देवभूमि मीडिया ब्यूरो —वैश्य समाज के प्रदेश अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में बनिया वैश्य समाज और ब्राह्मण समाज के बारे में दीवारों पर लिखी गई अशोभनीय बातों का कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह जातिवाद का जहर घोलने का प्रयास है। ऐसी बातें लिखने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि देश को आर्थिक मजबूती देने में बनिया समाज का अहम योगदान है।
अशोक बुवानीवाला ने कहा कि वैश्य समाज शांति स्वभाव से काम करने का पक्षधर है। वह बिना किसी विवादों के अपना व्यापार करने में विश्वास रखता है। व्यापार के साथ उच्च पदों पर भी वैश्य समाज के अग्रणी लोग देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। वैश्य समाज देश की धुरी है। इसे ना तो कमजोर समझा जाए और ना ही कमजोर करने का कोशिश की जाए।
बुवानीवाला ने कहा कि वैश्य समाज ने सदियों से भारत को विकासशील बनाने में अपना सहयोग, समर्पण दिया है। दान देने में यह समाज सबसे अग्रणी रहता है। धर्मशालाएं, कुए, बावड़ी समेत धर्म-कर्म के अनेक कार्यों में वैश्य समाज के काम सबसे ऊपर की श्रेणी में रहते हैं। ऐसे समाज के बारे में जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में अशोभनीय टिप्पणी करना ओच्छी सोच का ही परिणाम है।
जेएनयू शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। उस जगह पर इस तरह की हरकतें वहां की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। कोई इतनी आसानी से यह सब लिखकर चला गया।
और उन्होने कहा कि अखंड भारत पर केवल वैश्य राजा ने ही राज किया है, अन्य किसी जाति ने नहीं। ईरान से लेकर कंबोडिया तक अखंड भारत पर राज करने वाले चक्रवर्ती वैश्य सम्राट समुद्र गुप्त की हम संतान हैं। गुप्त वंश के वंशज हैं, जिसने लगभग 500 वर्ष तक पूरे विश्व में अपना परचम लहराया है। वैश्य समाज अगर बाज की तरह शांत है तो बाज की तरह आसमान छूने की ताकत भी रखता है।
भारत की आजादी में वैश्य समाज के क्रांतिकारियों ने जो बलिदान दिया है, वह भुलाया नहीं जा सकता। आर्थिक सहयोग के साथ व्यक्तिगत तौर पर वैश्य समाज के योद्धाओं ने आजादी की लड़ाई लड़ी। इस देश को अतुल्य भारत बनाने में वैश्य समाज की आजादी के आंदोलन से आज तक अग्रणी भूमिका रही है।