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विधायकों और नौकरशाही के बीच खींचतान चलना आम बातः दिलीप रावत

कोरोना संक्रमण नहीं होता तो अब तक कैबिनेट का विस्तार हो गया होता : दिलीप रावत 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । भाजपा विधायकों की नाराजगी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां एक ओर राज्य सरकार पहले ही सभी नौकरशाहों को विधायिका का सम्मान करने की बात कह चुकी है तो वहीं, अब विधायक नौकरशाही के रवैया को लेकर पिछले कुछ दिनों से लामबंद नजर आ रहे हैं। भाजपा विधायक दिलीप रावत का कहना है कि, विधायकों और नौकरशाही के बीच खींचतान पहले से ही चलती आ रही है। इसमें कोई नई बात नहीं है। हालांकि यह खींचतान कुछ समय के लिए ही रहती है।
विधायक दिलीप रावत ने बताया कि जनता विधायक को चुनकर भेजती है। ताकि उसके क्षेत्र की व्यवस्थाएं बेहतर हों. जिसके चलते विधायकों पर उनके क्षेत्र की जनता का दबाव बहुत रहता है। इसके चलते नौकरशाही और विधायकों के बीच कामों को लेकर खींचतान भी चलती रहती है। लेकिन यह कुछ समय के लिए ही होता है। इसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है।
उन्होंने बताया कि अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए भी विधायिका होती है। यही वजह है कि विधायिका की यही अपेक्षा हमेशा से ही रही है कि अधिकारी उनकी बात सुनें। हालांकि अलग-अलग तरह के अधिकारी हैं। कुछ बात सुनते हैं, तो कुछ बात नहीं सुनते हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार के कैबिनेट विस्तार को लेकर लंबे अरसे से कवायद चल रही है। लेकिन अभी तक कैबिनेट विस्तार की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
कैबिनेट विस्तार के मामले पर लैंसडाउन विधानसभा से भाजपा विधायक दिलीप रावत ने बताया कि मंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखना कोई गलत बात नहीं है। कैबिनेट का विस्तार भी होना चाहिए। फिलहाल उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण नहीं होता तो अब तक कैबिनेट का विस्तार हो गया होता।

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