मैं दूंगा हिसाब यदि चौराहे पर आएं त्रिवेंद्र : हरीश रावत

- पूर्व सीएम रावत की वर्तमान सीएम रावत को दी खुली चुनौती !
- मेरे छोड़े खजाने के बूते सरकार ने बांटा कर्मचारियों का वेतन : हरीश
- मेरे वित्तीय प्रबंधन से देश में दूसरे नंबर पर रहा उत्तराखंड : पूर्व मुख्यमंत्री
रुद्रपुर। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिवेंद्र रावत सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि अगर त्रिवेंद्र सरकार में हिम्मत है तो वह आएं और मैं हर चौराहे पर खड़ा होकर हिसाब देने को तैयार हूं। पूर्व मुख्यमंत्री के ये तल्ख तेवर यूं ही नहीं बल्कि इसलिए हैं क्योंकि त्रिवेंद्र सरकार ने पूर्व की हरीश रावत सरकार पर आरोप लगाया था कि हरीश रावत सरकार ने जाने से पहले उत्तराखंड का खजाना खाली कर दिया था। अब इस पर वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री आमने सामने है। हालांकि हरीश रावत पाई पाई का हिसाब देने को तैयार हैं।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ गुरुवार को रुद्रपुर में धरना दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार जनता को परेशान करने के लिए एक के बाद एक फैसले ले रही है। गदरपुर से लेकर नैनीताल तक अतिक्रमण हटाने के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है। क्षेत्र की जनता आने वाले चुनावों में भाजपा को इसका सबक सिखाएगी।
गुरुवार को पूर्व सीएम रावत भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना देने के लिए रुद्रपुर के अंबेडकर पार्क पहुंचे थे । इस दौरान उन्होंने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार अपनी जन विरोधी नीतियों के चलते जनता का विश्वास खोती जा रही है। गदरपुर में अतिक्रमण हटाने के नाम पर जनता का उत्पीड़न किया जा रहा है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बात करने वाली भाजपा की सरकार ने पहले एनएच घोटाले में लिप्त अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए मात्र अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की। अब वन विभाग में भी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर इतिश्री कर दी। पूर्व सीएम के धरने के दौरान पूर्व मंत्री बेहड समेत काफी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस दौरान उनके साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़, जसपुर विधायक आदेश चौहान, सीएम के पूर्व सलाहकार रंजीत सिंह रावत भी मौजूद रहे।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि भाजपा की सदैव से जनविरोधी नीतियां रही हैं। जिसके चलते उनकी सरकारों में विकास कार्य ठप हुए हैं। सूबे का आर्थिक ढांचा चरमरा गया है। कांग्रेस ने सदैव से सद्भाव समभाव के सिद्धात पर चलकर लोगों में प्रेम का संदेश दिया है। हर नागरिक को उसका अधिकार दिलाने का काम किया है। भाजपा के राज में हर तरफ हा हाकार मचा है। सरकारी मशीनरी पूरी तरह से बेलगाम है। आम जनता की समस्याओं को सुना नहीं जा रहा है।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ ने कहा कि रुद्रपुर और किच्छा में अब सरकार व्यापारियों को उजाडऩे की साजिश रच रही है। जबकि पूर्व में गदरपुर के व्यापारियों को उजाड़कर रख दिया है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ क्रिमिनल एक्ट की धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराए जा रहे हैं। कानून का मखौल बनाकर रख दिया गया है। पुलिस प्रशासन पूरी तरह से काननू व्यवस्था बनाए रखने में विफल हो गया है। गरीबों को राशन नहीं दिया जा रहा है। जबकि कांग्रेस ने अपनी सरकार में गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा बिल लाकर उनकी रोजी रोटी का सदैव के लिए प्रबंध करने का काम किया था। इस मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में पूर्व गोपाल सिंह राणा, नैनीताल पूर्व विधायक सरिया आर्या, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष सुभाष बेहड़, ब्लाक प्रमुख दलजीत सिंह, पूर्व विधायक प्रेमानंद महाजन, महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा, जिलाध्यक्ष नारायण सिंह विष्ट, हरीश पनेरू आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।
वहीँ यहां एक मुलाकात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जब उनकी सरकार सत्ता में आई तो राज्य पर 39 हजार करोड़ का कर्ज था और सरकार सत्ता से गई तो 41 हजार करोड़ का कर्ज था। यह कर्ज भी आरबीआई की गाइड लाइन से बहुत कम है। अगर हमने खजाने में पैसे नहीं छोड़े तो त्रिवेंद्र सरकार ने मार्च, अप्रैल, मई और जून का वेतन कहां से दिया। खजाना खाली होता तो ट्रैजरी से चेक बाउंस हो जाते। जबकि सरकार ने नई वसूली जून में शुरू की थी। सरकार ने चार माह मेरे छोड़े खजाने से काटे। त्रिवेंद्र सरकार वसूली नहीं कर पा रही। उनका हाल नाच न जाने आंगन टेढ़ा जैसा हो गया है।
उन्होंने कहा वर्ष 2०16 -17 में मेरे ही वित्तीय प्रबंधन का नतीजा था कि राज्य में साढ़े 19 प्रतिशत राजस्व की बढ़ोत्तरी हुई। जो देश में दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी थी। हमसे पहले कर्नाटक का नंबर था। इसलिए आरोप निराधार है। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा सरकार को चुनौती दे रहा हूं। मैं चौराहों पर खड़ा होने को तैयार हूं। आज भी वहीं अधिकारी काम कर रहे है जो मेरी सरकार में काम कर रहे थे। भाजपा के लोग दस्तावेज के साथ अधिकारियों को लेकर आए और मैं एक एक पाई का हिसाब देने को तैयार हूं।
किसानों को बर्बाद करना चाहती है सरकार
गदरपुर में हुए ध्वस्तीकरण के मामले में उन्होंने त्रिवेंद्र रावत सरकार को निरंकुश कहा। कहा, ध्वस्तीकरण से पहले सरकार को लोगों से बात करनी चाहिए थी। लोग सहयोग करते। लोग मेरे पास आए और मुझे लगा कि इसका विरोध करना चाहिए। वहीं सरकार ने सितारगंज मिल उस समय बंद कर दी जब किसान अपना गन्ना लेकर मिल की ओर जा रहे थे। दूसरी तरह सरकार ने किसानों की तीन सौ करोड़ रोक कर रखा है और अब सरकार गन्ना किसानों को बर्बाद करना चाहती है। धान खरीद के नाम पर भी सरकार ने किसानों को ठगा है।
कब्जे का विरोध किया तो मुकदमे लगा दिए
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिवेंद्र रावत सरकार पर एक और करार हमला करते हुए कहा कि तराई में सत्तारूढ़ दल के लोगों ने जमीनों पर अवैध कब्जे कर रखे है और इसकी एक लंबी लिस्ट है। जब लोगों ने इसका विरोध किया और आवाज उठाई तो उन पर आपराधिक धाराएं लगा दी गई। कानून में हर किसी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। जब लोगों ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की तो लोगों पर आपराधिक धाराएं लगा कर उनका मुंह बंद करने की कोशिश की गई।