आरएसएस शताब्दी वर्ष: उत्तराखंड के 1350 स्थानों पर सेवा और संगठन की लहर

Rss शताब्दी वर्ष
उत्तराखंड के 1350 स्थानों पर संघ सक्रिय
देहरादून।
देवभूमि उत्तराखंड में देश की पहले गांव माणा से लेकर राज्य के अंतिम गांव मझोला तक इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सक्रिय है। आरएसएस के सौ साल पूरे होने के अवसर पर संघ शताब्दी वर्ष का शंखनाद हर तरफ सुनाई दे रहा है।
पिछले एक हफ्ते से देवभूमि के विभिन्न स्थानों पर पूर्ण गणवेश में घोष की धुन के साथ कदमताल करते स्वयंसेवकों का पथ संचलन लोगो का ध्यान खींच रहा है। जहां पथ संचलन नहीं हो रहा वहां एकत्रीकरण के बड़े कार्यक्रम हो रहे है।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में 1351 बस्तियां /मंडल है जहां संघ शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की शुरुआत हो चुकी है। इस बार के कार्यक्रमों के क्षेत्र के सबसे पुराने स्वयंसेवक से लेकर नए स्वयंसेवक तक मौजूद रहे ऐसा लक्ष्य रखा गया है। एक जानकारी के मुताबिक अभी तक 50 हजार से अधिक तो स्वयंसेवकों के पूर्ण गणवेश बनाए गए है।
ऐसी जानकारी मिली है कि जहां जहां आपदा प्रभावित गांव है वहां पथसंचलन एकत्रीकरण न होकर ,प्रभावितों की सेवा कार्य संघ के स्वयंसेवकों ने अपने जिम्मे ले रखा है।
जैसे बासुकेदार , छीनाबगढ़ के चार गांवों ,थराली धराली आदि गांवों में संघ की सक्रियता सेवा भाव में व्यक्त की जा रही है।
हल्द्वानी के शताब्दी शंखनाद कार्यक्रम में संघ के सह सरकार्यवाह आलोक जी भी मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। पिथौरागढ़ में 83 साल के पूर्व राज्यपाल पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोशियारी भी तरुण स्वयंसेवकों के साथ बारिश में पथसंचलन करते दिखाई दिए। चमोली में मशकबीन की धुन पर तो बद्रीनाथ में संघ के घोष के संगीत पर हुआ पथसंचलन मन मोहक दृश्य पैदा कर रहा था।
बताया गया है ये पथसंचलन एकत्रीकरण के कार्यक्रम 12 अक्टूबर तक चलेंगे इसके बाद संघ हर घर तक राष्ट्रवाद की दस्तक देने जा रहा है।
संघ ने पंच कर्तव्य, पर्यावरण,स्वदेशी, क़ुटुब प्रबोधन, सामाजिक समरसता और नागरिक कर्तव्य का संदेश प्रत्येक नागरिक को देना है। संघ का मानना है कि राष्ट्र हित में प्रत्येक नागरिक को इस दिशा में आगे लेकर जाना है चाहे वो किसी भी दल का किसी भी संगठन का किसी भी विचारधारा का किसी भी धर्म का क्यों न हो हमने मजबूत राष्ट्र के लिए सबसे संवाद करना है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघ के प्रांत प्रचार प्रमुख संजय कुमार ने बताया कि संघ शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में देवभूमि उत्तराखंड का प्रत्येक परिवार जुड़े ऐसी योजना पर कार्यक्रम रखे गए है।अभी पथसंचलन एकत्रीकरण के कार्यक्रम सफलता पूर्वक चल रहे है, उम्मीद से अधिक स्वयंसेवक ,इन कार्यक्रमों में पूर्ण गणवेश में पहुंचे है, जहां आपदा आई है वहां दूसरे रूप में सेवा कार्यक्रम चल रहे है,आगे छोटे छोटे स्थानों पर हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। हमारा उद्देश्य भारत राष्ट्र को मजबूत राष्ट्र के रूप में देखना है,जिसके लिए सामाजिक समरसता जरूरी है।