Uttarakhand
क्यों साउंड प्रूफ किये जा रहे हैं उत्तराखंड के स्कूल!
- बच्चे स्कूल में पढ़ने के बजाय उड़ते हेलीकॉप्टरों को देखने को मजबूर!
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : केदारनाथ वन प्रभाग में वन्यजीवों को विचलित कर देने वाली आवाजें महज बेजुबानों की धड़कनें ही नहीं बढ़ाती। बल्कि ये उन बच्चों के कानों को भी कुछ देर के लिए बेहरा कर देती हैं जो अपने भविष्य को तरासने की कोशिश कर रहे होते हैं। जरा आप सोचिये कि आप किसी काम में ध्यान लगाए हों और अचानक आपके ऊपर बेहद करीब से कोई हेलीकॉप्टर गुजर जाए. ऐसा ही कुछ प्राथमिक और इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले मासूमों के साथ हर मिनट होता है । हालाकिं मासूमों की इस समस्या को देखते हुए प्रशासन ने हैली कंपनियों की मदद से साउंड प्रूफ क्लासेस बनवाना शुरू कर दिया है।
केदारनाथ क्षेत्र के दर्जनभर स्कूलों में बाहर की आवाजों को प्रतिबंधित कर दिया है । क्लासेस इस कदर साउंडप्रूफ हो चुकी हैं की न तो अंदर की आवाज बाहर जा सकती है और न ही बाहर की आवाज ही अंदर तक पहुँच सकती है। दरअसल केदारनाथ में श्रधालुंओं का हुजूम जिस बड़ी संख्या में पहुँच रहा है उससे यहाँ संचालित हवाई सेवाओं को भी प्रोत्साहन मिला है।एक आंकलन के अनुसार यहाँ संचालित हैली सेवायें हर रोज सैकड़ों शॉर्टी लगाती हैं। केदारनाथ में फिलहाल 7 हैली कंपनियां काम कर रही है और करीब 11 से ज्यादा कम्पनियाँ यहाँ हर साल सेवायें देती हैं। इस लिहाज से समझा जा सकता है कि किस कदर केदारवैली में हवाई ट्रैफिक मौजूद हैं और इसका वन्यजीवों समेत बच्चों पर क्या असर पड़ रहा होगा। बहरहाल बच्चों की दिक्कतों को कम करने के लिए अबतक 6 हवाई कम्पनियाँ अलग अलग 6 प्राथमिक विधालयों में दो- दो क्लासेस साउंडप्रूफ कर चुकी हैं। वहीँ एक कंपनी ने एक इंटरमीडिएट स्कूल की सभी क्लासेस को साउंडप्रूफ करने का काम शुरू कर दिया है।
वैसे तो फिलहाल रुद्रप्रयाग के केदारनाथ क्षेत्र में ही स्कूलों को साउंडप्रूफ किया जा रहा है लेकिन इसके बाद देहरादून एयरपोर्ट यानी मुख्यमंत्री की विधानसभा के स्कूलों को भी साउंड प्रूफ किये जाने की योजना है।
केदारनाथ में चल रही हवाई सेवाओं के लिए नियम भी तय किये गए हैं। इसमें ऊंचाई 600 फीट रखने के आदेश हैं तो आवाज के भी तय डेसीबल तक ही किये जाने का प्रावधान है लेकिन इन नियमों के उल्लंघन के चलते एनजीटी को समय समय पर आदेश देने पड़ रहे हैं। हालाकिं यूकाडा के अपर सचिव आर राजेश ने सभी नियमों का पालन किये जाने की बात कहीहै ।लेकिन नियमों का कितना पालन किया जा रहा है वह क्षेत्र की जनता ही जानती है जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ने के बजाय बहुत नीचे आसमान में उड़ते हेलीकॉप्टरों को देखने को मजबूर हैं।