- पौराणिक मान्यता के अनुसार हर वर्ष जुटते हैं इसी तरह निःसंतान दम्पति
- मान्यता है कि यहाँ पूजा अर्चना के बाद भरती है सूनी गोद
श्रीनगर (गढ़वाल) : संतान पाने के लिए नि:संतान दम्पत्तियों ने कमलेश्वर महादेव मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर 145 निसंतान दंपतियों ने रातभर हाथ में जलता हुआ दीपक रखकर और खड़े रहकर दीपक पूजन में भाग लिया। गो धूली की बेला में महंत आशुतोष पुरी ने प्रथम दीपक जलाकर खड़ दीपक रस्म का शुभारंभ किया। उसके बाद ब्राहणों द्वारा खड़े रहकर दीपक पूजा का संकल्प पूरा कराया गया।
उल्लेखनीय है कि सदियों से कमलेश्वर महादेव मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी पर पूरी रात कमलेश्वर महादेव मंदिर में जलता हुआ दीपक व पूजन सामग्री हाथ में लेकर दंपति खड़े रहकर भगवान भोलेनाथ से संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। प्रात: काल पूजा के बाद हाथ में रखा दीपक शिव शंकर का स्मरण कर महंत जी को शिव का प्रतिनिधि मानकर अर्पण कर देते हैं। उसके बाद गंगा स्नान कर हवन, गौ दान व महंत के हाथों सुफल के प्रसाद से व्रत तोड़ करने की रस्म पूरी की जाती है। संतान प्राप्ति के लिए दंपतियों को प्रत्येक वर्ष इस आयोजन का बेसब्री से इंतजार रहता है।
पौराणिक मान्यता है कि देव-असुर संग्राम के वक्त भगवान विष्णु ने यहां असुरों के नाश हेतु अपने आराध्य देव महादेव की स्तुति की तथा कमलेश्वर महादेव में सहस्र कमल चढ़ाए और सुदर्शन चक्र की प्राप्ति की। यही पूजा एक निसंतान दंपति ने भी पूरी रात्रि खड़े होकर हाथ में दीपक रखकर भगवान कमलेश्वर महादेव की पूजा की। तब माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने दंपति को संतान प्राप्ति का वरदान दिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
कमलेश्वर महादेव मंदिर में संतान प्राप्ति की कामना को लेकर प्रतिवर्ष लगने वाले बैकुंठ चतुर्दशी मेला एवं विकास प्रदर्शनी का रंगारंग आगाज हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने मेले का उद्घाटन किया। इस मौके पर सीएम रावत ने संतान प्राप्ति के लिए कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़े दीपक देने वाली दंपतियों को शुभकामनाएं दी तथा भगवान भोलेनाथ से उनकी इच्छा पूरी करने की कामना की।