपके मंसूबे मंसूबे ही रहने वाले हैं।
उत्तराखंड में भाजपा को तो कोई नुक़सान नहीं पहुंचा रहा है हां, कांग्रेस को जरूर आप झटका लगाने के लिए काम करेगी। भाजपा कार्यकर्ता और उसका संगठन बूथ स्तर तक मजबूती के साथ खड़ा है। संगठन चुस्त दुरुस्त है जहां राज्य में अन्य दलों को कार्यकर्ता तक ढूंढ कर भी नहीं मिल रहे हैं वहीं भाजपा के पास मजबूत कार्यकर्ताओं का एक मज़बूत संगठन है। ऐसे में आप के सामने पहले संगठन और फिर नेता तैयार करने होंगे। इतना ही नहीं आपके पास उत्तराखंड में जितने भी चहरे आज दिखाई दे रहे हैं वे राष्ट्रीय दलों के नकारे हुए चेहरे ही देखने को मिलेंगे, जिन्हे प्रदेश में स्थापित राष्ट्रीय दल किसी न किसी कारण या तो बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं या उनकी निष्ठा पर ये खरे नहीं उतर पाए इसकी लिए ऐस लोगों ने आप का दमन थामा है। ऐसे में हाशिऐ पर जा चुके नेताओं के भरोसे यदि वह उत्तराखंड में चुनाव लड़ने की सोच रही है तो ख़याली पुलाव खाने से किसी को भी क्या हर्ज ।