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AIIMS ऋषिकेश में शुरू हुआ स्तन कैंसर जनजागरुकता माह

 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

ऋषिकेश । AIIMS ऋषिकेश में स्तन कैंसर जनजागरुकता माह बृहस्पतिवार से विधिवत शुरू हो गया। जिसके तहत विशेषज्ञ चिकित्सकों ने महिलाओं में स्तन कैंसरकी बढ़ती समस्या, इसके कारण व उपचार पर व्याख्यानमाला प्रस्तुत की गयी।माहभर चलने वाले इस मुहिम के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को स्तन कैंसर के प्रति जागरुक किया जाएगा।

संस्थान में बृहस्पतिवार को निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इंटिग्रेटेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक (आईबीसीसी) की ओर से मासिक स्तन कैंसर जनजागरुकता कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में स्पेशल आईबीसीसी की स्थापना की मुख्य वजह मरीजों की सुविधा का खयाल रखना और उन्हें एक ही छत के नीचे स्वास्थ्य परीक्षण, जांच व उपचार मुहैया कराना है।

इस दौरान एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने संस्थान में आईबीसीसी की स्थापना से पूर्व विश्वभर के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों के अध्ययन से संबंधित अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि महिलाओं से ब्रेस्ट कैंसर जैसी घातक बीमारियों के प्रति जागरुक रहने की अपील की। उन्होंने बताया कि वैक्सीन द्वारा रोधित बीमारियों के उन्मूलन पर भी जोर दिया।

निदेशक प्रो. रवि कांत ने कहा कि महिलाएं शिक्षा व जागरुकता से स्वयं तो घातक बीमारियों से बच ही सकती हैं दूसरे लोगों को भी बीमारियों के प्रति सचेत कर सकती हैं। बताया कि हरसाल अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर माह के तौर पर मनाया जाता है,लिहाजा इस माह में महिलाओं की सुविधा के लिए पूरे माह हर सप्ताह छह दिन इंटिग्रेटेड ब्रेस्ट कैंसर ओपीडी का संचालन सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक किया जाएगा।

आईबीसीसी की चेयरपर्सन प्रो. बीना रवि ने स्तन कैंसर से अधिक उसकी रोकथाम पर जोर दिया। प्रो. बीना रवि ने बताया कि नवीनतम आंकड़े प्रस्तुत कर बताया कि किस तरह से स्तन कैंसर भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाले विभिन्न तरह के कैंसर रोग में सबसे अधिक प्रभावित करने वाली बीमारी है।

चिकित्सा अधीक्षक डा. ब्रह्मप्रकाश ने जनजागरुकता से ब्रेस्ट कैंसर जैसी घातक बीमारी की रोकथाम में भूमिका से जुड़े अनुभव विद्यार्थियों के साथ साझा किए। उन्होंने जोर दिया कि सभी को सभी प्रकार की घातक बीमारियों को लेकर सामाजिक जनजागरण का कार्य करना चाहिए, जिससे स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार किया जा सके।

डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने कैंसर से प्रभावित मरीजों के आखिरी अवस्था में अस्पताल पहुंचने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने इसे जनजागरुकता की कमी का नतीजा बताया। डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता का मानना है कि मरीज कईदफा विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श लेने की बजाए गैर पेशेवर चिकित्सकों से उपचार प्रक्रिया में उलझ जाते हैं और ऐसे में उन्हें बीमारी की गंभीरता का अंदाजा नहीं होता,जिससे बीमारी बढ़ जाती है, जो अंतिम अवस्था में नियंत्रण से बाहर हो जाती है।

आईबीसीसी के डा. प्रतीक शारदा ने बताया कि संस्थान की ओर से ब्रेस्ट कैंसर जागरुकता माह के तहत 11 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह 6 बजे स्तन कैंसर जनजागरुकता मार्च आयोजित किया जाएगा।

इस अवसर पर प्रो. शालिनी राव, डा. प्रशांत एम. पाटिल, डा. अनुभा अग्रवाल, डा. अनुपमा बहादुर, डा. रूबी गुप्ता, डा. अंजुम,डा. नम्रता गौर, डा.बलराम जीओमर,डा. सोनम अग्रवाल, डा. बीएल चौधरी,डा.मधुर उनियाल,डा. रंजिता कुमारी,डा. अजय कुमार,अशीषा जांगिर आदि मौजूद थे।

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