- सिडकुल से लेकर यूपीआरएनएन के अधिकारियों को सूंघ गया सांप
- UPRNNL के तत्कालीन एमडी सहित जीएम और पीएम पर भी उठी उंगली
- पुलिस मुख्यालय द्वारा सात सदस्यीय SIT जांच टीम का गठन
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : प्रदेश सरकार ने एक बार फिर भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेन्स के तहत सिडकुल में वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक हुए निर्माण कार्य और नियुक्तियों की जांच कराने के आदेश दिये हैं। सरकार के इस आदेश कि भनक लगते ही सिडकुल से लेकर उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम के अधिकारियों को सांप सूंघ गया है जो अभी तक भ्रष्टाचार करने के बाद भी मलाई चाट रहे थे। वहीं मामले में गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक से इस मामले की जांच के लिए आईजी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर एक माह में रिपोर्ट देने को कहा है।
मुख्यमंत्री के आदेश के मिलते ही उत्तराखंड सिडकुल निर्माण कार्यों ,नियुक्ति व खरीद फ़रोख़्त घोटाले में आईजी गढ़वाल के नेतृत्व में सात सदस्यीय SIT जांच टीम का पुलिस मुख्यालय द्वारा गठन कर दिया गया है जिसके अध्यक्ष उधम सिंह नगर के एसएसपी होंगे। जबकि हरिद्वार एसपी, विकासनगर सीओ, नैनीताल एसपी सहित देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर सिडकुल क्षेत्र के तीन वरिष्ठ इंस्पेक्टर इस SIT जांच टीम में शामिल किये गए हैं। इस SIT गठन टीम की पुष्टि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कर दी है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस शासनकाल में हुए रुद्रपुर में सिडकुल में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था। मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिडकुल का स्पेशल ऑडिट करवाने के निर्देश दिए थे। तब ऑडिट में करोड़ों रुपये का घपला-घोटाला सामने आया था। स्पेशल ऑडिट के दौरान पता चला कि सिडकुल में यू.पी. निर्माण निगम द्वारा कराये गये कई कार्य मानकों पर खरे नहीं पाये गए। इतना ही नहीं इसके अलावा सिडकुल क्षेत्र के बाहर भी कार्य कराये गये थे। हालांकि प्राथमिक जांच में मामला सही पाये जाने पर सिडकुल के एक वरिष्ठ अधिकारी संजय रावत को निलंबित किया गया था।
मामले में सिडकुल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक सहित महाप्रबंधक और प्रोजेक्ट ऑफिसर पर भी उंगली उठी थी। इसको देखते हुए मुख्य सचिव स्तर से मामले की जांच को कहा गया था। उसके बाद लंबे समय से मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के आदेश के बाद अब गृह विभाग की ओर से सिडकुल में 2012 से लेकर 2017 तक अवस्थापना सुविधाओं के निर्माण, नियुक्तियों व अन्य मामलों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश दिये हैं।
शासन की ओर से पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी को पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर एक माह में जांच कर रिपोर्ट शासन को देने के निर्देश दिये गये हैं। माना जा रहा है कि एसआईटी जांच में सिडकुल सहित उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम के कई तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।
गौरतलब हो कि वर्ष 2012 में प्रदेश में विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी, जबकि 2014 में हरीश रावत की ताजपोशी के बाद बहुगुणा की विदाई हुई और वर्ष 2017 तक हरीश के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार रही। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले एसआईटी की जांच मामले को किस करवट ले जाएगी, यह कहना मुश्किल है। जांच में यदि बड़े नामों का खुलासा हुआ तो कांग्रेस को घेरने के लिए भाजपा को बड़ा मौका हाथ लग सकता है।