बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान को प्रधानमंत्री कार्यालय मे प्रस्तुत किए जाने की खबर के बाद भड़के तीर्थ पुरोहित
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : केदारनाथ धाम की तर्ज पर बदरीनाथ धाम का भी मास्टर प्लान बनाए जाने को लेकर तीर्थपुरोहितों और हक हकूकधारियों में रोष है। तीर्थपुरोहित संगठन ने भारत सरकार से उनका पक्ष सुनने की अपील की है। पर्यटन व धर्मस्व विभाग की ओर से बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान को प्रधानमंत्री कार्यालय मे प्रस्तुत किए जाने की खबर के बाद से बदरीनाथ धाम तीर्थपुरोहित समाज में नाराजगी है यानि तीर्थ पुरोहित बदरीनाथ धाम का सौंदर्यीकरण नहीं चाहते हैं।
तीर्थपुरोहितों की शीर्षस्थ संस्था श्रीबदरीश पंडा पंचायत ने केंद्र व राज्य सर्कार की इस महत्वकांशी योजना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंडा पंचायत अध्यक्ष कृष्णकान्त कोटियाल ने सरकार के मनमानी पूर्ण रवैये का घोर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी रोजी-रोटी के बाद अब तीर्थपुरोहितों को बेघर करने की तैयारी में है। सरकार कोरोना महामारी का लाभ उठाकर बदरीनाथ में मास्टर प्लान लागू करना चाहती है।
क्योंकि इस समय बदरीनाथ धाम में तीर्थपुरोहितों की कोरोना के चलते कोई मौजूदगी नहीं है। ऐसे में मास्टर प्लान का किसी तरह का विरोध नहीं हो सकता है। श्री बदरीश युवा पुरोहित संगठन ने कहा है कि मास्टर प्लान के नाम पर सरकार धाम में बंद उनके घरों को तोड़ने की साजिश कर रही है, जिसे नहीं होने दिया जाएगा। तीर्थपुरोहितों ने प्रधानमंत्री मोदी से बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर अंतिम मुहर लगाने से पहले उनका पक्ष सुने जाने का आग्रह किया है। तीर्थपुरोहितों ने इस मामले को अखिल भारतीय तीर्थपुरोहित संगठन के सम्मुख रखने की भी बात कही है।
गौरतलब हो कि कुछ दशक पूर्व भी बदरीनाथ धाम के लिए बना मास्टर प्लान तीर्थपुरोहितों के भारी विरोध के चलते लागू नहीं हो पाया था। वहीं बदरीनाथ धाम में देवप्रयाग वासी तीर्थपुरोहितों के अस्सी फीसदी पुस्तैनी घर और भूमि है। ऐसे में उनमें मास्टर प्लान से अपना घर व जमीन खोने की आशंका गहरा गयी है।
मामले में श्री बदरीनाथ धाम तीर्थपुरोहित समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मास्टर प्लान के तहत बनने वाली नई बदरीश पुरी से पहले तीर्थपुरोहितो का पक्ष भी सुनने का आग्रह किया है। तीर्थपुरोहितों का कहना है कि प्रदेश सरकार देवस्थानम बोर्ड के जरिये उन्हें धाम से बेदखल करने का षड्यंत्र रच रही है, जिसे तीर्थपुरोहित किसी तरह सफल नहीं होने देंगे।