DEHRADUNUTTARAKHAND

सहस्रधारा में गोल्डन फॉरेस्ट घोटाला उजागर: कोर्ट ने पुलिस को FIR दर्ज कर गहन जांच के आदेश दिए

सहस्रधारा में गोल्डन फॉरेस्ट घोटाला उजागर: कोर्ट ने पुलिस को FIR दर्ज कर गहन जांच के आदेश दिए

देहरादून।

शिकायतकर्ता शाकुल उनियाल ने अर्जी लगाई कि धनौला गांव में कूटरचित दस्तावेजों के जरिये आम लोगों को गोल्डन फॉरेस्ट व नदी की भूमि बेची जा रही है। इस संबंध में उन्होंने सबसे पहले एक फरवरी 2021 को जिलाधिकारी व आयुक्त गढ़वाल को शिकायत देकर कार्यवाही का अनुरोध किया गया।

सहस्रधारा रोड स्थित गांव धनौला में सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंधित गोल्डन फॉरेस्ट और सरकारी भूमि की अवैध बिक्री मामले में अदालत ने शुक्रवार को राजपुर पुलिस को तत्काल मुकदमा दर्ज करके गहन विवेचना का आदेश दिया है। इससे संबंधित याचिका में महानिरीक्षक निबंधन और पुलिस की भूमिका भी सवाल उठाए गए हैं।

अदालत में शिकायतकर्ता शाकुल उनियाल ने अर्जी लगाई कि धनौला गांव में कूटरचित दस्तावेजों के जरिये आम लोगों को गोल्डन फॉरेस्ट व नदी की भूमि बेची जा रही है। इस संबंध में उन्होंने सबसे पहले एक फरवरी 2021 को जिलाधिकारी व आयुक्त गढ़वाल को शिकायत देकर कार्यवाही का अनुरोध किया गया।

उसके बाद उप जिलाधिकारी (सदर) को 15 दिसंबर को फिर शिकायत दी। आरोप है कि उनकी सभी शिकायत को नजरंदाज कर दिया गया। इसी मामले में एक अन्य शख्स की शिकायत पर प्रशासन ने एसआईटी (भूमि) को जांच के आदेश दिए।

एसआईटी ने जांच के बाद शिकायत को सही पाया और 12 अप्रैल 2024 को तत्कालीन महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव को फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया। आरोप है कि उसके बावजूद तीन माह तक मामला बेवजह दबाकर रखा गया।

बाद में महानिरीक्षक निबंधन की ओर से दो जुलाई 2024 को एसएसपी देहरादून को पत्र भेजकर जांच की संस्तुति की गई, लेकिन एफआईआर उसके बाद भी दर्ज नहीं हुई।

शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस ने उनके खिलाफ ही एक मुकदमा दर्ज कर दिया। उन्होंने बीती 27 अगस्त को फिर से पुलिस में शिकायत की। आखिरकार अदालत में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 175(3) के तहत याचिका लगाकर पुलिस जांच का आदेश देने की मांग की।

पुलिस ने मुकदमे में देरी की वजह नहीं बताई

अदालत के जवाब-तलब करने पर पुलिस ने जांच रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें बताया कि इस मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट में आरोपी भरत सिंह नेगी, प्रशांत डोभाल, राजीव तलवार, मनोरमा डोभाल और नीरू तलवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्यवाही की संस्तुति की गई थी,

लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया कि उस संस्तुति पर अब तक क्या कार्यवाही की गई है। पुलिस ने याचिका लगाने वाले शाकुल का इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं बताया, इस आधार पर उसकी शिकायत पर कार्यवाही नहीं की।

अदालत का निर्देश

इस पर तृतीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट साहिस्ता बानों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय से स्पष्ट है कि, शिकायत दर्ज कराने के लिए केवल पीड़ित पक्ष का होना आवश्यक नहीं, अपराध की जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इस आधार पर शाकुल की अर्जी पर संज्ञेय अपराध के तहत संबंधित धाराओं में मामला दर्ज करके गहन विवेचना आवश्यक है।

इस मामले में एसआईटी की संस्तुति पर गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन बेचने से संबंधित कुछ तथ्यों के आधार पर मुकदमा दर्ज करके जांच पूरी की जा चुकी है, जिसमें पुलिस फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले से आपराधिक मुकदमा दर्ज है, जिस पर आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। अब माननीय अदालत ने जिन तथ्यों की जांच का आदेश दिए हैं, उसके अनुसार गहन विवेचना की जाएगी।
-अजय सिंह, एसएसपी देहरादून

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button
Translate »