नेशनल मेडिकल कमीशन बिल भेजा गया संसद की स्थाई समिति के पास, हड़ताल वापस
- एनएमसी बिल के विरोध में डॉक्टरों ने दी थी अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
- सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा मरीजों का दवाब
- बिल के संसद की स्थायी समिति को भेजे जाने पर डॉक्टरों ने ली हड़ताल वापस
देहरादून : नेशनल मेडिकल कमीशन बिल को संसद की स्थाई समिति के पास भेज दिया गया है। इस खबर के आते ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले पूरे देश में जारी डॉक्टरों की हड़ताल को वापस ले लिया गया है। बिल के विरोध में भारतीय मेडिकल परिषद को हटाने जैसे कई ऐसे प्रावधान थे जिसका देश भर के डॉक्टर विरोध कर रहे थे। वहीँ दूसरी तरफ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को समाप्त करके उसके स्थान पर नेशनल मेडिकल काउंसिलल बिल (एनएमसी) लाने को लेकर देहरादून महानगर में डॉक्टरों के विरोध सहित सूबे में इसका मिला जुला रहा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमसी) से जुड़े प्राइवेट डाक्टरों ने विरोधस्वरूप अपने क्लीनिक सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रखे और ओपीडी और ऑपरेशन नहीं किये। लेकिन बड़े और निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की इस हड़ताल का कोई असर नहीं दिखाई दिया । वहीँ आईएमसी पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता कर सरकार को चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार जल्द ही मांगे नहीं मानती हैं तो फरवरी माह के दूसरे सप्ताह से राज्य के सभी निजी डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
गौरतलब हो कि इस बिल को आईएमएस ने ‘जन और रोगी विरोधी’ करार दिया था। इस बिल को मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सदन में पेश किया और इसके बाद लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने समिति के पास भेजने का निर्देश दिया साथ ही बजट सत्र के पहले रिपोर्ट देने के लिए कहा। इससे पहले मंगलवार सुबह देशभर के निजी और सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने इस बिल के विरोध में पूरे देश में ओपीडी सेवाएं रद्द कर दी थीं. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार इस मुद्दे पर पीछे हटने से तैयार नही है। वहीं संसद में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि कल आईएमए से बात कर उनकी सारी बातें सुनी गई थीं और सरकार का भी दृष्टिकोण बता दिया गया था।
वहीँ मंगलवार को देहरादून नगर सहित आस-पास के शहर व छोटे कस्बों में प्राइवेट क्लीनिकों ने अपनी ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर हड़ताल के विरोध में बंद रखे। हालांकि इन क्लीनिकों में जिन मरीजों को उपचार चल रहा था, उन्हें पहले ही फोन पर सूचना दे दी गई थी। लिहाजा, किसी मरीज को कोई खास दिक्कत नहीं हुई। देहरादून महानगर में लगभग चार सौ के करीब क्लीनिक है। वहीं, बड़े अस्पतालों हिमालयन अस्पताल, महंत इंद्रेश अस्पताल, सेनर्जी , और मैक्स जैसे अस्पतालों में आईएमसी से जुड़े डाक्टरों ने ओपीडी भी देखी और ऑपरेशन भी किये गये।
वहीँ मंगलवार दोपहर 12 बजे आईएमए ब्लड बैंक में आईएमए पदाधिकारियों ने इस मुद्दे पर पत्रकार वार्ता की ,जिसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव डा. डीडी चौधरी ने बताया कि, सरकार ये जो नया बिल ला रही है। ये न केवल गरीब मरीजों के लिये जानलेवा होने वाला है, बल्कि आने वाली डाक्टर पीढ़ी के लिये भी नुकसानदेह है। यह कमीशन भवष्यि के लिहाज से ठीक नहीं है। इसमें कई विसंगतियां हैं।
नेशनल मेडिकल कमीशन के विरोध में मंगलवार को आईएमए के सभी डॉक्टर्स ने हड़ताल रखी।इस कारण प्राइवेट अस्पतालों के कुछ मरीजों को उपचार नहीं मिल पाया। कुछ लोग प्राइवेट अस्पतालों से बिना उपचार के लौटे। वहीँ सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दवाब बढ़ गया। जिससे सरकारी अस्पतालों में मरीजों की इलाज पाने के लिए भारी भीड़ रही।