फीस बढ़ोतरी के खिलाफ MBBS छात्रों के साथ अभिभावक भी बैठे धरने पर
- जनविरोधी करार दिया अभिभावकों ने फीस बृद्धि के फैसले को
देहरादून : एमबीबीएस छात्रों का फीस वृद्धि के खिलाफ एसजीआरआर मेडिकल कालेज के दूसरे दिन भी धरना जारी है। बुधवार को अब अभिभावक भी कालेज गेट पर छात्रों के साथ धरने पर बैठ गए हैं। इसके अलावा एमडी और एमएस के छात्रों ने भी एमबीबीएस छात्रों के आंदोलन को समर्थन दे दिया है।
गौरतलब हो कि श्रीगुरु राम राय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की फीस में बढ़ोतरी चार लाख से सीधे 19 लाख रुपये कर दी है। मंगलवार को जैसे ही फीस बढ़ोतरी का नोटिस छात्रों को मिला, उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों ने कॉलेज के गेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। छात्रों के हाथ में सरकार के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां भी थीं। छात्रों ने कहा कि इतनी फीस देना उनके बस में नहीं है। कॉलेज में पहले और दूसरे साल के तीन सौ छात्र इस फैसले प्रभावित हो रहे हैं। छात्रों ने कहा है कि जब तक फीस बढ़ोतरी का फैसला वापस नहीं लिया जाता, तब तक वे कक्षाओं में वापस नहीं जाएंगे। छात्र गेट पर ही शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं।
वहीँ निजी मेडिकल कॉलेजों की स्टेट कोटे की फीस काउंसिलिंग से पहले तय न होने से अब छात्र गफलत फंस गये हैं। मेडिकल कॉलेज विवि ने गत साल ही एमबीबीएस लेने वाले स्टेट कोटे के छात्रों से शपथपत्र भरा लिया था। इसमें कहा गया था कि यदि सरकार स्टेट कोटे की सीटों के लिए फीस बढ़ाती है तो छात्रों को बढ़ी हुई फीस देनी होगी और यदि फीस ज्यादा बढ़ी और छात्र उसे देने की स्थिति में नहीं हुए तो भी उन्हें चार साल की फीस चुका कर दाखिला छोड़ना होगा। सभी छात्रों ने शपथपत्र के साथ दाखिला तो ले लिया, लेकिन वो अब एक ऐसे भंवर में फंस गये हैं, जिससे निकलना अब उनके लिये मुश्किल होगा। अगर कोई अभिभावक इतनी फीस चुकाने में सक्षम नहीं होगा और दाखिला छोड़ता है। तो उसे शपथ पत्र के नियमों के तहत चार साल की फीस चुकाकर राहत मिलेगी। यानी सीट भी गंवानी होगी और 76 लाख रुपये भी।
छात्रों से साथ धरने पर बैठे निजी मेडिकल विवि संयुक्त अभिभावक संघ ने फीस बढ़ोतरी को उत्पीड़न करार दिया है। एक पत्रकार वार्ता में संघ के मुख्य संरक्षक रविंद्र जुगरान ने कहा कि वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को निर्देश दिए थे कि निजी विवि में फीस या शुल्क निर्धारण के लिये शुल्क निर्धारण नियामक समिति का गठन किया करेंगे। उसके बाद उत्तराखंड में भी ये समिति का गठन किया गया था। लेकिन, गत दिनों गैरसैंण में हुई कैबिनेट बैठक में फीस को लेकर विधेयक पास कर दिया गया। संघ के अध्यक्ष प्रो वीपी जोशी ने कहा सरकार का ये निर्णय जन विरोधी है। इससे निम्न, गरीब व मध्यम परिवारों के नौनीहाल डाक्टर नहीं बन पायेंगे।