UTTARAKHAND
विद्यालयी शिक्षा में व्यायाम-योग का महत्व

व्यायाम एक ऐसा मानस शास्त्र है जिसमें मनुष्य जीवन की हर सफलता संयत मन पर निर्भर करती है। मन संयम से अभिप्राय है किसी भी समय एक ही वस्तु पर चित एकाग्र करना। दीर्घकाल तक अभ्यास करने से मन का ऐसा स्वभाव बन जाता है। स्कूली शिक्षा में पुस्तकीय ज्ञान के अलावा संयत जीवन जीने के लिए व्यायाम-योग को प्रमुख स्थान दिया है।….
कमल किशोर डुकलान
वर्तमान समय की व्यस्तम दिनचर्या में जहां मनुष्य को अपने लिए समय निकालना बड़ा मुश्किल है वहीं दूसरों के लिए तो भूल ही जाइए। विद्यालयी छात्रों को जहाँ उनकी पढ़ाई के महत्व के बारे में बताया जाता है, वहीं उन्हें उनके स्वस्थ शरीर के बारे में कम बताया जाता है। वर्तमान सूचना टैक्नोलॉजी के युग में पिछले कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल,टेबलेट इत्यादि हैं।जहाँ विद्यालयी छात्रों को खेल के मैदान में जाकर खेलना-कूदना तथा व्यायाम करना चाहिए था,वह आजकल अपने स्मार्टफोन में व्यस्त हैं। युवा और बड़ों का भी ऐसा ही हाल है। हमें अपनी लाइफस्टाइल को बदलना ही होगा। व्यायाम का महत्व ऐसे में सबको समझना चाहिए,तो चलिए लेते हैं व्यायाम के बारे संपूर्ण जानकारी I
व्यायाम का अर्थ होता है अपने शरीर को नियम पूर्वक अपनी सीमा से आगे धकेलना। स्वास्थ शरीर के लिए व्यायाम अत्यंत आवश्यक हैं। व्यायाम करने से मनुष्य का केवल स्वास्थ्य ही नहीं अपितु दिमाग भी स्वस्थ रहता है।यह शरीर की प्रत्येक बीमारी को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय हैं। व्यायाम करने से हमें अनेकों लाभ होते हैं। व्यायाम हमें शारीरिक स्वस्थता के लिए सबसे ज्यादा सहायता करता है। व्यायाम का महत्व हमें नियमित व्यायाम करके ही मालूम चलता है।
व्यायाम करने के लिए अत्यधिक प्रकाश तथा स्वच्छ हवा का होना आवश्यक है। व्यायाम करने के लिए खुला मैदान सबसे उपयुक्त जगह है। खुले मैदान में खुली हवा का बहाव होता है। व्यायाम का महत्व खुले मैदान में करने से बढ़ जाता है। सुबह और शाम व्यायाम के लिए सबसे लाभकारी समय है। खासतौर पर प्रातः कालीन समय सबसे अनुकूल माना गया है।





