सड़क की मांग को लेकर महिलाओं ने गले में डाला फांसी का फंदा
- आन्दोलनकारियों को बचाने में पुलिस के छूटे पसीने
उत्तरकाशी : पिछले 250 दिन से सड़क की मांग को लेकर धरना दे रहे ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटा तो पुलिस के पसीने भी छूट गए। उन्होंने न केवल जिला मुख्यालय में कनस्तर बजाकर प्रदर्शन किया, बल्कि एक पूर्व सैनिक कलेक्ट्रेट के प्रेक्षागृह की छत पर चढ़ रस्सी के सहारे झूल गया और तीन महिलाओं ने गले में रस्सी का फंदा डाल दिया। बामुश्किल पुलिस ने किसी तरह उन्हें रोका। पूर्व सैनिक को भी बलपूर्वक छत से उतारा गया। पुलिस ने प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों को हिरासत में लेकर शांति भंग में चालान किया।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के पास का पोखरी गांव मात्र तीन किलोमीटर दूर है। यहां करीब 40 परिवार रहते हैं। ग्रामीण लंबे समय ये नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के मोड़ से गांव तक सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2004 में यह सड़क स्वीकृत हुई थी। वर्ष 2006 में वन भूमि भी हस्तांतरित भी कर दी गई, लेकिन इसके बाद मामला एलाइनमेंट में फंस गया। यह विवाद इतना लंबा चला कि वर्ष 2015 में भारत सरकार ने सड़क निर्माण की स्वीकृति यह कहते हुए निरस्त कर दी कि लंबे समय से सड़क का निर्माण नहीं किया गया। इस पर लोक निर्माण विभाग और प्रशासन से जवाब भी मांगा गया। बाद में किसी तरह मामला सुलझा तो इसी साल मई में पड़ोस के गांव के लोगों ने सड़क निर्माण के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि सड़क निर्माण के लिए चीड़ के पेड़ काटे जाएंगे।
शनिवार सुबह गांव के करीब चालीस लोग थाली और कनस्तर बजाते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। इसी बीच पूर्व सैनिक शूरवीर सिंह नेगी कलक्ट्रेट परिसर में स्थित प्रेक्षागृह की छत पर चढ़े और रस्सी के सहारे झूलने लगे। कुछ ही देर में उषा देवी, बबली नेगी, रामी नेगी ने प्रेक्षागृह की छत पर बंधी रस्सी का फंदा गले में डाल लिया। किसी तरह पुलिस ने इन लोगों को रोका। ग्रामीणों की मांग थी कि जिलाधिकारी उनसे मिलें और उचित आश्वासन दें। ग्रामीणों के आवेश को देखते हुए पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
जिलाधिकारी आशीष चौहान ने बताया कि पोखरी गांव की सड़क का मामला एनजीटी में चल रहा है। इसलिए अभी इसमें कोई कार्यवाही संभव नहीं है। ग्रामीण शांतिपूर्वक आंदोलन कर सकते हैं। आंदोलन उग्र करेंगे तो कार्रवाई करनी पड़ेगी।