UTTARAKHAND

नैनीताल में घातक टफरीना बीमारी से आडू और पुलम की फसल चौपट होने का खतरा

ओलावृष्टि से तबाह हुई फलों की खेती में टफरीना फंगस की लग रही बीमारी

आड़ू और पुलम के पेड़ में पत्तियों को हरा से भूरा करना शुरू कर देती हैं और धीरे-धीरे पेड़ को भी सुखा देती है

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नैनीताल : प्रदेश में इन दिनों कोरोना वायरस का संकट बना हुआ है। लेकिन कोरोना वायरस के खतरे के बीच नैनीताल जिले के पर्वतीय इलाकों में ओलावृष्टि से तबाह हुई फलों की खेती में टफरीना फंगस की बीमारी ने काशकारों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। इस बीमारी की चपेट में आकर और आड़ू और पुलम के पेड़ में पत्तियों को हरा से भूरा करना शुरू कर देती हैं और धीरे-धीरे पेड़ को भी सुखा देती है। 

रामगढ़ , धारी और भीमताल ब्लॉक में सबसे ज्यादा टफरीना बीमारी का प्रकोप

13 और 14 मार्च को नैनीताल जिले के रामगढ़,धारी और भीमताल ब्लॉक में ओलावृष्टि ने काफी नुकसान पहुंचाया था।आडू और पुलम के फूल उस समय खिले हुए थे और भारी ओलावृष्टि से करीब 90% फूल गिर गए। सरकार ने भारी ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए सर्वे भी शुरू कराया लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस संकट पैदा हो गया और सर्वे का काम बीच में रुक गया। आडू और पूनम के पौधों में सबसे पहले फूल आने शुरू होते हैं इस समय इन पेड़ों में फूल खिले हुए थे उसी समय भारी ओलावृष्टि हुई लगातार बारिश ओलावृष्टि और मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण इन फलों में खतरा सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।

नैनीताल जिले में सबसे अधिक आड़ू का होता है उत्पादन

नैनीताल जिले में रामगढ़ मुक्तेश्वर फल पट्टी काफी प्रसिद्ध है।इस फल पट्टी में सेब,आडू, पुलम खुमानी,अखरोट पैदावार की जाती है और उसमें सबसे अधिक उत्पादन आडू का होता है। बीते साल आडु का काफी अच्छा उत्पादन हुआ था। इस साल जनवरी-फरवरी में हुई अच्छी बर्फबारी के बाद काश्तकारों को उम्मीद थी इसका उत्पादन काफी अच्छा होगा। जिले में तल्ला रामगढ़ का आडू पूरे भारत में प्रसिद्ध है लेकिन भारी ओलावृष्टि ने काश्तकारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।पिछले वर्ष आड़ू का उत्पादन 26428 मीट्रिक टन हुआ था जो करीब 1824 हेक्टियर में होता है जबकि पुलम का उत्पादन 6294 मीट्रिक टन हुआ जो 586 हेक्टियर में किया जाता है।

मात्र 15 हजार काश्तकारों ने ही कराया है मौसम आधारित फसल बीमा

नैनीताल जिले में करीब 8 ब्लॉक हैं इसमें फलों का उत्पादन कोटाबाग,रामगढ़,धारी, ओखलकांडा भीमताल ब्लॉक में सबसे ज्यादा होता है।जिले में करीब 40 हजार काश्तकार हैं इनमें से मात्र 15 हजार काश्तकारों ने ही मौसम आधारित फसल बीमा कराया है।नवंबर माह में काश्तकारों को उद्यान विभाग की तरफ से मौसम आधारित बीमा की सही समय पर जानकारी नहीं दी गई जिससे काश्तकारों ने बीमा पर ध्यान नहीं दिया।जिले में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा फलों और सब्जियों का बीमा किया जाता है।जिला उद्यान अधिकारी की भावना जोशी ने बताया कि ये टफलीना फंगस बीमारी से बचाव के लिए काशकारों को नवम्बर माह में ही छिड़काव कर देना चाहिए था।उन्होंने कहा कि इस बार अत्यधिक बर्फ़बारी और ओलावृष्टि से आड़ू और पुलम की फसल को काफी नुकसान हुआ है।

शासन ने जारी किए नुकसान की जिलेवार रिपोर्ट बनाने के निर्देश

सचिव उद्यान आर मीनाक्षी सुंदरम ने नैनीताल, अल्मोड़ा, पौड़ी,रुद्रप्रयाग, चमोली ,पिथौरागढ़ बागेश्वर उत्तरकाशी और टिहरी में 13 और 14 मार्च को हुई भारी ओलावृष्टि के बाद नुकसान के आकलन के निर्देश जारी किए थे। आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि अभी जिलों से रिपोर्ट आनी बाकी है नुकसान की खबरें पहले भी आई थी और जिलों में भी आदेश कर दिए गए हैं। दरअसल यह बीमारी अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि के बाद सामने आती है जब ह्यूमिडिटी बहुत ज्यादा होती है तो सेब,आडू ,पुलम ,खुमानी फलों के पेड़ों में यह बीमारी लग जाती है। इस समय नैनीताल जिले के रामगढ़ भीमताल और धारी ब्लॉक में आडू के पेड़ो पर यह बीमारी लग गई है यह बीमारी पत्तों और फूलों में लगती है। हरे पत्तों को धीरे धीरे ब्राउन कर देती है और कई बार तो पेड़ को सुखा भी देती है।अपने पेड़ों को बचाने के लिए काश्तकारों ने तीन बार कर दिया इस पर लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

आड़ू और पुलम के उत्पादन में आ सकती है कमी

नैनीताल के रामगढ़ मुक्तेश्वर धानाचुली, धारी ,चाफी ,सतबुंगा क्षेत्रों में आडु और पुलम की पैदावार काफी ज्यादा होती है।आडु के पेड़ों पर टफलीना बीमारी से बचाव के लिए काशकारों ने 3 बार स्प्रे कर दिया है।जिले के सभी आठ ब्लॉक में उद्यान विभाग ने ओटोमैटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए है जो नुकसान का आकलन भी करते है और इसके आधार पर नुकसान का प्रारंभिक अनुमान भी लगाया जाता है।आड़ू और पुलम की फसल को 40 से 50 प्रतिशत नुकसान का अनुमान है और अब इस बीमारी के बाद ये नुकसान 90 प्रतिशत तक हो सकता है।

मटर और आलू का उत्पादन भी गिरा

ओलावृष्टि का असर केवल आडु और पूलम पर ही नहीं हुआ बल्कि इसका असर सब्जियों के उत्पादन पर भी हुआ है। नैनीताल जिले में मटर और आलू की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है ।13 और 14 तारीख को जब ओलावृष्टि हुई तो मटर की फसल कई क्षेत्रों में बर्बाद हो गई जबकि अत्यधिक बारिश के कारण आलू के उत्पादन पर भी इसका असर पड़ना तय है।

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