ग्रामीणों ने जब मंत्री मदन कौशिक को उत्तरकाशी जाने से रोका !
- नेता घोषणा करते हैं और चले जाते हैं : ग्रामीण
- आंदोलनकारी ग्रामीणों ने मंत्री की फ्लीट को वापस लौटने को किया मजबूर
- प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था कर मंत्री को उत्तरकाशी भेज कर ली राहत की सांस
देहरादून : आंदोलनकारी यदि ठान लें तो वे कुछ भी कर सकते हैं और अपने मकसद में कामयाब भी हो सकते हैं उत्तराखंड आंदोलन इसकी एक मिसाल है। काफी समय से सड़क की मांग कर रहे ग्रामीणों ने शनिवार को उत्तरकाशी जा रहे शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को उनकी फ्लीट से उत्तरकाशी नहीं जाने दिया , हालाँकि मंत्री ने ग्रामीणों के सामने उनकी मांग को सरकार तक पहुंचाने और खुद भी पहल करने को लेकर आंदोलनरत ग्रामीणों से काफी अनुनय-विनय किया लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक नहीं सुनी। आखिरकर जिला प्रशासन ने सड़क के दूसरे किनारे अन्य वाहन व्यवस्था कर मंत्री को उत्तरकाशी भेज कर राहत की सांस ली। जबकि उनकी फ्लीट को वापस देहरादून लौटना पड़ा।
गौरतलब हो कि मसराना किमोई मार्ग के निर्माण को लेकर धरना दे रहे ग्रामीणों सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नेशनल हाईवे 707 ए पर जाम लगा दिया। इस कारण हजारों राहगीर मौके पर फंस गये। वहीं रोड के दोनों ओर तीन किमी लंबा जाम लग गया।
गौरतलब हो कि कांडा गांव जाने के लिए आठ किमी मार्ग की मांग दशकों से करते आ रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन किया गया था जिस पर कहा गया कि उक्त मार्ग राजाजी नेशनल पार्क में कुछ हिस्सा आने से एनओसी नहीं मिल सकती। छह सौ मीटर का क्षेत्र जो राजाजी नेशनल पार्क में था उस पर नोडल अधिकारी के यहां से एनओसी मिल गई थी, लेकिन फाइल वन संरक्षक के यहां लटकी पड़ी है। कई बार ग्रामीणों ने देहरादून जाकर रोड के लिए एनओसी की मांग की लेकिन नहीं दी गई, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त हो गया और आखिरकार उन्होंने आंदोलन का निर्णय लिया।
शनिवार को मौके पर मौजूद आंदोलनकारी जगबीर सिंह ने बताया कि वह लंबे समय से रोड की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही जिस कारण ग्रामीणों को लगातार आक्रोश बढ़ रहा था। क्योंकि कई बीमारों को गांव से पैदल मसूरी लाने तक टब या कुर्सियों में लाना पड़ता था कई रास्ते में ही दम तोड़ चुकें हैं। गर्भवती महिलाओं को बड़ी परेशानी होती थी। इस पर कई बार कहा गया, लेकिन विभाग ने सहयोग नहीं किया। उन्होंने बताया कि जब ग्रामीणों को लगा कि बिना आंदोलन के कार्रवाई नहीं हो सकती तो हाईवे जाम करने का निर्णय लिया।
वहीँ प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को भी जाम में फसने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने भी आंदोलनकारियों से वार्ता की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ। ग्रामीणों को कहना था कि नेता घोषणा करते हैं और चले जाते हैं लेकिन आज तब तक नहीं उठेंगे जब तक मौके पर वन संरक्षक आकर ग्रामीणों के सामने रोड बनाने की घोषणा नहीं करते। मंत्री कौशिक ने काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन नहीं माने जिस पर मंत्री पैदल ही आगे बढ़े उन्हें उत्तरकाशी जाना था जिस पर दूसरे वाहन की व्यवस्था की गई। वे उत्तरकाशी चले गये जबकि उनकी फलीट को वापस देहरादून वापस जाना पड़ा।