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बड़ी ख़बर : उत्तराखण्ड के इन मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने वालों को नहीं मिलेगा प्रवेश

हरिद्वार : देश के कई मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने वालों को मंदिर में दर्शन करने से रोक दिया जाता है, जिसको लेकर कई बार विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो चुकी है। वहीं अब उत्तराखण्ड़ में भी 3 बड़े मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने वालों को प्रवेश देने पर रोक लगा दी है। महानिर्वाणी अखाड़े के मुताबिक हरिद्वार के प्रसिद्ध दक्ष मंदिर, ऋषिकेश के नीलकंठ और देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में इसे लागू किया जा रहा है। यह तीनों शिव मंदिर है।

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अखाड़े के श्रीमहंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि जिनका शरीर 80 फीसदी तक ढका होगा, उन्हें ही मंदिरों में प्रवेश दिया जाएगा। अब छोटे वस्त्र पहन कर आने वाली युवक और युवतियों को इन तीन मंदिरों में प्रवेश नहीं मिलेगा। महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े इन मंदिरों में यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू की जा रही है।

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दरअसल इन मंदिरों में कम कपड़े पहन कर आने वाली युवतियों को पहले भी कई बार रोकने का प्रयास किया गया था, लेकिन अब विधिवत रूप से घोषणा की गई है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी का कहना है कि साउथ के कई मंदिरों में युवतियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। चार दिन पहले ही महाराष्ट्र के मंदिरों में भी यह नियम बनाया गया है।

हरिद्वार : दक्ष मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर में लड़कियों के छोटे कपड़े पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गाय है। पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने इसको लेकर एक आदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा की अखाड़े में लड़कियों को छोटे कपड़े में आना प्रतिबंधित कर दिया गया है।

महंत रविंद्र पुरी ने कहा की दक्षिण भारत के बहुत से मंदिरों में यह प्राचीन व्यवस्था है। उसी व्यवस्था का अनुसरण करते हुए हमने यहां भी यही आदेश जारी किया है कि मंदिरों में महिलाएं और बालिकाएं सभ्य परिधान में आएं। छोटे कपड़े पहनकर आने पर मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मंदिर की सुरक्षा में तैनात लोगों को इसका पालन कराना होगा।

रविंद्र पुरी ने कहा कि महिला और बालिकाओं को ऐसे कपड़े पहनकर आना चाहिए, जिसमें कम से कम 80 फीसदी शरीर ढका हुआ रहे। रविंद्र पुरी ने कहा कि आने वाले कांवड़ मेला में किसी तरह का कोई विवाद न हो या आने वाले श्रद्धालु में किसी तरह की कोई गलत विचार न आए इसलिए इस तरह का आदेश जारी किया गया है।

रविंद्र पुरी ने कहा कि मीडिया आज के युग में महत्वपूर्ण बिंदु हैं। इसलिए यह एक अपील भी है कि माताएं अपनी बहनों और बेटियों को यह सिखाएं कि वे मंदिर जाते वक्त जो भी कपड़े पहने वह सभ्यता से परिपूर्ण हो। वहीं, मंदिर आने वाले भक्‍तों का कहना है कि हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यह नियम बहुत अच्छा है और इसे स्वीकार्य किया जाएगा। ऐसे नियम से लोगों को सीख मिलेगी और लोग समझेंगे कि भारतीय सभ्यता कितनी महत्वपूर्ण हैं।

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