‘धर्मयुद्ध’ पर कांग्रेस ने सरकार को फंसाने के लिए बनाया चक्रव्यूह
देहरादून : भ्रष्टाचार के खिलाफ ”धर्मयुद्ध” का एलान करने वाली भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने चक्रव्यूह तैयार कर लिया है। आठ जून से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भ्रष्टाचार ही कांग्रेस का सबसे प्रमुख हथियार बनने जा रहा है।
एनएच-74 मुआवजा घोटाले में सीबीआई जांच की अनुमति न मिलने और एनएचआईए के अफसरों के मामले में केंद्र सरकार के ताजा रुख ने विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का मौका दे दिया है।
बकौल नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के धर्मयुद्ध को समझने के लिए एनएच-74 का प्रकरण काफी है। यह अब तक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार का ही नहीं बल्कि राज्य के संघीय अधिकारों में केंद्र सरकार के अतिक्रमण का भी मामला है।’
सरकार ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करने के लिए लोकायुक्त और ट्रांसफ र कानून बनाने का इरादा जताया, लेकिन सदन में लाए दोनों बिल प्रवर समिति को भेजकर उसने विपक्ष को मुद्दा दे दिया। एनएच-74 के मुआवजा घोटाले में कई अफसरों को सस्पेंड करने और जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति करके सरकार ने अपने इरादे को जाहिर किया, मगर अब यही प्रकरण सरकार के गले की सबसे बड़ी फांस बन गया है।
सीबीआई जांच लटक गई है और एनएचआईए के अफसरों के बचाव में जिस तरह से केंद्र सरकार का रुख सामने आया है, मुद्दों की तलाश में बैठे विपक्ष की मनचाही मुराद पूरी हो गई है। सरकार के धर्मयुद्ध की हवा निकालने के लिए विपक्ष इसी मुद्दे को सबसे बड़ा हथियार बनाने जा रहा है।a
नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने बताया कि एनएच-74 मुआवजा घोटाले में केंद्र और राज्य की सरकारें बेनकाब हो चुकी हैं। केंद्र ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को उत्तराखंड भेजकर साफ कर दिया है कि उसे राज्य सरकार पर विश्वास नहीं है। उसने राज्य के अधिकारों में अतिक्रमण किया है, जबकि संघीय व्यवस्था में राज्य स्वतंत्र है।
उन्होंने कहा कि घोटाले की कार्रवाई से अपने अफसरों को बचाने के आचरण ने राज्य के अफसरों के प्रति फर्क पैदा किया है। ये बेहद गंभीर मामला है। विपक्ष सदन में तब तक चुप नहीं बैठेगा जब तक की सरकार अपना रुख साफ नहीं करती है। सदन के भीतर विपक्ष धरना देगा।
सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि मैं इंदिरा जी को याद दिलाना चाहता हूं कि एनएच-74 का घोटाला पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के समय का है। उन्हें अपनी सरकार के खिलाफ धरना देना चाहिए था। उन्हें तो अपनी सरकार के इस कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए। राज्य सरकार का स्टैंड एकदम साफ है। विश्वास दिलाना चाहता हूं कि सीबीआई जांच होगी और प्रकरण में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के तरकश में एनएच-74 घोटाले के अलावा भी कई तीर हैं। सरकार को असहज करने के लिए विपक्ष गैरसैंण को लाए संकल्प प्रस्ताव को मुद्दा बनाएगा। वाहन दुर्घटनाओं और शहरी निकायों में गांवों को शामिल करने के मुद्दे पर भी सरकार को घेरने की तैयारी है। लोकायुक्त, आबकारी और खनन के मुद्दे पर भी पार्टी घेराबंदी की रणनीति बना रही है।