Uttarakhand

भूकंप की दृष्टि से मसूरी और नैनीताल के 13 प्रतिशत मकान नहीं सुरक्षित !

  • आपदा प्रबंधन विभाग के अध्ययन में हुआ खुलासा
  • 15 वर्षों में आपदा का जोखिम कम करने का है लक्ष्य  

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

DEHRADUN : रिक्टर स्केल पर यदि छह से अधिक का भूकंप कभी आ गया तो  मसूरी और नैनीताल के 13 प्रतिशत मकान भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित नहीं है। इन शहरों के अतिरिक्त उत्तराखंड के कई अन्य कस्बों में बने मकान भी भारी तबाही मचा सकते हैं। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कराए गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। यह सर्वे मसूरी के पांच हज़ार घरों,नैनीताल के चार हज़ार घरों और बागेश्वर के तीन हज़ार घरों को केन्दित करके किया गया था। 

आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दून में सेन्डई रूपरेखा पर आयोजित कार्यशाला के दौरान डीएमएमसी के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा मसूरी, नैनीताल और बागेश्वर में भूकंप घातकता अध्ययन कराया गया। इसमें सामने आया कि तकरीबन 13 प्रतिशत मकान बड़े भूकंप झेलने की स्थिति में है ही नहीं। मसूरी में पांच हजार, नैनीताल में चार हजार और बागेश्वर में तीन हजार घरों का सर्वे कराया गया। इसमें तकरीबन 13 प्रतिशत मकान कमजोर पाए गए।

रौतेला ने कहा कि राज्य का अधिकांश हिस्सा भूकंप की दृष्टि से जोन फोर और फाइव में आता है। इसे देखते हुए भूकंप से निपटने को व्यापक स्तर पर तैयारी करने की जरूरत है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा की जा रही तैयारी और स्कूलों और अस्पतालों में रेट्रोफिटिंग की भी जानकारी दी। 

सेन्डई रूपरेखा के तहत अगले 15 सालों में सूबे में आपदा के जोखिम को न्यूनतम किया जाना है। इस पर कार्यशाला के दौरान चर्चा की गई। कार्यशाला के दौरान गढ़वाल आयुक्त शैलेष बगोली ने आपदा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए इन्हें कम किए जाने पर जोर दिया। कार्यशाला के दौरान बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्रीव्यास ने बिहार में आपदा प्रबंधन के लिए कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नेपाल में होने वाली बारिश की वजह से विहार में हर साल बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने इस दौरान डिजास्टर रेजिलियन्ट इन्फ्रास्टेक्चर पर निवेश की जरूरत है।

सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रो वीके शर्मा ने लगातार हो रही बारिश के लिए मौसम में हो रहे बदलाव को जिम्मेदार ठहराया। कार्यशाला में रिका के को फाउंडर रनीत चटर्जी, एडपीसी बिहार मोना आनंद, बीबी गणनायक सहित कई विभागों के अधिकारी और विशेषज्ञ मौजूद थे। 

उन्होंने बताया उत्तराखंड में आपदा की स्थित से निपटने के लिए 15 हजार 300 स्वयंसेवक तैयार किए जा चुके हैं। इसके साथ ही भूकंपरोधी मकान बनाने का प्रशिक्षण देने के लिए 1664 राज मि्त्रिरयों को तैयार किया गया है। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम चेतावनी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। इसके लिए गढ़वाल में कई स्थानों पर प्रणाली लगाई जा रही है। 

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