VIEWS & REVIEWS

फरिश्तों से हार रही है ‘मौत’

दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में सुरंग में फंसे लोगों को बचाने में वो दलदल का जर्रा-जर्रा छान रहे

1800 मीटर लंबी टनल में फंसे 35 लोगों को निकालने का अभियान चल रहा है दिन-रात

दीपक फरस्वाण 
एक तरफ जहां जिंदगी का भरोसा टूट रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो आपदा प्रभावितों को बचाने में खुद की जान जोखिम में डाले हुए हैं। दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में सुरंग में फंसे लोगों को बचाने में वो दलदल का जर्रा-जर्रा छान रहे हैं। उनके हौसले और जज्बे के सामने एक के बाद एक मौत हार रही है। फरिश्तों की यह टीम अब तक 12 लोगों को नया जीवन दे चुकी है। इन बेफिक्रों को इस बात की भी चिंता नहीं कि जीवन रक्षा का यह अभियान खुद उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
यह दृश्य चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक के उस स्थान पर हो रहे रेस्क्यू का है जहां बीते 7 फरवरी को हिमस्खलन से आपदा आ गई थी। रैंणी-लाता गांव के पास ग्लेशियर से हिमखण्ड के खिसकते ही धौली गंगा ने बिकराल रूप ले लिया। जलप्रलय आते ही नदी तट पर हाहाकार मच गया। प्रलय इतनी तीव्र गति का था कि उसे देखने के बाद भी लोगों को बचने का मौका नहीं मिला। आसपास के लोग एक-एक कर उसकी जद में आते चले गए। देखते ही देखते ऋषिगंगा और तपोवन हाइड्रोप्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त हो गए। इन निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे दर्जनों श्रमिक प्रलयंकारी मलवे का हिस्सा बन गए।
शुक्र रहा कि देश की इस सीमांत घाटी में मोबाइल नेटवर्क मौजूद था। प्रत्यक्षदर्शियों ने प्रलय की फोटो सोशल मीडिया में पोस्ट कर नदी के निचले इलाकों में रह रहे लोगों को एलर्ट कर दिया। जोशीमठ तक पहुंचते-पहुंचते ये मलवा करोड़ों की क्षति कर चुका था। तकरीबन दो सौ लोग आपदा में लापता हो गए थे। घटना की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ और आईटीबीपी हरकत में आ गई।
एसडीआरएफ की पांच और आईटीबीपी की दो टुकड़ियां मौके पर पहुंच गईं। उनके पहुंचने से पहले प्रभावित क्षेत्र मलवे में तब्दील हो चुका था। चारों ओर बर्बादी के निशां मौजूद थे। दलदल में चलने लायक नहीं था तो जवान रस्सी के जरिए से आसपास की पहाड़ियों से नीचे उतरे, फिर शुरू हुआ रेस्क्यू। सबसे पहले मलवे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया। उसके बाद हाइड्रोप्रोजेक्ट्स के लिए बनाई गई दो सुरंगों के में से छोटी सुरंग से 12 लोगों को सुरक्षित बचाया गया। कुछ शव भी मलवे से निकाले गए, जिनकी संख्या कुल 32 तक पहुंच चुकी है।
अब वायुसेना और एनडीआरएफ के जवान भी इस रेस्क्यू अभियान में शामिल हो चुके हैं। जिन 13 गांवों का सम्पर्क ब्लॉक मुख्यालय जोशीमठ से टूट चुका है उनमें ये जवान रसद और जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं। इन जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत खुद उनके बीच घण्टों तक मौजूद रहे। बड़ी सुरंग, जोकि तकरीबन 1800 मीटर लंबी है उसमें फंसे 35 लोगों को निकालने का अभियान दिन-रात चल रहा है। चूंकि टनल बेहद लम्बी है और मलवे से भरी है लिहाजा ऑक्सीजन सिलेण्डर के साथ जवान इसके भीतर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। आपदा प्रभावित लोगों का कहना है कि उनके लिए ये जवान ईश्वर से कम नहीं हैं।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »