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देश भर के किसान तीन किसान विरोधी अध्यादेशों के विरुद्ध कर रहे हैं आन्दोलन : हरीश रावत

तीनों कानूनों को संसद में पास कराये जाने के कुप्रयास के विरुद्ध है ये उपवास-मौन व्रत : हरीश 

पूरे देश का किसान आशंकित हैं कि उनकी जमीन व किसानों के अधिकार सब खतरे में

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
उपवास व मौनव्रत की झलकियाँ  
हरीश रावत के अपने उपवास में मौनव्रत में पंजाब प्रभारी होने का अहसास करते हुए उनके उपवास को रेस कोर्स गुरुद्वारे के ग्रंथी ने जूस पिला कर खुलवाया, उन्होंने पंजाब भी उपवास का भेजा संदेश
उपवास – मौनव्रत के दौरान राम धुन लगातार बजती रही उनके साथ बैठे सभी लोग रघुपती राजाराम भी अंत तक गुन गुनाते रहे।
देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्र सरकार के तीन किसान विरोधी अध्यादेश जिनको संसद के माध्यम से कानून बनाकर किसानों की कमर तोड़ने की साजिश के विरोध में शुक्रवार को गांधी पार्क में अपना पूर्व निर्धारित मौन व्रत व उपवास प्रातः पौने दस पर आरम्भ किया। हरीश रावत लगभग सवा नौ बजे गांधी पार्क पहुॅचे थे। उन्होने पार्क के अन्दर पहुँचते ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की मूर्ति पर पुष्पाजंलि अर्पित करने के बाद पौने दस बजे से पौने बारह बजे तक मौन व्रत व उपवास किया।
उपवास-मौन व्रत समाप्ती पर उन्होने कहा कि देश भर के किसान उपरोक्त तीनों काले कानूनों के विरुद्ध आन्दोलन कर रहे हैं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में भी किसान उपरोक्त काले कानूनों के विरुद्ध अपनी आवाजें बुलंद कर चुके हैं तीनों कानूनों को संसद में पास कराये जाने के कुप्रयास के विरुद्ध मेरा ये उपवास-मौन व्रत है।  उन्होंने कहा कि लोकसभा में एक आद विधेयक पास भी हो चुका है।  पूरे देश का किसान आज आशंकित है कि उनकी जमीन व किसानों के अधिकार सब खतरे में है। डैच् यानी नियुन्तम समर्थन मूल्य जो कि किसानों को उसकी फसल पर एक न्यूनतम मूल्य की गारंटी होता है उसको भी समाप्त कर कारपोरेट जगत की कम्पनियों के हितों के लिये खेती व किसानों को बर्बाद करने का षंडयत्र किया जा रहा है।  उन्होंने कहा आज मैं उसी षड़यत्र के विरुद्ध इस उपवास व मौन व्रत पर बैठा हूँ।  पंजाब, उत्तराखण्ड़ व देश के किसानों के साथ मैं अपनी भावनात्मक एकता प्रकट करना चाह रहा हूँ यहीं अहिंसात्मक सत्यग्रह का रास्ता गांधी बाबा ने दिखाया था।
वहीं उन्होने बेरोजगारी पर भी केन्द्र व राज्य सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये हैं तमाम सरकारी व निजी छोटे बड़े उद्योगों से लोगों को रोजगार से वंचित किया जा रहा है।  पहले से चौपट की गई अर्थ व्यवस्था के प्रभाव के कारण व लाकॅड़ाउन में भी लाखों करोड़ो को रोजगार खोना पड़ा है। सरकारें या तो परीक्षायें नहीं करा रही है परीक्षाओं के नतीजे घोषित नहीं किये जा रहे हैं और जो नतीजे पूर्व में घोषित हो चुके हैं उनमें नियुक्तियॉ नहीं की जा रही हैं।
उन्होंने कहा देश व राज्य में लाखों करोड़ो पद रिक्त पड़े हैं बेरोजगार दर दर की ठोकर खाकर घूम रहे हैं। उन्होने कहा कि देश के अन्दर बेराजगारी की दर विभिन्न क्षेत्रों 14 से 27 प्रतिशत के आस पास है परन्तु केन्द्र सरकार चुप्पी मारे बैठी है।  श्री रावत ने उत्तराखण्ड़ मे अपने कार्यकाल में रोजगार के अवसर उत्पन्न करने वाली विभिन्न योजनाओं का खाखा भी खींचा और कहा कि उनके कार्यकाल में विभिन्न विभागों में हजारों नियुक्तियॉ की गई थी, अधिनस्थ कर्मचारी चयन आयोग सहित कई कार्यक्रमों के माध्यम से नियुक्तिया की गई थी मगर आज तो बेरोजगार युवाओं के सामने भयावाह स्थिति खड़ी है। खेती के हल को प्रतीकात्मक रुप से कंधे में रखकर प्रदर्शित किया गया।
हालाँकि उन्होने कार्यकर्ताओं को कोरोना महामारी से बचाव की खातिर मौन उपवास पर शामिल न होने का आग्रह किया था परन्तु फिर भी काफी कांग्रेस कार्यकर्ता व नेता वहां उपवास पर पहुॅचे। मौन व्रत व उपवास को ठीक 11-45 पर गुरु गोविन्द सिंह गुरुद्वारा के ग्रन्थी सरदार बूटा सिंह ने उनको जूस पिलाकर उनका उपवास खुलवाया।
उपरोक्त जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार ने जारी की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री मात्वर सिंह कण्ड़ारी, प्रभुलाल बहुगुणा, जोत सिंह बिष्ट, पूरन सिंह रावत, सुशाल राठी, नंनद सिंह बिष्ट, मनीष नागपाल, गुलजार अहमद, प्रमोद गुप्ता, मोहन काला, आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा, कमलेश रमन, गरिमा दसौनी, शान्ति रावत, परिणाता डोभाल, अनुराधा तिवारी, साधना तिवारी, सरदार अमरजीत सिंह, विशाल मौर्या, रितेश क्षेत्री, हेमा पुरोहित, विकास नेगी, श्याम सिंह नेगी, विनोद चौहान, मौ0 मुस्तफा, सौरभ मंमगाई आदि लोग प्रमुख रुप से उपस्थित रहें।

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