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उत्तराखंड : वन विभाग ने इस खतरनाक गुलदार को मारने की अनुमति दी

पौड़ी : प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी का पत्रांक-2616/6-3-1, दिनांक 05 फरवरी 2024 से अवगत कराया गया है कि दिनांक 03.02.2024 को सांय लगभग 6:30 से 7:30 बजे मा० अंकित (उग्र-11 वर्ष) पुत्र श्री राकेश सिंह, ग्राम-ग्वाड, पो०-खिर्स, पट्टी-चलणस्यूं, पौड़ी गढ़वाल में गौशाला के सामने खेलते समय गुलदार द्वारा हमला किया गया, जिसमें बालक की मृत्यु हो गई।

उक्त घटना के पश्चात पुनः दिनांक 04.02.2024 को मा० अयान अन्सारी (उम्र-04 वर्ष) पुत्र श्री सलाम उद्दीन अन्सारी, ग्लास हाउस रोड़, श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल को रात्रि लगभग 9:00 बजे गुलदार द्वारा घर के आंगन से उठा कर लगभग 20 मीटर तक घसीटते हुये ले जाया गया। परिजनों एवं आस-पास के लोगों द्वारा जय शोर-गुल करते हुये बालक को गुलदार के चंगुल से छुडवाने का प्रयास किया गया तो गुलदार द्वारा काफी समय तक बालक को नहीं छोड़ा गया एवं गुलदार द्वारा परिजनों एवं आस-पास के लोगों को कुछ देर तक उग्रता के साथ देखा गया। उक्त दुखद घटना में भी चालक की मृत्यु हो गई।

 

प्रभागीय वनाधिकारी के अनुसार उक्त क्षेत्र में तैनात गश्ती टीम को पुनः गुलदार रात्रि के 02:00 बजे घटनास्थल पर दिखाई दिया। प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा अधोहस्ताक्षरी को दूरभाष पर घटनाकम से अवगत कराये जाने पर अधोहरताक्षरी द्वारा तत्काल गुलदार को पकडने हेतु पिंजरा लगाने एवं आवश्यकता पडने पर ट्रैक्युलाईज करने की अनुमति प्रदान की गयी। रात में गरती दल को गुलदार के गुरराने की आवाज सतत सुनाई दे रही है, जिससे गुलदार के उसी क्षेत्र में बने रहने की पुष्टि होती है। उक्त क्षेत्रों में कैमरा टैप, पी०आई०पी० एवं गरती दल तैनात किये गये है।

 

उक्त दोनों घटनायें सांयकाल के समय घटित हुई है एवं दोनों घटनाओं के बीच की हवाई दूरी 9.2 किमी0 है। घनी आबादी के क्षेत्र मे गुलदार द्वारा इस प्रकार घात लगाकर हमला करना गुलदारर का सामान्य व्यवहार नही है। दोनों घटनास्थलों के बीच की दूरी एवं हमला करने की प्रणाली के परीक्षण के उपरान्त उक्त दोनों हमलें एक ही गुलदार द्वारा किये जाने की प्रबल संभावना प्रतीत होती है।

प्रयासों के उपरान्त गुलदार के पिंजरें मे पकड मे न आने एवं टैंक्युलाईज न होने के दृष्टिगत एवं क्षेत्र मे हुई दोनों घटनाओं को देखते हुये गुलदार द्वारा पुनः मानव पर हमला किये जाने की सम्भावना से इन्कार नही किया जा सकता है। प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा उपरोक्त के दृष्टिगत गुलदार को नष्ट करने की अनुमति चाही गयी है।

 

प्रभागीय वनाधिकारी के उल्लिखित पत्र द्वारा प्रेपित घटनाक्रम तथा उनसे हुई वार्ता के अनुसार यह प्रतीत होता है कि दोनो घटनाओं के लिए एक ही गुलदार उत्तरदायी होने की संभावना है। इस प्रकार घात लगाकर आबादी के क्षेत्र में छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाया जाना गुलदार का सामान्य व्यवहार नही है। प्रभागीय वनाधिकारी ने इसकी पुष्टि की है कि इस हेतु उत्तरदायी गुलदार की पहचान स्टाफ द्वारा देखे जाने से की गई है।

 

उपरोक्त के क्रम में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 यथा संशोधित 2022 की धारा 11 (1)क से प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रभागीय वनाधिकारी, गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी को उक्त क्षेत्र में गुलदार को पिंजरा लगाकर पकड़ने एवं आवश्यक होने पर ट्रैक्युलाईज कर पकड़ने हेतु दूरभाष पर प्रदान की गयी अनुमति की एतद् द्वारा पुष्टि की जाती है।

 

वर्तमान विषम परिस्थिति में यह समाधान हो गया है कि उक्त गुलदार मानव जीवन के लिए खतरा हो गया है। ऐसे में जन सुरक्षा विशेषकर बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उक्त गुलदार को पिंजड़ा लगाकर पकड़ने अथवा ट्रैक्युलाईज करने के समस्त प्रयास प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा सुनिश्चित किये जाये। यदि गुलदार को पकडने के सम्पूर्ण प्रयासों के उपरान्त भी पकडा न जाये तो ऐसी दशा मे अपरिहार्य परिस्थितियो मे जन सुरक्षा विशेष रूप से छोटे बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इस चिन्हित गुलदार को अंतिम विकल्प के रुप में नष्ट करने की अनुमति प्रदान की जाती है।

 

उक्त अनुमति के दौरान निम्न प्रतिवन्धों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेः- 1. यह आदेश केवल इस घटना हेतु उत्तरदायी गुलदार, जिसे मौके पर प्रभागीय वनाधिकारी की टीम द्वारा चिन्हित किया गया है, हेतु प्रभावी होगा। 2. प्रभागीय वनाधिकारी इस कार्यालय के पत्रांक 179/6-28 दिनांक 25 जुलाई 2022 एवं 203/6-28, दिनांक 27 जुलाई 2022 द्वारा दिये गये निर्देशों का अनुपालन करना सुनिश्चित करेगें।

 

3. क्षेत्र मे कैमरा ट्रैप तथा पी०आई०पी० के माध्यम से गुलदार की उपस्थिति की निगरानी की जाये।

 

यथासंभव ड्रोन द्वारा भी क्षेत्र में निगरानी रखी जाये।

 

4. दोनो घटनाओं के डी०एन०ए० सैंपल का परीक्षण भी तत्काल करा लिया जाये।

 

5. संबंधित वन संरक्षक तथा मुख्य वन संरक्षक घटनाक्रम पर निगरानी रखेंगे एवं आवश्यकतानुसार प्रभागीय वनाधिकारी को मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान करेंगे।

 

6. यह आज्ञा जारी होने के दिनांक से 01 माह तक वैध रहेगी और इस अवधि के उपरान्त स्वतः समाप्त हो जायेगी।

 

7. उक्त आदेश पर कृत कार्यवाही की सूचना तत्काल इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय एवं यदि उक्त 01 माह की समयावधि के भीतर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है तो उसकी सूचना अवधि समाप्त होने की तिथि के अगले कार्यालय दिवस में आवश्यक रूप से इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय।

8. गुलदार को पकडने अथवा अंतिम विकल्प के रूप में नष्ट किये जाने की स्थिति में तत्काल इस कार्यालय को सूचित किया जाये।

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