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कोरोना काल:-सेहत के लिए योग,घर पर योग

कमल किशोर डुकलान

देवभूमि मीडिया ब्यूरो। कोरोना की बढ़ती तेज रफ्तार और इसके बचाव में समय-समय पर लगाएं जा रहे प्रतिबंधों से मनुष्य को अशांति,असंतुलन,तनाव,थकान तथा चिड़चिड़ाहट की ओर धकेल रही हैं,जिससे मनुष्य में अनेकों रोग बढ़ रहे हैं तथा रोगों से लड़ने की क्षमता लगातार कमजोर होती जा रही है। ऐसी विषमता एवं विसंगतिपूर्ण जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाये रखने के लिये योग ही एक रामबाण दवा है!

भारतीय संस्कृति के अनुसार 21जून को सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी के अक्ष का झुकाव सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका होता है पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करता है इसलिए इस दिन सूर्य की सबसे ज्यादा रोशनी पड़ती है,जिस कारण 21जून को सबसे लंबा दिन होता है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य का तेज सबसे प्रभावी रहता है,और प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है। इस दिन की एक विशेष खासियत है कि वर्षभर के 365 दिनों में इस दिन योग करने से मनुष्य को लम्बा जीवन मिलता है। भारतीय परम्परा के अनुसार 21 जून को आध्यात्मिक ज्ञान के लिए बेहद अनुकूल माना गया है। इसलिए 21जून को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का फैसला किया।

योग मूलतः भारतीय दर्शन है और भारत की पहल से ही योग दिवस संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। योग और भारतीय संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। योग एक ऐसा अभ्यास है जो हमें शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक रुप से अविश्वसनीय लाभ पहुंचाता है। इतिहास के अनुसार इसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी।हमारे वेदों में योग की सम्पूर्ण व्याख्या की गई है। भगवान शिव को योग के पिता के रुप में उपाधि दी गई हैं। भगवान शिव द्वारा योग का पहला प्रसार अपने सात शिष्यों के बीच किया गया था।
ग्रीष्म संक्राति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को भगवान शिव द्वारा अपने इन सप्त ऋषियों को योग की दीक्षा प्राप्त हुई थी,जिसे शिव अवतरण के रुप में भी मनाते हैं। इसे दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भी इस दिन को योगिक विज्ञान की शुरुआत का दिन माना जा सकता है।

योग केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहने का माध्यम नहीं है। बल्कि यह एक दर्शन है, जिसका आयाम व्यापक है। आधुनिक समय में महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग का जनक माना गया है। महर्षि पतंजलि ने योग को सुगम,सरल और आम मनुष्यों के योग्य बनाया और आस्था,अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर सुव्यवस्थित रूप भी दिया। योग दर्शन छह दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है। इस दर्शन का उद्देश्य मनुष्य को वह मार्ग दिखाना है जिस पर चलकर वह जीवन के परम लक्ष्य की प्राप्ति कर सके। योग के माध्यम से व्यक्ति आत्म-साक्षरता से होकर के परमात्मा से जुड़ता सकता है। मनुष्य की आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का काम योग करता है। योग के माध्यम से मनुष्य अपने मन पर नियन्त्रण रखकर जीवन में सफल हो सकता है।प्राचीन समय में हमारे ऋषि-मुनी योग के कारण ही बहुत स्वस्थ रहा करते थे।
योग मुख्यत: संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ संयुक्त या एकजुट होना है। योग मानव समाज को धर्म,जाति, संप्रदाय और देश से ऊपर मनुष्य को मनुष्य से परस्पर जोड़कर प्रेम और सद्भाव की भावना का विकास करता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो योग हमारी मानसिक और शारीरिक शक्ति दोनों को परिपक्व करने में सहायक है। योग ही हमारे शरीर के विभिन्न भागों को सकारात्मक रुप से प्रभावित करता है। योग की लोकप्रियता ने अपने आप में यह सिद्ध करने में सहायक है कि योग ने कैसे लोगों की जिंदगी पूर्ण रुप से बदली है।योग भारत की प्राचीन परंपरा की एक अमूल्य उपहार है यह मनुष्य के शरीर,मन और बुद्धि के एकत्मता का प्रतीक और प्रकृति के बीच का अद्वितीय सामंजस्य है।योग विचार,संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है।

भारत में योग की शुरुआत के लिए स्वामी विवेकानंद को जाना जाता है। उन्होंने शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण में योग का संदेश सम्पूर्ण विश्व को दिया था। आज योग केवल व्यायाम का विषय नहीं अपितु अपने भीतर एकता की भावना,दुनिया और प्रकृति की खोज का विषय बन रहा है। वर्तमान समय में भौतिकवादी हमारी बदलती जीवन- शैली में योग चेतना बनकर,हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।

आज की दौड़-भाग भरी जिंदगी में हर कोई स्वस्थ रहना चाहता है। बीमारियों से खुद को बचाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं कर रहे हैं। लोग अपनी दिनचर्या में कई तरह के बदलाव कर योग का सहारा ले रहे हैं। योग हमारे जीवन के लिए जरूरी है,हर किसी ने योग को अपनी दिनचर्या का अंग बना दिया है। कोरोना काल में तो योग की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। कोविड से ठीक होने में भी योग की मदद से कई लोगों को लाभ मिला है। हर दिन सुबह उठकर हमें खुद तो योग करना ही चाहिए, साथ ही अपने परिवार के लोगों को भी इसके बारे में बताना चाहिए।

कोरोना महामारी के बचाव में दुनिया भर के लोगों में योग की उपयोगिता,प्रसांगिकता एवं महत्ता बढ़ रही है। दुनियाभर में नये-नये शोध एवं चमत्कृत करने वाले योग के प्रभाव सामने आ रहे हैं। कोरोना महामारी ही नहीं जीवन में सुख, शांति,एकाग्रता,संतुलित विकास में भी योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। कोरोना संक्रमितों ने स्वस्थ होने में नियमित योग करने से अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढाया है।कोरोना जहां श्वसन तंत्र पर हमला करता है,वहीं योग श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करता है। प्राणायाम का अभ्यास करने से हमें कोरोना से लड़ने में मदद मिलती है। कोविड संक्रमण बचाव में लोगों का जीवन योगमय हो, वर्तमान समय में योगा से ही कोरोना के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कोरोना महामारी में योग एक रोशनी बना है, कोरोना की बढ़ती तेज रफ्तार मनुष्य को अशांति, असंतुलन, तनाव, थकान तथा चिड़चिड़ाहट की ओर धकेल रही हैं, जिससे अस्त-व्यस्तता बढ़ रही है,अनेकों रोग बढ़ रहे हैं और उनसे लड़ने की क्षमता कमजोर होती जा रही है। ऐसी विषमता एवं विसंगतिपूर्ण जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाये रखने के लिये योग एक ऐसी रामबाण दवा है जो माइंड को कूल तथा बॉडी को फिट रखता है। वैज्ञानिकों ने भी कोरोना से लड़ाई में योग को ही सबसे अहम बताया। इस बार कोरोना महामारी के चलते संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की 2021 की थीम ‘सेहत के लिए योग,घर से योग’ रखा है।

कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए राज्य सरकारों ने संक्रमण बचाव में पिछले 80-90 दिनों से भी अधिक समय से भीड़भाड़ से बचाव के दृष्टिगत कोरोना कर्फ्यू लगाया है। राज्य सरकारों के इस प्रयोग से काफी हद तक संक्रमितों में कमी आई है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2021 की थीम ‘सेहत के लिए योग – घर पर योग’ रखी गई है। इसका मकसद भी यही है कि पूरी दुनिया में लोग महामारी और लॉकडाउन के चलते सामाजिक दूरी का पालन करें तथा अपने घरों से​ कम से कम बाहर निकलें। इन हालातों में दुनिया के कई हिस्सों में मानसिक तनाव,चिंता और डर के ​चलते कुछ असामान्य मानसिक स्थितियां बनने की भी खबरें हैं। जैसा कि रिसर्च बता चुकी हैं, सामान्य योग के ज़रिये मामूली मानसिक समस्याओं और तनाव पर काबू पाया जा सकता है।

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सभी योग प्रेमी,देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं मंगलमयी शुभकामनाएं।

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