- पंचेश्वर परियोजना के टर्म ऑफ रेफरेंस को मिली मंजूरी
- परियोजना प्रभावित होने वाले उत्तराखंड के 123 गांवों का अध्यन कर लिया गया
देहरादून । भारत -नेपाल सीमा उत्तराखंड व नेपाल में काली नदी पर बनने वाली पंचेश्वर परियोजना पर राज्य सरकार धीरे -धीरे आगे बढ़ रही है। प्रपोज़्ड इस योजना के अस्तित्त्व में आने से जहाँ यह योजना खेती व पेयजल के लिए पानी का एक बहुत बड़ा जलाशय बनेगी वहीँ इस परियोजना से उत्तराखंड व नेपाल को 240 मेगावाट जल विद्दयुत भी मिलेगी। मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पंचेश्वर बहुउद्देश्यीय परियोजना पर पर्यावरण प्रभाव आंकलन और पर्यावरणीय प्रबंधन योजना (ईएमपी) का प्रस्तुतीकरण किया गया। बताया गया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार ने इसके टर्म ऑफ रेफरेंस (टीओआर) की मंजूरी दे दी है। उत्तराखण्ड के प्रभावित होने वाले 123 गांवों और परिवारों का अध्ययन कर लिया गया है। इसके लिए आर.आर (रिसेटलमेंट एण्ड रिहेबीलिटेशन) प्लान भी तैयार कर लिया गया है।
गौरतलब हो कि महाकाली नदी पर पंचेश्वर बांध को मंजूरी देकर उत्तराखँड को लाजवाब तोहफा दिया है। 311 फुट ऊँचाई के साथ यह एशिया का सब से ऊँचा बांध होगा। पिछले एक दशक से बांध का खाका तैयार था। मोदी सरकार के इस फैसले से कुमाऊँ का बहुत विकास होगा, हालांकि बडे बांधों से कुछ नुकसान भी होते हैं, लेकिन विकास के साथ यह भी झेलना पडता है। हालांकि टिहरी और नर्मदा के मुकाबला पंचेश्वर बांध के निर्माण में कम गांव ही प्रभावित होंगे। इस बाँध भारत के बहुत कम गाँव डूबेंगे, लेकिन नेपाल के ज्यादा गांव डूबेंगे.हमे उन्हें मुआवजा देना पडेगा. इस बांध से बिजली से न सिर्फ कुमाऊँ चमक उठेगा अलबता यहां की बिजली दिल्ली, यूपी और नेपाल तक को बेची जा सकेगी। पंचेश्वर बांध बनने से पर्यटन के क्षेत्र में अलग थलग पडा पूरा कुमाऊँ नए हिमाचल के रूप में विकसित होगा.क्योकि कुमाऊँ के पहाड गढवाल की तरह कच्चे नहीं हैं, कुमाऊँ में सडकों का जाल पहले से ही गढवाल से बेहतर है।
बैठक में बताया गया कि पुनर्वास स्थल पर आंतरित गांव, सड़क, ड्रेनेज, सफाई, पेयजल, फुटपात, पोस्ट आफिस, पंचायत घर, सामुदायिक भवन, पूजा स्थल, अस्पताल, स्कूल, हॉट, राशन की दुकान सहित सभी बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने का खाका तैयार कर लिया गया है। पुनर्वास और क्षतिपूर्ति में होने वाले व्यय का भी आंकलन कर लिया गया है। विस्थापितों के लिये आजीविका योजना भी बना ली गई है। पशुपालन, बागवानी, मौनपालन, कौशल विकास प्रशिक्षण, पर्यटन विकास और स्वयं सहायता समूहों के जरिए रोजगार दिया जायेगा। इसके साथ ही स्थानीय क्षेत्र विकास योजना भी बनायी गई है। पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए अगस्त 2014 को भारत और नेपाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से पंचेश्वर बांध प्राधिकरण का गठन किया गया। सचिव जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार और सचिव पर्यावरण नेपाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से सामान्य सभा की अध्यक्षता की जायेगी। प्रमुख सचिव ऊर्जा, उत्तराखण्ड पंचेश्वर बांध प्राधिकरण के सदस्य है। भारत नेपाल सीमा पर यह बहुउद्देश्य परियोजना महाकाली नदी (भारत में शारदा नदी) प्रस्तावित है। सरयू और महाकाली नदी के संगम से 2.5 कि.मी. नीचे की और उत्तराखण्ड के कस्बे टनकपुर से 70 कि.मी. ऊपर की ओर मुख्य बांध प्रस्तावित है। बिजली उत्पादन के अलावा इस परियोजना से दोनो देशों को अतिरिक्त सिंचाई सुविधा मिलेगी। इससे बाढ़ नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।
प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया गया कि 4800 कि.मी. की इस परियोजना का निर्माण लगभग 40 हजार करोड़ रू. की लागत से होगा। इससे 80 कि.मी. दायरे में 130 गांव प्रभावित होंगे। पंचेश्वर बांध का 12276 वर्ग किमी और रूपालीगढ का 13490 वर्ग कि.मी. कैचमेंट एरिया होगा। जबकि 1214 वर्ग किमी बीच का कैचमेंट होगा। पंचेश्वर बांध से 27 किमी नीचे की ओर रूपालीगाढ़ में बांध को पुनर्विनियमित किया जायेगा। परियोजना से 116 वर्ग किमी. डूब क्षेत्र पंचेश्वर जलाश्य में आयेगा। उत्तराखण्ड में पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और चम्पावत जनपदों के 130 गांव प्रभावित होंगे। रूपालीगाढ़ पुनर्नियमितिकरण(री रेगुलेटिंग) बांध से चम्पावत जनपद के 11 गांव प्रभावित होंगे। इस बांध से भी 240 मेगावाट बिजली पैदा होगी। बैठक में बताया गया कि परिजोजना के लिए भारत में 9100 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना होगा। इससे भारत में 2,59,000 हेक्टेयर और नेपाल में 1,70,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। भारत और नेपाल को 90 करोड़ रूपये का वार्षिक बाढ़ नियंत्रण लाभ होगा।
बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा उमाकांत पंवार, प्रमुख सचिव सिंचाई आनन्द बर्धन, प्रमुख सचिव ग्राम विकास मनीषा पंवार, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव राजस्व हरबंस सिंह चुग, सचिव लो.नि.वि. अरविन्द सिंह ह्यांकी, केन्द्रीय जल आयोग(बाढ़ प्रबंधन) आयुक्त चन्द्रशेखर अययर, पंचेश्वर बांध परियोजना नेपाल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेन्द्र बहादुर गुरंग सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।