कांग्रेस के विधायक भंडारी BJP में शामिल, कई और बड़े नेता भी हो सकते हैं शामिल
उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका
गढ़वाल से एकमात्र कांग्रेस के विधायक भंडारी भी भाजपा में हुए शामिल, कई और बड़े नेता भी हो सकते हैं शामिल
कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी ने पार्टी से दिया इस्तीफा, भाजपा की सदस्यता ली: कई बड़े नेता भी हो सकते हैं शामिल
बीजेपी में शामिल हुए बद्रीनाथ से मौजूदा विधायक राजेंद्र भंडारी
दिल्ली बीजेपी दफ्तर में की जॉइनिंग
इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, पौड़ी प्रत्याशी अनिल बलूनी भी रहे मौजूद
सूत्रों के हवाले से खबर है कि गढ़वाल और कुमाऊं के और भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जल्द ही पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
बद्रीनाथ से कांग्रेस के विधायक राजेंद्र भंडारी ने पार्टी से इस्तीफा देकर आज दिल्ली में भाजपा पार्टी की सदस्यता ली इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लोकसभा प्रत्याशी अनिल बलूनी प्रदेश प्रभारी उत्तराखंड दुष्यंत कुमार उपस्थित रहे।
लोकसभा चुनाव की दहलीज पर कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है गढ़वाल के सबसे बड़े ठाकुर नेता जिन्हें शेर ए गढ़वाल भी कहा जाता है, राजेंद्र भंडारी जो बद्रीनाथ से सीटिंग विधायक हैं, और उनकी पत्नी जिला पंचायत चमोली अध्यक्ष है, उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। यह अनिल बलूनी की सूझबूझ का ही नतीजा माना जा रहा है, उनके भाजपा में शामिल होने के बाद अब अनिल बलूनी की मुश्किलें कम हो गई हैं, लोकसभा चुनाव में पौड़ी सीट पर अनिल बलूनी को इसका बड़ा फायदा मिलेगा क्योंकि विधायक राजेंद्र भंडारी को जन नेता के रूप में जाना जाता है, कांग्रेस के बहुत ही बुरे दौर के बावजूद भी उन्होंने बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर फतह हासिल की थी, उनकी पत्नी चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी ने उन्हें हटाने की कोशिश की दो बार उन्हें पद से बर्खास्त किया गया लेकिन वह फिर अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं।
राजेंद्र भंडारी की जॉइनिंग दिल्ली बीजेपी के मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, अनिल बलूनी, चुनाव प्रभारी दुष्यंत गौतम की उपस्थिति में हुई जॉइनिंग से पहले उनकी मुलाकात गृहमंत्री अमित शाह से भी करवाई गई, इस बात से विधायक राजेंद्र भंडारी की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। फिलहाल इस सदमे से उबरना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा।