UTTARAKHAND

मुख्यमंत्री ने किया उत्तराखंड के पहले बाल मित्र थाने का उद्घाटन

बच्चों में अपराध करने की प्रवृति पर रोक लगाना आसान होगा : मुख्यमंत्री

बच्चों की सुरक्षा के लिए एक करोड़ रूपये की रिवोल्विंग फण्ड की व्यवस्था की जायेगी-सीएम
 सभी जिलों में बाल मित्र पुलिस थाना खोला जायेगा- अध्यक्ष बाल संरक्षण अधिकार आयोग 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : प्रदेश के नौनिहालों को अपराध से दूर रखने और जो अपराध की दुनिया में कदम रख चुके हैं उन्हें अपराध के बारे में जानकारी देने और उनकी काउंसिलिंग करने  उद्देश्य से शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश के पहले ऐसे बाल थाने का उद्घाटन किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा इस तरह के थानों से बच्चों में अपराध करने की प्रवृति पर रोक लगाना आसान होगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में बाल मित्र थाने के रूप में उत्तराखण्ड में एक नई शुरूआत की गई है। यह पुलिस का एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को जिस माहौल में ढ़ालना चाहें, वे उस माहौल में ढ़ल जाते हैं। इसलिए बच्चों को बेहतर माहौल मिलना जरूरी है। बाल मित्र पुलिस थाने से लोगों को ये लगे कि बच्चों के संरक्षक आ रहे हैं। जो बच्चे अनजाने में अपनी दिशा से भटक जाते हैं, इन थानों के माध्यम से इनको सही दिशा देने के प्रयास किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित बच्चों के लिए सरकारी सेवाओं में 05 प्रतिशत तथा दिव्यांगजनों के लिए भी 04 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। 
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी भी इस अवसर पर मौजूद रहीं यह बाल थाना उन्ही के प्रयासों से खुल पाया है।  इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आयोग की ओर से विगत कई सालों से बाल मित्र थाने को खोलने की मांग उठाई जा रही थी, जो मुख्यमंत्री शर त्रिवेंद्र रावत ने पूरी की है। उत्तराखण्ड बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष श्रीमती ऊषा नेगी ने कहा कि पुलिस के सहयोग से प्रदेश के सभी 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाने खोले जायेंगे। इन थानों में बच्चों के काउंसलिग की व्यवस्था भी की जायेगी। उन्हें कहा कि इसके लिए पुलिस विभाग को 13 लाख रूपये दिये जायेंगे। 
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस थाने के लिए एक करोड़ रुपये की धनराशि देने की भी घोषणा की है। बाल मित्र थाने में बाल आयोग के सदस्य वकील व बेहतर काउंसलर उपलब्ध होंगे जो बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें अपराधों से दूर रखने की कोशिश करेंगे। थानों में आने वाले बच्चाें को बहुत ही ज्यादा सौहार्द पूर्ण माहौल मिलेगा। ताकि बच्चों में अपराध के प्रति जारूकता आए और वे अपराध की दुनिया में जाने से बचेंगे। 
पुलिस महानिदेशक श्री अशोक कुमार ने कहा कि बाल मित्र पुलिस थाना प्रदेश में नई मुहिम शुरू की गई है। हमारा प्रयास है कि हर थाने को महिला एवं चाइल्ड फ्रेंडली बनाया जाय। इससे थाने के नाम से बच्चों के मन में जो भय रहता है, वह दूर होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ऑपरेशन ‘मुक्ति’ के तहत लगभग 2200 बच्चे चिन्हित किये गये। इनको सड़को से भीख मांगने के प्रचलन से बाहर निकाला गया। इस अभियान के तहत ‘भिक्षा नहीं शिक्षा दो’ की मुहिम चलाई गई। आज इनमें से अधिकांश बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस तरह के थानों में बिना किसी भय के बच्चों की बहुत ही प्यार से काउंसलिंग की जाएगी। इस थाने के सफल प्रयास के बाद पुलिस प्रदेश के अन्य जिलों में भी बाल मित्र थाने को खोलने पर विचार कर रही है। इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि बाल मित्र थाना एक बहुत अच्छा कदम है 
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि बाल मित्र थाने बच्चों की काउंसलिंग बेहतर तरीके से की जाएगी। किसी भी अपराध में यदि बच्चों का नाम आता है तो वे पुलिस से भयभीत न होकर यहां आ सकेंगे। इसके साथ ही कुछ ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनके साथ बच्चे होते हैं तो वे भी यहां पर खेल सकेंगे। यही नहीं यदि कोई गायब बच्चा ढूंढने के बाद थाने लाया जाता है तो उसके लिए भी यहां अच्छा माहौल मिलेगा।
उन्होंने बताया कि यदि किसी अपराध में कोई बच्चा पकड़ा जाता है तो उसे बाल थाने में रखा जाएगा। यह अवधि एक दिन से ज्यादा नहीं होगी। बाल थाने में घर जैसा माहौल देने का प्रयास किया जाएगा। थाने में खेलने, पढ़ने आदि की सुविधा मिलेगी।
उन्होंने बताया इस तरह के थाने में एक बाल अधिकारी को भी तैनात किया जाएगा, जोकि बच्चों का ध्यान रखेगी। इस व्यवस्था का मकसद बाल अपराधियों को सुधारना है। अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए थाने की दीवारों पर कार्टून और परिसर में खेल के सामान भी रखे गए हैं। भविष्य में इस तरह के बाल थाने प्रदेश के अन्य जिलों में खोले जाने की योजना है , जिसपर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और पुलिस के उच्चाधिकारी विचार कर रहे हैं। 
इस अवसर पर मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, विधायक श्री खजानदास, महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया बड़थ्वाल, सचिव श्री विनोद रतूड़ी, श्री एच.सी सेमवाल, डीआईजी गढ़वाल श्रीमती नीरू गर्ग, जिलाधिकारी देहरादून श्री आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी देहरादून डॉ. वाई.एस. रावत आदि उपस्थित थे।

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