UTTARAKHAND

सोलर ऊर्जा को हाइड्रो प्रोजेक्ट का विकल्प बनाए सरकार : भरत झुनझुनवाला

जलविद्युत परियोजनाओं से बन रही बिजली हो रही है महंगी 

उत्तराखंड महिला मंच और पीपल्स फोरम ऑफ इंडिया के साथ मिलकर खोला  मोर्चा 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

गंगा सुरंगों में जाने के बाद खो रही है अपना गुण

पर्यावरणविद् झुनझुनवाला ने बांधों से गंगा नदी पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नदियों के पानी पर जितना नियंत्रण करेंगे, जितना उनको सुरंगों में डालेंगे, उतना ही वह अपना गुण खो रही हैं। उन्होंने बताया इसके साथ ही गंगा सहित अन्य नदियों का जलीय जीवन भी प्रभावित हो रहा है।

देहरादून । प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं अर्थशास्त्री श्री भरत झुनझुनवाला ने कहा कि वर्तमान में जलविद्युत परियोजनाओं से बन रही बिजली लगातार महंगी हो रही है। वहीं इस तरह की हाइड्रो परियोजनाएं पर्वतीय प्रदेशों के लिए भी समय पर तमाम व्यवधानों के चलते पूरी न होने महंगी साबित हो रही हैं। ऐसे में अब सरकार को चाहिए कि सोलर ऊर्जा को बतौर मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित करें। क्योंकि यह बिजली अब हाइड्रो पॉवर से सस्ती होती जा रही है।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने रुद्रप्रयाग जिले में निर्माणाधीन सिंगोली-भटवाड़ी एवं चमोली जिले में निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना के विरोध में उत्तराखंड महिला मंच और पीपल्स फोरम ऑफ इंडिया के साथ मिलकर मोर्चा खोल दिया है।

भरत झुनझुनवाला ने तर्क देते हुए कहा कि रुद्रप्रयाग में चल रहे सिंगोली-भटवाड़ी परियोजना की नींव वर्ष 2007 में रखी गई थी और इस परियोजना को वर्ष 2013 में शुरू हो जाना था। लेकिन छह साल बाद भी यहां से उत्पादन शुरू नहीं हो सका। वहीं एल एंड टी कंपनी की ओर से बनाया जा रहा बांध 500 करोड़ में बनना तय हुआ था, जो अब 22 सौ करोड़ पर पहुंच गया है। वहीं उन्होंने बताया कि जोशीमठ में टीएचडीसी की ओर से बन रही विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना लगभग पांच हजार 300 करोड़ की है और इसका निर्माण कार्य भी विलम्ब पर विलम्ब होता जा रहा है जिससे इन परियोजनाओं की लागत लगातार बढ़ रही है।

उन्होंने तर्क देते हुए बताया कि इन दोनों परियोजनाएं ऐसे समय में शुरू की गई थी जब हाइड्रो बिजली की कीमत ढाई से तीन रुपये यूनिट थी और सोलर की 12 रुपये प्रति यूनिट। जबकि आज के समय में हाइड्रो बिजली की कीमत छह से लेकर 12 रुपये यूनिट पहुंच गई है, और वहीं सोलर ऊर्जा दो से तीन रुपये यूनिट पर आ गई है। उन्होंने कहा जब हाइड्रो प्रोजेक्ट से महंगी बिजली पैदा होगी तो बिकेगी भी महंगी। इससे देश के लोगों को और प्रदेश सरकार को ही इनके लागत और निर्माण में लेट-लतीफी का भार वहन करना होगा।

उन्होंने कहा ऐसे में अगर सरकार दोनों परियोजनाओं को खुद खरीद कर इनमें इस्तेमाल हो रहे एसैट्स, टरबाइन समेत अन्य सामान को बेच देती है और एग्रीमेंट के अनुसार 75 फीसद कंपनी को भी चुका देती है। इसके बाद भी सरकार लगभग तीन हजार करोड़ के फायदे में रहेगी।

उन्होंने बताया वे इस सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्य सचिव को ज्ञापन और हाई कोर्ट में रिट भी दायर कर चुके हैं। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को उनके विचारों का अध्ययन कर संज्ञान लेने के आदेश भी जारी किए हैं। वहीं, महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत और जयकृत कंडवाल ने कहा कि जल्द ही इन बांधों को हटवाने के लिए प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किए जाएंगे।

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