राज्य पक्षी मोनाल से राज्य सरकार को ही नहीं मोह !
- 2008 में मोनाल की गणना में दुर्लभ पक्षी की संख्या 919 पाई गई थी
- 10 वर्षों के दौरान मोनाल की संख्या में अप्रत्याशित कमी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : मोनाल को उत्तराखंड गठन के बाद वर्ष 2000 में राज्य पक्षी का दर्जा तो दिया गया, लेकिन इसके बाद इसे भुला दिया गया। हालांकि 2008 में इसके संरक्षण की ओर सरकार का ध्यान गया और राज्यपक्षी की गणना कराई गई, लेकिन इसके बाद से इस प्रजाति की आज तक कोई गणना नहीं हुई कि इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है या नहीं। एक जानकारी के नुसार बीते इन 10 वर्षों के दौरान मोनाल की संख्या में अप्रत्याशित कमी आई है। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार से लेकर मांसाहार तक इस पक्षी की कमी की वजह हैं।
हिमालयी रेंज में पाई जाने वाले पक्षियों की जिन आधा दर्जन प्रजातियों को दुर्लभ घोषित किया गया है, उनमें मुख्य रूप से वेस्ट्रन ट्रेगोफेन, चीड़ फीजेंट, संटायर ट्रेगोफेन और मोनाल शामिल हैं। सिंधु सतह से 13 हजार फुट की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इस पक्षी को हिमालयी रेंज के सबसे सुंदर पक्षियों में एक माना गया है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, मसूरी, केदारनाथ, पिथौरागढ़, टिहरी, बदरीनाथ, रामनगर, पौड़ी, बागेश्वर आदि के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इसके दर्शन होते हैं। मोनाल का जंतु वैज्ञानिक नाम लेफोफोरस इंपेजिनस है। जनवरी से मार्च तक इसके प्रजनन काल का समय होता है और इस समय की समाप्ति के बाद जुलाई में मादा मोनाल अंडा देती है।
एक माह में इसके बच्चे बाहर निकल आते हैं, लेकिन इसकी संख्या का पता लगाने के लिए राज्य गठन के आठ साल बाद उत्तराखंड सरकार के वन्य जीव संरक्षण बोर्ड ने पहली बार 2008 में मोनाल की गणना कराई थी। उस गणना में पूरे राज्य में इस दुर्लभ पक्षी की संख्या 919 पाई गई थी। कभी यह संख्या हजारों में हुआ करती थी। 2008 में सबसे ज्यादा केदारनाथ में 367 पक्षी देखे गए थे। उसके बाद अब तक मोनाल की दोबारा गिनती नहीं हो पाई है। इसकी संख्या में अप्रत्याशित कमी के पीछे जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार को बड़ा कारण माना जा रहा है। मांसाहारी पक्षी मोनाल के घोंसले में रखे अंडों को नष्ट कर देते हैं।
राज्य पक्षी का दर्जा देने के बावजूद सरकार और वन विभाग ने इस पक्षी को बचाने के लिए किसी तरह की रुचि नहीं दिखाई। वन महकमे ने 2008 की गणना से सबक लेते हुए इसके बसेरों को विकसित करने का निर्णय जरूर लिया था लेकिन इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है।
पक्षी : मोनाल
जंतु वैज्ञानिक नाम : लेफोफोरस इंपेजिनस
प्रवास : उच्च हिमालयी क्षेत्र