24 अगस्त 2021 को वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता व पूर्व कांग्रेसाध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में वनाधिकार आंदोलन के संयोजन में, एक सर्वदलीय-सर्वपक्षीय धरने का आयोजन विधानसभा के बाहर किया गया। हालांकि इस सर्वपक्षीय प्रतिनिधि मंडल की इच्छा विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन देने की थी ताकि, ज्ञापन में उल्लेखित मांगों पर विधानसभा सत्र में चर्चा हो सके। लेकिन, पुलिस ने, प्रतिनिधि मंडल को विधानसभा के अंदर जाने से रोक दिया, इस पर नाराज होकर, सभी आंदोलनकारी बेरिकेडिंग के पास जमीन पर धरने में बैठ गये।
वनाधिकार आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर समस्त उत्तराखंडियों को 27 % ओ०बी०सी० की आरक्षण की परिधी में लाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आंदोलनकारियों की मुख्य मांग तीन बिंदुओं पर आधारित है :
1. उत्तराखंडियों को OBC घोषित करो।
2. वनों पर हमारे पुश्तैनी अधिकार व हक़-हक़ूक़ बहाल करो।
3. राज्य के लिये भू-क़ानून बनाओ, जिसमें उत्तराखंड की समस्त भूमि शामिल हो।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि जल-जंगल-जमीन की लड़ाई को कमेटियां बनाकर गाँव-गाँव व घर-घर तक ले जाया जाएगा, जिससे राज्य के निवासियों को उनका अधिकार मिल सके।
वनाधिकार आंदोलन के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने कहा कि समस्त उत्तराखंड की भूमि के लिए सख्त भू-कानून की लड़ाई लड़ी जाएगी, जिससे राज्य के निवासियों के हितों की रक्षा की जा सके।
उपरोक्त तीन बिंदुओं पर आंदोलनकारियों ने लगभग 2 घंटे तक धूप, बारिश और उमस का सामना करते हुये, कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
धरना और प्रदर्शन में प्रमुखता से हरीश रावत , किशोर उपाध्याय, सत्यनारायण सचान , प्रेम बहुखंडी , राजकुमार पूर्व विधायक, अभिनव थापर , लालचंद शर्मा , अमरजीत सिंह ,नेमचंद सूर्यवंशी जल,परिणिता बडोनी, शांति रावत , धीरेंद्र प्रताप , मनीष नागपाल ,मथुरा दत्त जोशी , आजाद अली , संग्राम सिंह पुंडीर ,मुकेश लखेरा , दिनेश सकलानी , संतोष पैनली , अशोक वर्मा , संदीप चमोली , दिनेश बडोनी, दीपक चमोली आदि ने हिस्सा लिया और अपने विचार प्रकट किए।