गढ़वाल मंडल की राजनीती बहुगुणा – खण्डूरी परिवार पर जाकर सिमटी

- गढ़वाल मंडल में इन दोनों ही परिवारों का रहा है खासा वर्चस्व
- भाजपा को किसी भी कीमत पर वॉक ओवर देने के मूड में नहीं कांग्रेस !
राजेन्द्र जोशी
देहरादूनः सूत्रों की मानें यदि सब कुछ ठीक -ठाक चला तो उत्तराखंड की सियासत एक बार फिर करवट बदल सकती है।इस बार उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव हेमवती नंदन बहुगुणा और उनकी बहन के खानदान पर जाकर सिमट गयी है क्योंकि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में इन दोनों ही परिवारों का खासा वर्चस्व रहा है। स्वर्गीय हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश -दुनिया में एक राजनीतिक शख्सियत रहे थे,उन्ही के पुत्र विजय बहुगुणा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे जबकि स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा की बहन स्वर्गीय दुर्गा खंडूरी के पुत्र मेजर जनरल (अवकाश प्राप्त) भुवन चन्द्र खण्डूरी भी उच्च सैन्य अधिकारी के पद से सेवानिवृत होने के बाद देश की राजनीति में प्रवेश कर भूतल- परिवहन मंत्री बने जबकि उसके बाद वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने, लगभग तीन दशक तक भाजपा की राजनीति करने बाद इस बार अपने पुत्र मनीष खण्डूरी के कांग्रेस में चले जाने के बाद खण्डूरी परिवार सुर्ख़ियों में है । वहीं लोकसभा चुनाव को लेकर उनके ममेरे भाई विजय बहुगुणा भी अचानक तब सुर्खियों में आ गए है जब वे सिंगापूर से दिल्ली पहुंचे ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड कि पाँचों लोकसभा सीटों पर जहाँ अभी भाजपा का वर्चस्व रहा वहीं कांग्रेस इस बार भाजपा को किसी भी कीमत पर वॉक ओवर देने के मूड में नहीं है ।इसी योजना के तहत कांग्रेस ने सबसे पहले मेजर जनरल (अवकाश प्राप्त) भुवन चन्द्र खण्डूरी के पुत्र को कांग्रेस में शामिल कर दांव खेला है वहीं कांग्रेस ने अब पार्टी से नाराज होकर दल-बल से साथ भाजपा में गए विजय बहुगुणा को एक बार फिर कांग्रेस में लाने की जिम्मेदारी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत सहित पार्टी के उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को सौंपी है । सूत्रों के अनुसार यदि कांग्रेस अपने इस मिशन में कामयाब हो जारी है तो वह पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को टिहरी लोकसभा सीट से भाजपा की माला राज्य लक्ष्मी के सामने लाकर खड़ा कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि हालाँकि कांग्रेस ने इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहित प्रीतम सिंह के नामों पर गंभीरता से विचार किया लेकिन बाद में पार्टी को एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की याद आ गयी कि वे इनसे अच्छे प्रत्याशी हो सकते हैं जिस पर कांग्रेस की प्रदेश इकाई सहित पार्लियामेंट्री कमेटी की हां होने की बाद विजय बहुगुणा के नाम पर एक राय बनी है जो माला राज्य लक्ष्मी को सीधे टक्कर दे सकते हैं,अब इसी योजना पर अब कांग्रेस काम कर रही है। वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा में मंत्री बने एक नेता पर भी कांग्रेस कि नज़र बताई जा रही है लेकिन अभी उनको लेकर कांग्रेस के भीतर काफी विरोधाभाष सूत्रों ने बताया है। हालांकि अभी विजय बहुगुणा की तरफ से कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर उन्होंने स्वीकृति दी है अथवा नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है लेकिन सूत्र बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भाजपा से खासे नाराज बताये गए हैं क्योंकि भाजपा ने उनसे वर्ष 2016 में कांग्रेस को छोड़ने के दौरान जो वायदे किये थे वे उन्होंने पूरे नहीं किये ।
हालांकि सूत्रों ने यह भी कहा है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कभी भी नहीं चाहते थे कि उनकी सरकार को खतरे में डालने वाले किसी भी खलनायक की कांग्रेस में वापसी हो। लेकिन प्रीतम सिंह ने देहरादून में कांग्रेस की परिवर्तन रैली में अपने समर्थकों के जरिये बहुगुणा की कांग्रेस में वापसी का जो ताना-बाना बुना और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के सामने यह सन्देश देने की कोशिश कि गई कि सभा में आया जनसैलाब बहुगुणा की कांग्रेस में वापसी की उम्मीद में देहरादून पहुंची है।