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पहाड़ों का अनियोजित विकास! जोशीमठ की त्रासदी का प्रमुख कारण

Unplanned development of mountains! The main reason for the tragedy of Joshimath

जोशीमठ क्षेत्र में समय-समय पर भूस्खलन,भूकंप आदि की घटनाएं होना वहां अनियोजित हाइवे के निर्माण और एनटीपीसी द्वारा संचालित जलविद्युत परियोजनाएं प्रमुख कारण हैं।….

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जोशीमठ त्रासदी के बाद वहां जो भूमि दरकने के कारण जो लोगों को अपने घरों को खाली कराना पड़ा, वह आघातकारी है। जोशीमठ सीमावर्ती क्षेत्र होने के साथ भगवान बदरीनाथ और केदारनाथ का प्रवेश द्वार और देशवासियों के लिए के लिए प्रमुख तीर्थ भी है। उसका अपना एक पौराणिक भी महत्‍व है।

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जोशीमठ में जो आपदा आई,वह किसी वीरान क्षेत्र में आई आपदा से कहीं गंभीर है और इसीलिए राज्‍य सरकार चिंतित भी हैं। पिछले 2014 से केन्द्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है पिछले आठ वर्षों में केंद्र सरकार ने राज्य में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए अनेकों चार धाम परियोजनाएं शुरू की हैं।

वर्तमान तात्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए जमीन धंसने की घटनाओं पर विशेषज्ञों द्वारा यह कहा जा रहा है कि जोशीमठ क्षेत्र में अनियोजित हाइवे के निर्माण और एनटीपीसी द्वारा संचालित जलविद्युत परियोजनाएं प्रमुख कारण हैं। जोशीमठ भगवान बद्रीनाथ जी प्रमुख द्वार होने के साथ-साथ चीनी सीमा से लगा क्षेत्र भी है।

ब्रिटिश काल से ही लोग इस तथ्य से अवगत हैं कि जोशीमठ की बसाहट ऐसी जगह पर है, जो एक ग्लेशियर के पिघलने से निकले मलबे के रूप में है। यह भूगर्भीय दृष्टि से एक नाजुक जगह है। ऐसी जगह पर किए जाने वाले निर्माण कार्यों के प्रति सावधानी बरती जानी चाहिए थी। एक समय ऐसा होता था। ऐसी जगहों पर लकड़ी के घर होते थे और आबादी भी कम होती थी,लेकिन धीरे-धीरे कंक्रीट के घर बनने लगे। जैसे-जैसे इन क्षेत्रों की आबादी और तीर्थाटन के साथ पर्यटन बढ़ा, वैसे-वैसे वहां घरों के साथ होटलों का निर्माण भी तेज हुआ।

आबादी और तीर्थाटन बढ़ने के कारण जोशीमठ में अधिकांश निर्माण न तो वैज्ञानिक ढंग से हुआ और न ही यह ध्यान रखा गया कि यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील भी है। जोशीमठ क्षेत्र को आपदाओं की दृष्टि से अति संवेदनशील है इसे ध्यान में रखते हुए वहां निर्माण कार्यों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए थी। इसका दुष्परिणाम हम देखते हैं कि इस क्षेत्र में बरसात में भूस्खलन एवं समय-समय पर भूकंप आना हम सबके सामने हैं।

पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले वाले अंधाधुंध निर्माण को लेकर पर्यावरणविदों एवं वैज्ञानिकों की ओर से समय-समय पर चेताया जाता है,लेकिन उस पर मुश्किल से ही ध्यान दिया गया। भले ही सरकारें यह दावा करें कि पर्वतीय क्षेत्रों में जो निर्माण कार्य हो रहे हैं, उनमें उचित मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है, लेकिन वास्तविकता कुछ और है।

पर्वतीय क्षेत्रों की प्राकृतिक संपदा का दोहन तो किया ही गया, इसके साथ-साथ वहां से निकलने वाली नदियों से जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से अनावश्यक छेड़छाड़ की गई। आज इसी छेड़छाड़ की कीमत चुकानी पड़ रही है। अब यह सामने आ रहा है कि जोशीमठ में जमीन दरकने का सिलसिला कई दशकों से चला आ रहा है। प्रश्न यह है कि क्या वहां और आसपास आधारभूत ढांचे का निर्माण कराने वाले ठेकेदारों को इंजीनियरिंग की दृष्टि से आवश्यक मानकों का सही तरह पालन करने को कहा गया?

सच यह है कि ऐसा नहीं किया गया जोशीमठ में बढ़ते तीर्थाटन का लाभ लेने के लिए जोशीमठ के लोग भी क्षमता से अधिक वहां घरों और होटलों का निर्माण कराते रहे। इस निर्माण में सिविल इंजीनियरिंग के तमाम मानकों की अवहेलना हुई। इसके बुरे नतीजे सबके सामने हैं।

भारत एक विकासशील देश है और आबादी के मामले में वह विश्‍व का सबसे बड़ा देश बनने जा रहा है। यहां अभी भी अधिकतर लोग गरीब या निम्‍न मध्‍यम वर्ग के हैं। चूंकि देश लगातार प्रगति कर रहा है, इसलिए एक बड़ी आबादी आने वाले कुछ दशकों में अपने लिए घरों का निर्माण कराने में सक्षम होगी। सरकार भी लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है कि वे अपना घर बनाएं।

स्पष्ट है कि आने वाले समय में पर्वतीय क्षेत्रों के साथ मैदानी इलाकों में और अधिक घरों का निर्माण होगा। इसी के साथ आधारभूत ढांचे का विकास भी तेज होगा। इन घरों के साथ आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए जिस गुणवत्ता की आवश्यकता है, यदि उसकी पूर्ति न की गई तो गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं और जोशीमठ सरीखी आपदाएं पूरे पर्वतीय क्षेत्र के सामने आ सकती हैं।

उचित यह होगा कि उत्तराखंड सरकार हर तरह के निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांचने के लिए किसी समिति का गठन करने के साथ यह सुनिश्चित करें कि उसकी ओर से तय किए गए मानकों पर वास्तव में अमल हो रहा है.? यह अमल तब होगा,जब इंजीनियरों के साथ ठेकेदारों को जवाबदेह बनाया जाएगा और उनकी ओर से कराए जाने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की प्रभावी ढंग से निगरानी भी की जाएगी।

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