UTTARAKHAND
मुख्यमंत्री ने किया उत्तराखंड के पहले बाल मित्र थाने का उद्घाटन


देहरादून : प्रदेश के नौनिहालों को अपराध से दूर रखने और जो अपराध की दुनिया में कदम रख चुके हैं उन्हें अपराध के बारे में जानकारी देने और उनकी काउंसिलिंग करने उद्देश्य से शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश के पहले ऐसे बाल थाने का उद्घाटन किया।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी भी इस अवसर पर मौजूद रहीं यह बाल थाना उन्ही के प्रयासों से खुल पाया है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आयोग की ओर से विगत कई सालों से बाल मित्र थाने को खोलने की मांग उठाई जा रही थी, जो मुख्यमंत्री शर त्रिवेंद्र रावत ने पूरी की है। उत्तराखण्ड बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष श्रीमती ऊषा नेगी ने कहा कि पुलिस के सहयोग से प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे। इन थानों में बच्चों के काउंसलिग की व्यवस्था भी की जायेगी। उन्हें कहा कि इसके लिए पुलिस विभाग को 13 लाख रूपये दिये जायेंगे।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस थाने के लिए एक करोड़ रुपये की धनराशि देने की भी घोषणा की है। बाल मित्र थाने में बाल आयोग के सदस्य वकील व बेहतर काउंसलर उपलब्ध होंगे जो बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें अपराधों से दूर रखने की कोशिश करेंगे। थानों में आने वाले बच्चाें को बहुत ही ज्यादा सौहार्द पूर्ण माहौल मिलेगा। ताकि बच्चों में अपराध के प्रति जारूकता आए और वे अपराध की दुनिया में जाने से बचेंगे।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि बाल मित्र थाने बच्चों की काउंसलिंग बेहतर तरीके से की जाएगी। किसी भी अपराध में यदि बच्चों का नाम आता है तो वे पुलिस से भयभीत न होकर यहां आ सकेंगे। इसके साथ ही कुछ ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनके साथ बच्चे होते हैं तो वे भी यहां पर खेल सकेंगे। यही नहीं यदि कोई गायब बच्चा ढूंढने के बाद थाने लाया जाता है तो उसके लिए भी यहां अच्छा माहौल मिलेगा।
उन्होंने बताया इस तरह के थाने में एक बाल अधिकारी को भी तैनात किया जाएगा, जोकि बच्चों का ध्यान रखेगी। इस व्यवस्था का मकसद बाल अपराधियों को सुधारना है। अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए थाने की दीवारों पर कार्टून और परिसर में खेल के सामान भी रखे गए हैं। भविष्य में इस तरह के बाल थाने प्रदेश के अन्य जिलों में खोले जाने की योजना है , जिसपर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और पुलिस के उच्चाधिकारी विचार कर रहे हैं। Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.