नई दिल्ली : 45 सालों बाद पहली बार सीमा विवाद में एलएसी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अतिक्रमण को लेकर भारत और चीन की सेनाओं के बीच चल रही झड़प ने सोमवार की रात हिंसक झड़प का गंभीर रूप ले लिया। आधिकारिक रूप से इस झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल और दो जवानों सहित तीन लोग शहीद बताए गए थे लेकिन देर शाम मिली जानकारी के अनुसार इस घटना में भारतीय सेना के 20 सैन्य कर्मी शहीद हुए हैं। शहीद भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ भी सकती है। जवाबी हमले में चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने का समाचार है। खास बात यह है कि इस झड़प में दोनों ओर से एक भी गोली नहीं चली।
भारतीय सेना ने देर शाम इसकी पुष्टि की। भारतीय सेना ने एक बयान में बताया कि 15-16 जून की दरम्यानी रात गलवन इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 17 भारतीय सैनिक बुरी तरह घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत हो गई। उस इलाके में तापमान शून्य से नीचे है। इस तरह इस झड़प में भारत के कुल 20 सैनिक मारे गए।
घटना के बाद देश में काफी सरगर्मी बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देर शाम सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाकर हालात का जायजा लिया। इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी मौजूद रहे।
गलवन घाटी में चीनी सैनिकों की सहमति के मुद्दे से पलटने के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीन घंटे तक पत्थरबाजी और लाठी-डंडे से जबरदस्त झड़प हुई। एलएसी पर हुई इस हैरतअंगेज घटना में भारत के दर्जन भर से अधिक सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं। शहीद और घायल हुए सैनिक बिहारी रेंजीमेंट के हैं। तेलंगाना निवासी शहीद कर्नल संतोष बाबू भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। एलएसी पर हुई इस हैरतअंगेज घटना में भारत के दर्जन भर से अधिक सैनिक गंभीर रुप से घायल हैं। चीन ने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या को लेकर अब भी चुप्पी साध रखी है। सूत्रों के अनुसार अपने हताहत सैनिकों को ले जाने के लिए चीन के हेलीकॉप्टर एलएसी पर मंडराते रहे।