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”योग” को दुनिया में पहचान दिलाने वाली जगह 84 कुटिया बर्बादी की कगार पर !

  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष …..

  • कोई कहता है बीटल्स आश्रम तो कोई 84 कुटिया 

  • महर्षि योगी ने ऋषिकेश को दिलाई योग राजधानी की पहचान 

  • बीटल्स ने यहीं 48 गाने तैयार किये जो दुनिया में हुए प्रसिद्ध

 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

ऋषिकेश: भारत के साथ पूरी दुनिया 21 जून को 5वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है। संतों की तपस्थली और योग और ध्यान की राजधानी के नाम से विश्वविख्यात ऋषिकेश में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस योग कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं उस संत के बारे में जिसने देश-दुनिया में योग को पहुँचाया और ऋषिकेश को योग की राजधानी के रूप में जो पहचान दिलाई वह उसी की देन है।

उस विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति का नाम था महेश प्रसाद वर्मा जो बाद में महर्षि महेश योगी बने। महेश प्रसाद वर्मा का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी। 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरू से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे उसके बाद वे संत महर्षि महेश योगी बने।

बाद में इसी महेश योगी जिन्होंने योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में तब पहुंचाया जब पश्चिमी देश विकास की तमाम बुलंदियों को छूने के बाद उनका सांसारिक और भौतिक संसाधनों से वे विरक्त होना चाह रहे थे क्योंकि उनके पास वह सबकुछ था जिसकी अभिलाषा उन्होंने उसे पाने के लिए की थी। जहां एक ओर अविकसित राष्ट्र विकास की दौड़ में आगे बढ़ रहे रहे थे और पाश्चात्य संस्कृति के पोषक उसी से विमुख होते जा रहे थे उनके पास जीवन जीने के लिए वह सब कुछ तो था लेकिन जीवन जीने का सिद्धांत और अनुशासन नहीं था कि उसे नियमित और संयमित तरीके से कैसे जिया जाय ऐसे समय में संत महेश योगी ने उनके देशों में पदार्पण किया और उन्हें वह दीक्षा दी जिसके लिए वे भटक रहे थे उनके द्वारा भारतीय जीवन पद्धति के साथ योग और ध्यान की दीक्षा पाने के बाद दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के अनुयायी बन गए।

इतना ही नहीं उस दौरान के ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उनके इतने दीवाने थे कि वे उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे। महर्षि महेश योगी जिन्होंने बाद में ऋषिकेश योग और ध्यान का केंद्र बनाया और स्वर्गाश्रम क्षेत्र में बसाई चौरासी कुटिया नाम से एक योग और ध्यान केंद्र जो उस दौरान का महत्वपूर्ण स्थान रहा था और इसी स्थान ने दुनिया को योग और ध्यान सिखाकर पहचान दिलाई। हालांकि हजारों अनुयाइयों की आवाजाही का एक समय में केंद्र रहा यह आश्रम अब केवल भुतहा निशानी बनकर रह गया है।

आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए इस 84 कुटी में ब्रिटेन का मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य सहित हॉलीवुड की कई नामचीन हस्तियां यहां आयी थी। बीटल्स बैंड के रिंगो स्टार के अलावा जॉर्ज हैरिसन, पॉल मैककर्टनी और जॉन लेनन भी यहां योग और ध्यान लगाने आये थे। जो करीब तीन महीने तक यहीं रुके थे और उन्होंने उस दौरान प्रसिद्द हुए उन 48 गानों का यहीं पर रियाज कर ब्रिटेन से जारी किया था। अब भी हर साल बड़ी तादाद में विदेशी टूरिस्ट की नई पीढ़ी इस स्थान को देखने आती है।यही कारण है कि विदेशी पर्यटक इस आश्रम को आज भी बीटल्स आश्रम के नाम से पुकारते हैं।

महर्षि महेश योगी ने 1962 में उत्तर प्रदेश सरकार से लीज पर 20 साल के लिए ली गयी इस जमीन पर महर्षि योगी ने 84 कुटिया बनवाई जिनके बीच एक भव्य आश्रम और एक ध्यान करने के लिए मेडिटेशन हॉल बनवाया था। ऋषिकेश व आसपास के लोग इस इसे चौरासी कुटिया भी कहते हैं। इस आश्रम के बारे में चर्चाएँ हैं कि महर्षि योगी ने यहां वर्ष 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय ध्यान शिक्षण शिविर आयोजित किया था इस योग और ध्यान शिविर में उस दौरान के दुनिया भर के 60 अंतर्राष्ट्रीय मेडिटेशन एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था। इसके बाद से ही विदेशी पर्यटकों का ऋषिकेश गंतव्य स्थान बन गया था।

वर्ष 1981 में इस आश्रम की लीज खत्म हो जाने पर सरकार ने इसकी लीज को आगे नहीं बढ़ाया। इसके बाद महर्षि महेश योगी भी 1983 में हॉलैंड चले गए थे और फिर कभी इस आश्रम में वापस लौटकर नहीं आये।

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