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मसूरी वन प्रभाग से 7,000 से ज्यादा सीमा पिलर गायब, आईएफएस अफसर ने मांगी एसआईटी या सीबीआई जांच

मसूरी वन प्रभाग से 7,000 से ज्यादा सीमा पिलर गायब, आईएफएस अफसर ने मांगी एसआईटी या सीबीआई जांच

देहरादून।

उत्तराखंड में मसूरी वन प्रभाग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, प्रभाग क्षेत्र में 7 हजार से ज्यादा पिलर गायब हो गए हैं. यह वह पिलर हैं जो वन क्षेत्र की सीमा को बताते हैं. हैरत की बात यह है कि इसकी जानकारी विभाग के पास पिछले लंबे समय से है. बावजूद इसके आज तक मामले में कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया. चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (CCF) वर्किंग प्लान संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक हॉफ को भी इसकी जानकारी पत्र के जरिए देते हुए मामले में एसआईटी या सीबीआई जांच कराने की बात रखी है.

उत्तराखंड के वन क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर अक्सर कई मामले सामने आते रहे हैं. हालांकि, ऐसे मामलों में सरकार कड़ी कार्रवाई का दावा करती रही है. लेकिन बावजूद इसके एक के बाद एक मामलों के सामने आने से सरकार की भी जमकर फजीहत हुई है. इस बीच अब एक बड़ा खुलासा हुआ है. जिसमें मसूरी वन प्रभाग से 7375 सीमा स्तंभ गायब हुए हैं. हैरानी की बात यह है कि सीसीएफ वर्किंग प्लान इसकी जानकारी दो महीने पहले ही विभाग को दे चुके हैं. लेकिन बावजूद उसके अब तक कोई गंभीर कार्रवाई सामने नहीं आई है.
बड़ी बात यह है कि मसूरी वन विभाग से साल 2023 में ही इतनी बड़ी संख्या में सीमा स्तंभ (पिलर) गायब होने से जुड़ी रिपोर्ट तैयार कर ली गई थी. रिपोर्ट के अनुसार, भद्रीगाड़ से 62 पिलर, जौनपुर से 944 पिलर, देवलसारी से 296 पिलर, कैंपटी से 218 पिलर, मसूरी क्षेत्र से 4133 पिलर और रायपुर क्षेत्र से 1722 पिलर गायब हुए हैं. इस मामले की गंभीरता को समझते हुए चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग प्लान संजीव चतुर्वेदी ने इसकी जानकारी वन मुख्यालय को दी थी. लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

अंदेशा जताया जा रहा है कि सीमा स्तंभ को हटाकर वन क्षेत्र में अतिक्रमण किया गया होगा. हालांकि, इसकी स्पष्ट स्थिति जांच के बाद ही सामने आ सकेगी और इसीलिए आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी ने मामले की एसआईटी जांच करने या न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच करने की बात भी अपने पत्र में लिखी है.
खास बात यह है कि इस पत्र में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के साथ ही उच्च राजनीतिक संरक्षण की संभावना व्यक्त की गई है. यह कहा गया है कि सीमा स्तंभ को षड्यंत्र के तहत गायब करवा कर बड़े पैमाने पर वन भूमि में अतिक्रमण किए जाने की संभावना है.
जाहिर है कि यह मामला सामने आने के बाद अब इस क्षेत्र में काम करने वाले तमाम अधिकारी और कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं. मसूरी वन प्रभाग में कई आईएफएस डीएफओ के तौर पर काम कर चुके हैं, जिनके कार्यकाल की जांच होनी तय है.

वन क्षेत्र के डिजिटाइजेशन को लेकर भी लगातार बात हो रही है, जिसके बाद वन विभाग में इस तरह सीमा पिलर हटाकर अतिक्रमण करने की संभावना खत्म हो जाएगी. हालांकि, सैटेलाइट इमेज के जरिए इन 7000 से ज्यादा सीमा स्तंभ के हटने और उसके बाद अतिक्रमण होने के इस बड़े मामले का खुलासा किया जा सकता है. यही नहीं, यह अतिक्रमण किन अफसर के कार्यकाल में हुए? उन्हें भी इससे चिन्हित किया जा सकता है.

उधर दूसरी तरफ आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अधिकारियों की संपत्ति की भी जांच करने के लिए कहा है, ताकि अवैध कार्यों से आमदनी करने वाले अधिकारियों की पहचान की जा सके.

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