UTTARAKHAND

पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का निधन

लम्बे समय से बीमार थीं कंचन चौधरी भट्टाचार्य 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड और देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार देर रात निधन हो गया। प्राप्त  जानकारी  अनुसार वे लंबे समय से बीमार थीं। उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करते हुए कंचन की मौत पर शोक जताया। साथ ही दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की।

पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उनके  निधन से उत्तराखंड पुलिस में शोक की लहर है। उन्होंने बताया कि कंचन बेहद सरल और सहज स्वभाव की पुलिस अधिकारी थीं।

वहीं डीजीपी अनिल रतूड़ी समेत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि कंचन अपने कार्यकुशलता से आम लोगों की चहेती पुलिस अधिकारी थीं। उनके निधन से राज्य को भी नुकसान हुआ है।आईजी संजय गुंच्याल, जीएस मर्तोलिया, पुष्पक ज्योति, एसएसपी अरुण मोहन जोशी आदि अधिकारियों ने उनके निधन पर शोक जताया है।

गौरतलब हो कि 1973 बैच की महिला आईपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने वर्ष 2004 में उस वक्त इतिहास रचा था, जब वह उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बनीं। 31 अक्तूबर 2007 को वे पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुई। उनका पुलिस सेवा का पूरा कैरियर शानदार रहा।

सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया। उन्होंने वर्ष 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा। कंचन चौधरी भट्टाचार्य किरण बेदी के बाद देश की दूसरी महिला आईपीएस अधिकारी थीं।उत्तराखंड की डीजीपी बनने के बाद कंचन चौधरी ने देहरादून के कृशाली में घर बनाया था। उनके पति मुंबई में जॉब करते हैं। अक्सर वह गर्मियों की छुट्टी में परिवार के साथ यहां आते थे। उनकी दो बेटी कावेरी और काव्य विदेश में पढ़ाई के बाद में वहीं सेटल हो गईं।

उन्होंने राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से पढ़ाई पूरी की। वहीं, पोस्ट-स्नातक स्तर की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य में दिल्ली-यूनिवर्सिटी से की। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर दूरदर्शन पर सीरियल उड़ान भी प्रसारित हो चुका है।

उन्हें मेक्सिको में 2004 में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत की और से प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित किया गया था। 1997 में प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है।

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