UTTARAKHAND

सीबीआई के सामने सच के ख़ुलासे की चुनौती !

एफआईआर दर्ज हुई तो सूबे की सियासत में आ गया भूचाल! 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री और सत्ता के लालच के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में आरोपित हरीश रावत पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज क्या की तो उत्तराखंड की सियासत में भूचाल आ गया। मामले का सबसे रोचक पहलू तो यह है कि एफआईआर में जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं जिनकी सरकार पर भाजपा ने सेंध लगाई उनका नाम एफआईआर में शामिल है तो दूसरी तरफ डॉ. हरक सिंह रावत हैं जिन्होंने राज्यपाल शासन के दौरान सीबीआई जांच की मांग की थी और तीसरा व्यक्ति वह है जिसने हरीश रावत से मोलभाव किया और डॉ. हरक सिंह रावत की हरीश रावत से राष्ट्रपति शासन के दौरान फ़ोन से बात कराई थी।

सबसे आश्चर्य इस बात तो यह है कि मामले में शिकायत करने वाले तत्कालीन सरकार में कृषि मंत्री तथा वर्तमान में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ हरक सिंह रावत का नाम भी शामिल किए जाने से प्रदेश की जनता भी चकित है, लेकिन इस सब घटनाक्रम के बीच पिछले कई महीनों से समाचार पत्र तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कयास लगाए जा रहे थे कि हरीश रावत पर सीबीआई मुकदमा दर्ज करा सकती है किंतु अचानक कयास यथार्थ परिवर्तित होकर सामने आता जाता है और शिकायतकर्ता के नाते प्रदेश के कद्दावर नेता डॉ. हरक सिंह रावत का नाम शामिल किया जाता है। डॉ.हरक सिंह रावत के नाम के एफआईआर में शामिल होने से प्रदेश में ब्रेकिंग न्यूज़ का भूचाल आ गया है।

गौरतलब हो कि डॉ. हरक सिंह रावत का राजनीतिक जीवन जहां तमाम संघर्षों से भरा हुआ रहा है वहीं उनकी उनके द्वारा उत्तराखंड के लिए किये गये कार्य भी कुछ कम उपलब्धियों से भरे नहीं हैं। तत्कालीन उत्तरप्रदेश के दौरान उनके द्वारा बागेश्वेर , रुद्रप्रयाग और चम्पावत जिलों की यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती से करवाए जाने सहित कई ऐसे कार्य हैं जो उनके नाम आज भी शुमार हैं ।

डॉ.हरक सिंह रावत जैसे नेता का नाम इस मामले में आने के बाद मरी हुई खबर में जान तो आ गयी लेकिन साथ ही एफआईआर में तीसरे व्यक्ति के नाम के सामने आ जाने के बाद सीबीआई की ज़िम्मेदारी और अधिक बढ़ गयी है कि वह इस सच को भी सामने लाए कि आखिर क्या कोई व्यक्ति पत्रकार का लबादा ओढ़कर सरकारों को ब्लैकमेल करने का खेल कैसे खेल सकता है और कैसे स्टिंग करके अरबों पति बन सकता है जबकि देश ही नहीं उत्तराखंड राज्य में  ऐसे व्यक्ति से पहले के तमाम ऐसे पत्रकार हैं जो आज भी कलम और जूते घिस-घिस कर बामुश्किल दो जून की रोटी की कमा पाते रहे हैं।

हालाँकि डॉ.हरक सिंह रावत एफआईआर में उनके नाम को जोड़े जाने को जांच का सामान्य प्रोसेस ही मानते हैं । उनका मानना है कि यह तो अब जांच पूरी होने तथा सीबीआई की अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश किए जाने के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा।

https://youtu.be/dBFU0EJE7DE

[contact-form][contact-field label=”Name” type=”name” required=”true” /][contact-field label=”Email” type=”email” required=”true” /][contact-field label=”Website” type=”url” /][contact-field label=”Message” type=”textarea” /][/contact-form]

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »