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AIIMS में हिमैटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट विषय पर कार्यशाला

देश के वि​भिन्न मेडिकल संस्थानों से 55 प्रतिभागियों व विशेषज्ञ चिकित्सकों ने लिया हिस्सा 

AIIMS में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं देने के साथ ही ट्रांसप्लांट जैसी सेवाएं जल्द : प्रो. रवि कांत 

एम्स संस्थान का उद्देश्य इस क्षेत्र में ट्रांसप्लांट जैसी सेवाएं शुरू करना : प्रोफेसर मनोज गुप्ता 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के तत्वावधान में हिमैटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट विषय पर कार्यशाला का आयाेजन किया गया। कार्यशाला में देश के वि​भिन्न मेडिकल संस्थानों से 55 प्रतिभागियों व विशेषज्ञ चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।

मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने हिमैटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं देने के साथ ही ट्रांसप्लांट जैसी सेवाएं देना भी जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने बताया ​​कि इसी दिशा में गतवर्ष सितंबर माह में संस्थान के मेडिसिन ओंकोलॉजी विभाग व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग ने संयुक्तरूप से हिमेटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया था।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने भरोसा दिलाया कि शीघ्र ही एम्स ऋषिकेश ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में देश के नामी गिरामी संस्थानों में शुमार होगा। संकायाध्यक्ष शैक्षणिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने बताया कि एम्स संस्थान का उद्देश्य इस क्षेत्र में ट्रांसप्लांट जैसी सेवाएं शुरू करना है ,जिससे मरीजों को लाभ मिल सके और उन्हें अन्यत्र उपचार के लिए नहीं जाना पड़े। कार्यशाला में हिमैटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट से जुड़े विभिन्न विषयों के प्रसिद्ध चिकित्सकों ने व्याख्यान दिए।

एम्स ऋषिकेश के मेडिकल ओंकोलॉजी हिमेटोलॉजी विभाग के डा. उत्तम कुमार नाथ ने इस विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की। टाटा मैमोरियल हॉस्पिटल मुंबई के रक्तकोष प्रभारी डा. शशांक ओझा ने स्टैमसेल के संरक्षण के बाबत विस्तृत जानकारी दी। मुख्यवक्ता संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के प्रमुख प्रो. राजेंद्र चौधरी ने एबीओ इन्कम्पैंटिबल हिमेटोपोइटिक स्टैमसेल ट्रांसप्लांट के बारे में बताया। जिसमें प्रतिभागियों ने बढ़चढ़कर प्रश्न भी पूछे।

एम्स ऋषिकेश की ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. गीता नेगी ने एचएलए कंंपैटेबिलिटी, डा. सुशांत कुमार मिनिया ने ट्रांसफ्यूजन सपोर्ट, हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के डा. विकास श्रीवास्ताव ने फ्लोसाइटोमैट्री तथा इसी संस्थान के डा. कुणाल दास ने ऐसे मरीजों में होने वाले संक्रमण की रोकथाम के बारे में बताया।

कार्यशाला की आयोजन सचिव डा. दलजीत कौर ने ग्राफ्ट तथा होस्ट डिसीज तथा विकिरण चिकित्सा विभाग की डा. दीपा जोसफ ने रक्त के विकिरण के बाबत जानकारी दी। आयोजन समिति की अध्यक्ष डा. गीता नेगी, सह अध्यक्ष डा. उत्तम कुमार नाथ व आयोजन सचिव डा. दलजीत कौर ने कार्यशाला में शिरकत करने वाले विशेषज्ञों व प्रतिभागियों का आभार जताया।

आयोजन समिति के सह सचिव डा. सुशांत कुमार व डा. आशीष जैन ने कार्यशाला के आयोजन में सहयोग करने वाले चिकित्सकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला के आयोजन में संस्थान की वरिष्ठ सर्जन व आईबीसीसी प्रमुख प्रोफेसर बीना रवि, प्रो. यूबी मिश्रा, प्रो. प्रतिमा गुप्ता, प्रो. संजीव किशोर, प्रो. शालिनी राव, उत्तराखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी के अपर परियोजना निदेशक डा. अर्जुन सिंह सेंगर, डा. अनुभा अग्रवाल, डा. हरीश चंद्रा, डा. अमित सहरावत, डा. दीपक सुंदरियाल, डा. विनय कुमार आदि ने सहयोग किया।

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