देवभूमि मीडिया ब्यूरो–चमोली जिले के गौचर नामक नगर में लगने वाला यह ऐतिहासिक मेंला उत्तराखंड का औधोगिक मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिवर्ष 14 नवंबर से 20 नवंबर तक यहाँ प्रसिद्ध गौचर मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला व्यापारियों और पहाड़ के लोगों के लिए एक विशेष आकर्षण है।
बताया जाता है कि माणा घाटी के प्रसिद्ध व्यपारी और जनप्रतिनिधि बाल सिंह पाल और और पान सिंह बम्फाल व् गोविन्द सिंह राणा ने इस प्रकार के इस आद्योगिक मेंले का आयोजन करने की इच्छा प्रसिद्ध समाज सेवी गोविन्द प्रसाद नौटियाल के सामने रखा। उसके बाद तत्कालीन अंग्रेज कमिश्नर मिस्टर बर्नाडी ने 1943 में इस मेले का शुभारम्भ किया।
और उस समय यहाँ तिब्बत के व्यपारी अपना सामान बेचने के लिए आते थे। गौचर का मेला भारत और तिब्बत के व्यापारिक संबंधो का प्रमुख पड़ाव था। तो वही 1962 में चीन द्वारा तिब्बत का अधिग्रहण कर लिए जाने के बाद ,भारत और तिब्बत का व्यपार बंद हो गया। गौचर मेला उसके बाद औद्योगिक और सांस्कृतिक मेले के रूप में स्थापित हो गया जो आज भी प्रतिवर्ष आयोजित होता है।
बता दें कि यह मेला संस्कृति, बाजार, उद्योग तीनों के समन्वय के कारण पूरे उत्तराखण्ड में लोकप्रिय बन गया है। मेले में जहां रोज की आवश्यक वस्तुओं की दुकाने लगाई जाती है वहीं जनपद में शासन की नीतियों के अनुसार प्राप्त उपलब्धियों के स्टॉल भी लगाये जाते हैं।
और मेले में स्वास्थ्य, पंचायत, सहकारिता, कृषि, पर्यटन आदि विषयों पर विचार गोष्ठियां होती है तथा मेले में स्वस्थ मनोरंजन, संस्कृति के आधार पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।