UTTARAKHAND

प्रत्याशियों को लेकर केदारनाथ विधानसभा में मचा है घमासान

  • प्रभारी मंत्री की पत्नी के पोस्टर व बैनर बने चर्चा का विषय 

  • कांग्रेस कार्यकर्ता ही विरोध में हैं खड़े

  • पूर्व विधायक के बागी बनने के बाद कांग्रेस के पास कोई नहीं मजबूत प्रत्याशी

  • पुरूष प्रत्याशी के साथ रहेगी इस बार केदारनाथ की जनता

  • बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी छाया रहेगा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

रुद्रप्रयाग । प्रदेश में चुनाव की तारीख तय होने से सम्भावित प्रत्याशियों की भी हलचलें बढ़ने लगी हैं। केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार घमासान मचा हुआ है। जहां चमोली की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व जनपद प्रभारी मंत्री राजेन्द्र भण्डारी की पत्नी रजनी भण्डारी के पोस्टर चर्चा के विषय बने हुए हैं, वहीं इस बार जिले में केदारनाथ विधानसभा से नारीमुक्त और रुद्रप्रयाग विधानसभा से बाहरी मुक्त प्रत्याशी का नारा बुलंद है। फिर भी राजेन्द्र भण्डारी कई मंचों से रजनी भण्डारी को अप्रत्यक्ष तौर पर सम्भावित प्रत्याशी के तौर पर प्रोजेक्ट कर चुके हैं।

जिले की केदारनाथ सीट दो बार भाजपा एवं एक बार कांगे्रस के पास साढ़े चार सालों तक रही। इसके बाद विधायक बागी होकर भाजपा में शामिल हो गयी। ऐसे में केदारनाथ विधान सभा में बड़ा महिला चेहरा कांगे्रस के सामने नहीं है। इसी का फायदा लेकर राजेन्द्र भण्डारी अपनी पत्नी की पैरोकारी कर रहे हैं और लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर जनता को अपनी ताकत का भी अहसास करवा रहे हैं। हालांकि इसके पीछे वह यह तर्क भी दे रहे हैं कि तल्लानागपुर में उनकी पत्नी का मायका है और वह कांगे्रस के सिपाही हैं। संगठन जहां की भी जिम्मेदारी देगा उसके अनुसार ही चुनाव लड़ा जायेगा। वहीं जिले के स्थानीय नेता जो टिकट की दावेदारी में लगे हैं उनका साफ तौर पर कहना है कि बाहरी प्रत्याशी का पूरा विरोध किया जायेगा। तब चाहे वो कोई मंत्री हो या फिर उनके रिश्तेदार। सिर्फ मुख्यमंत्री के लिए ही सीट छोडी जायेगी, अन्य अगर प्रत्याशी होता है तो वह चुनाव मैदान में जवाब देंगे।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई श्रीमती शैलारानी के बाद कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा केदारनाथ सीट से नहीं है। दो बार महिला प्रत्याशियों के बाद इस बार यहां से पुरूष को टिकट दिये जाने की मांग की जा रही है और महिलाएं ही स्वयं महिलाओं का विरोध करती नजर आ रही हैं। केदारघाटी में सबसे बड़ा मुद्दा आज भी आपदा का है। साढ़े तीन साल आपदा के गुजर चुके हैं, लेकिन समस्याएं आज भी जस की तस हैं। एक दर्जन झूलापुलों का निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है और रोजगार की दिशा में भी कोई ठोस कदम सरकार ने नहीं उठा पाई है।

इसके अलावा अगर केदारनाथ की बात करें तो भोले के दरबार में विकास के नये आयाम स्थापित करने में सरकार सफल रही है। इस बार केदारनाथ विधानसभा से युवा कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री सुमंत तिवाड़ी का नाम सबसे आगे चल रहा है। युवाओं को मजबूत करने और गांव-गांव में महिलाओं तथा पुरूषों के बीच श्री तिवाड़ी की पकड़ मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान उन्हें केदारनाथ विधानसभा का टिकट दे सकती है। इसके अलावा पूर्व विधायक कुंवर सिंह नेगी का नाम भी इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है, लेकिन श्री नेगी कईं सालों से जनता के बीच से गायब रहे और चुनाव से ठीक दो माह पहले ही दिखने लगे हैं। ऐसे में जनता के बीच इनकी पकड़ काफी कमजोर मानी जा रहा है। इसके अलावा भाजपा से श्रीमती आशा नौटियाल का नाम सबसे आगे है और बागी बनकर भाजपा में शामिल हुई श्रीमती शैलारानी रावत भी टिकट के लिए जीतोड़ की मेहनत कर रही हैं।

पिछले दिनों संघ की रिपोर्ट में श्रीमती आशा नौटियाल का नाम सबसे आगे रखा गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा से श्रीमती नौटियाल को टिकट मिल सकता है। यदि कांग्रेस की ओर से पुरूष को टिकट दिया गया तो भाजपा से मजबूत दावेदारों में नगर पंचायत अध्यक्ष अशोक खत्री जनता की पहली पसंद माने जा रहे हैं। इसके बाद पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, पूर्व दर्जाधारी अजेन्द्र अजय भी दौड़ में शामिल हैं। भाजपा व कांग्रेस के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुलदीप सिंह रावत जनता के बीच मजबूत पकड़ बनाये हुए हैं। वे पिछले दो सालों से जनता के बीच दिख रहे हैं और गरीब, असहाय और निराश्रित लोगों की मदद कर रहे हैं। ऐसे में इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के भी जीतने की संभावना बनी हुई है। कुल मिलाकर देखा जाय तो इस बार केदारनाथ विधानसभा में घमासान मचने के पूरे आसार बने हुए हैं।

devbhoomimedia

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