दारू की दुकान को लेकर डीएम और विधायक में दंगल
मुख्यमंत्री से बात करने के तरीके की बुद्धिजीवी वर्ग ने की भर्त्सना
देहरादून : देहरादून के दौड़वाला इलाके में खुली एक शराब की दुकान के विरोध में मेयर एवं विधायक विनोद चमोली और डीएम के बीच हुए विवाद के बाद डीएम कार्यालय में धरने पर बैठने के दौरान मेयर चमोली की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुई बातचीत का वीडियो ‘दारू की दुकान को लेकर डीएम और MLA में दंगल’ बृहस्पतिवार को जबरदस्त वायरल हुआ। लेकिन जिसतरह से मेयर व विधायक का मुख्यमंत्री से बात करने का तरीका था उसकी बुद्धिजीवी वर्ग ने भर्त्सना की है, उनका कहना है मेयर अथवा विधायक को सार्वजनिक स्थान से मुख्यमंत्री से इस लहेजे में बात नहीं करनी चाहिए थी।
अपनी ही सरकार में मेयर की फजीहत पर लोगों की जुबान पर मेयर के लिए सहानुभूति के बोल थे, तो यह भी कहने वाले बहुत से लोग थे कि हरिद्वार मेयर मनोज गर्ग की तरह चमोली ने भी सरकार की फजीहत करा दी। कइयों ने मुख्यमंत्री से उनके बातचीत के तरीके पर भी सवाल उठाए तो मेयर के समर्थकों की दो टूक राय थी कि इस तरह की जलालत पर किसका खून नहीं खौलेगा?
मुख्यमंत्री ने क्या कहा, इस वीडियो में यह तो सुनाई नहीं पड़ रहा, मगर मेयर ने ऐसा क्या कहा, इस वायरल वीडियो में? देखिये मेयर ने क्या कहा मुख्यमंत्री से और किस अंदाज में…….
…आप सुन लीजिए मेरी बात, मेरा भी मान सम्मान है, मैं वही आपको बताना चाह रहा हूं। अरे! सुन लीजिए, मैंने तीन बजे कार्यकर्ताओं को अवगत कराया कि मैं साढ़े तीन बजे आ रहा हूं। यहां कोई नहीं मिला।
जब मैंने उससे बात की तो बोला आपने मुझसे टाइम नहीं लिया था, डीएम मुझसे बोलेगा टाइम नहीं लिया था। मेयर से ये बोलेगा? कैसे चलेगा? त्रिवेंद्र जी ये नहीं चलेगा। साढ़े 32 साल से राजनीति की है, ये सुनने के लिए नहीं की है। एक डीएम इस तरह पब्लिकली मेरे से ऐसे बात करेगा। नहीं भाई मेरा प्रोटोकॉल है। मेयर भी हूं मैं।
…डीएम ये कह सकता था साहब मैं लेट हो गया। मैं रह गया, सॉरी बोल सकता था। ये बोलेगा, आपने टाइम नहीं लिया मुझसे? आप डीएम से बात करिए। डीएम ये कहेगा मुझसे आप टाइम लें। माननीय मुख्यमंत्री जी आप मुझसे ये करवाना चाहते हैं, मैं डीएम से टाइम लूं?
साढ़े नौ साल में आज मैं पहली बार यहां आया। सुन लीजिए, मैं नहीं आता डीएम कार्यालय। विधायक था मैं अपनी जिम्मेदारी समझकर बात करने आया था। ये ठीक नहीं है, तरीका ठीक नहीं। अरे! डीएम तो हमें…..की नोक पर समझेगा, काहे के जनप्रतिनिधि हैं हम।
काहे की मीटिंग ले रहा है। कमिश्नर की पीसी में बैठा है। पीसी से उठकर 15 मिनट के लिए नहीं आ सकता है। कमिश्नर का आफिस डेढ़ किमी पर है। वो पीसी में बैठा था, 15 मिनट के लिए यहां आकर अपना मैसेज कनवे कर दिया होता, बात खत्म हो गई थी।
मैं कौन सा उनके केबिन में बैठा रहता। आने के बाद जब मैंने कहा तुम लेट हो गए, अरे त्रिवेंद्र जी ऐसे माहौल में ऐसा नहीं होता, आपका प्रधान घसीटा जा रहा है, गाड़ी में लेटा है, आपके लोग वहां पीटे जा रहे हैं, आप देखिए उस वीडियो को।
मैने सवेरे आपसे बात की थी, अब बताओ। आप बिजी रहे होंगे, मैने बाकायदा प्रदेश अध्यक्ष से यह बात कही, आबकारी मंत्री से बात की। क्या करूं, तरीका बताओ? मैं कोई संदेश नहीं दे रहा, इज्जत बचा रहा हूं, मैं अपने क्षेत्र की इज्जत बचा रहा हूं, शराब के ठेके खोले जा रहे हैं, मेरे मना करने के बाद भी खुल रहे हैं।
इसके बाद मैं बोल रहा हूं तो मेरी बेइज्जती करा रहे हैं, मैं अपनी इज्जत बचा रहा हूं, और मैं इससे ज्यादा क्या करूं, अपने डीएम को टाइट करिए, मैंने बोल दिया था, भई मैने बोल दिया था, तीन बजे बात कर सकता था मुझसे। आप एक बात बताओ, अच्छा क्या यह तय है, हम ही डीएम से बात करेंगे, डीएम हमसे बात नहीं करेगा।
आप बता दीजिए। जब मैने तीन बजे मैसेज किया वो मुझसे बात करने नहीं आ सकता, मुझे क्या दिक्कत थी? मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं ये कह रहा हूं, मुझे कार्यालय को अवगत कराता तो मैसेज कर बता देते लेट हो गया हूं, उल्टे बोला, आपने टाइम नहीं लिया, क्या डीएम इस तरह बात करेगा मुझसे, त्रिवेंद्र जी मैं भी जनप्रतिनिधि हूं ,भाई इतने सालों से, मुझसे तो किसी डीएम ने आज तक नहीं बोला टाइम लेकर आओ, आज जिंदगी में पहली बार बोला, टाइम लेकर मैं आज तक कहीं गया नहीं, …अहम नहीं है।
त्रिवेंद्र जी अहम नहीं है। ये तरीका है। ये प्रोटोकॉल है भैया। डीएम सॉरी नहीं कह सकता है क्या, इतना बड़ा आदमी हो गया क्या? क्या डीएम मुझे फोन नहीं कर सकता? इस शहर के मेयर से डीएम फोन पर बात नहीं कर सकता? अब आप बात करिए डीएम से, इसने गलती की है बात करिए।
पब्लिक में कार्यकर्ताओं, मैं तो अंदर बैठा था, मुझे मजबूरी में बाहर आना पड़ा। वो आते ही कहता है, साहब आपने टाइम नहीं लिया है, टाइम क्यों नहीं लिया, डीएम इस लहजे में बात करेगा मुझसे क्या करूंगा मैं, आप मेरी जगह होते क्या उठकर आ जाते, अपने को मेरी जगह रखो न, आपने भी बहुत धरने-प्रदर्शन किए हैं।
बात करो डीएम से, नहीं… सॉरी तो कहना पड़ेगा, ऐसे नहीं चलेगा। उससे पूछ लीजिए, मैं कहां जाऊंगा भाई, कार्यालय में मुझसे बात करना नहीं चाह रहा, मैं यहां छोड़कर जा नहीं सकता। आप ही बताओ कहां जाऊं मैं, नहीं आप उससे बात करिए, आप बात करिए।