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प्रधानमंत्री मोदी के काम अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की तरह : न्यूयार्क अटार्नी

आतंक का सफाया करना बेहद जरूरी

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद जो हुआ वह इसके लिए मोदी सतर्क और तैयार थे। इसमें कोई नुकसान, युद्ध नहीं हुआ। कोई इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं थी तो आतंकी भी कुछ नहीं कर सके।

न्यूयॉर्क  : लोगों के अधिकार और आजादी के मायने कायम रखने के लिए आतंक आ सफाया जरुरी है। यह बात अमेरिकी संसद में एक भारतीय-अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कही। उन्होंने पाकिस्तान को इशारों ही इशारों में लताड़ते हुए कहा, आप घर से बाहर नहीं आना चाहते, क्योंकि आपको डर है कि कहीं विस्फोट की चपेट में नहीं आ जाएं, क्योंकि सीमापार से आतंकवाद रोजाना की बात बन गई है और स्थानीय स्तर पर आतंकियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में मानवाधिकारों की चाहत रखने से पहले हर कोई चाहता है कि वह जिंदा रहे।

न्यूयॉर्क के अटॉर्नी रवि बत्रा ने दक्षिण एशिया में हो रहे मानवाधिकारों पर अमेरिकी संसद कांग्रेस की उप समिति के समक्ष यह बात कही। उनका यह बयान तब आया, जब कई अमेरिकी सांसदों ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद राज्य में हो रहे मानवाधिकारों के महत्व पर जोर दिया था। उन्होंने एशिया, प्रशांत और परमाणु अप्रसार पर सदन की विदेश मामलों की उपसमिति के समक्ष मुंबई हमले का जिक्र करते हुए कहा, 26/11 को लेकर हमें माफी मांगनी चाहिए।

बत्रा ने कहा, मुंबई में 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले के लिए मैं चाहता हूं कि भारत से माफी मांगी जाए, उस हमले में यहूदी और अमेरिकियों को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने चुन-चुनकर मारा था। तब मैंने संयम बरतने के लिए कहा था, मैं उस दौरान गलत था।

मोदी ने लिंकन की तरह उठाए असाधारण कदम

बत्रा ने कहा, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कानूनी अधिकार प्राप्त करने के लिए कानूनी संशोधन जैसे असाधारण कदम उठाए और फिर कश्मीर में सीमापार या घर में छिपे आतंकियों को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षों बलों की तैनाती की।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने का समर्थन करते हुए कहा, मोदी ने यह कदम सभी भारतीयों को समान अधिकार और स्वतंत्रता देने के अपने वादे को पूरा करने के लिए उठाया। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ जो हुआ वह इसके लिए सतर्क और तैयार थे। इसमें कोई नुकसान, युद्ध नहीं हुआ। कोई इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं थी तो आतंकी भी कुछ नहीं कर सके।

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