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कविता : कोरोना  इति श्री अपनी करो-ना

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देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : कोरोना महामारी को लेकर जहां पूरा विश्व परेशान है, वहीं हमारे देश में कोरोना पर अपने शब्दों में कविताएं बना रहे हैं।  यह सब इसलिए कि पूरी दुनिया ने इस तरह की महामारी पहली बार देखा है, ”देवभूमि मीडिया” ने कोरोना पर बन रही कविताओं या छंदों पर एक नया प्रयोग शुरू किया है आप भी अपनी कविताएं या छंद हमें भेज सकते हैं। हमारा प्रयास होगा हम इन कविताओं या छंदों को देश विदेश तक लाखों लोगों तक पहुंचाएं , इसके लिए आपको हमारे वेब पेज पर ”व्हाट्सएप” आइकॉन पर क्लिक कर हमसे जुड़ना होगा उसके बाद ही आप अपनी रचना हमें भेज सकते हैं। रचना मौलिक और आपकी अपनी होनी चाहिए इस बात का ध्यान आपको जरूर रखना होगा। तो लीजिये आज की पहली रचना एक गृहणी शोभा पराशर  ने हमें भेजी है पढ़िए और कविता का आनंद लीजिये।  

कोरोना  इति श्री अपनी करो-ना। 

कब जन्मे हो?   

 कब जाओगे?

किसी को कुछ भी पता ना।। 

कोरोना ने जन जीवन को, 

अस्त व्यस्त है  कर डाला।

इटली और अमरीका तुझसे, 

पस्त हो   गए   कोरोना ।।

नेता परेशान हो रहे,

गुम सुम बैठे, अभिनेता। 

कवियों की तो मौज आ रही, 

रोज लिख रहे कविता।। 

सिनेमा घर सब बन्द पड़े हैं,

अब दूरदर्शन सब देखोना। 

दूरदर्शन प्रसारित कर रहा, 

रामायण और श्री कृष्णा।। 

पंडित बोलें अपनी वाणी, 

अभी ना जाये कोरोना। 

डाक्टर कहते वैक्सीन नहीं है, 

कैसे जाये कोरोना। 

हर सम्भव प्रयत्न कर रहे, 

सता रहा है कोरोना। 

निधिवन देखा, मधुवन देखा। 

उपवन देखा, तपोवन देखा। 

कभी ना  देखा कोरोना, 

अबतो अपनी इति श्री कर दो। 

घर ना आना कोरोना।। 

कोरोना की भेषज नहीं है। 

शोभा देती मैसेज यही है 

घर में रहना, हाथ है धोना, 

मास्क लगा कर, घूमना। 

अब तो पीछा छोड़ोना। 

इति श्री अपनी करोना।

रचना : शोभा पराशर 

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